बरेली: जिले में जानलेवा मलेरिया ने कहर बरपाना अब शुरु कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग में केस स्टडी बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. जिस तरह कई ब्लाकों में प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के हजारों मरीज मिले हैं. यह कई दशकों में हुआ सबसे बड़ा हमला है. इस साल के पहले महीने में ही जिले में फैंलसीपेरम के 84 मरीज सामने आने से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई थी. अधिकारी हरकत में आए फैल्सीपेरम के मरीजों की संख्या पर लगाम लगा दी गई.
जिले में मलेरिया का आतंक:
- मलेरिया की दो जानलेवा प्रजाति हैं. प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम और प्लाज्मोडियम वाईबैक्स.
- अब स्वास्थ्य विभाग में केस स्टडी बनाने की तैयारी शुरू हो गई है.
- यह कई दशकों में हुआ सबसे बड़ा मामला है.
- जिले में 25 साल पहले प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के केस सामने आए थे.
- उस समय मरीजों की संख्या 15 सौ से अधिक नहीं थी.
- 29 गांवों में इसका कहर अधिक है.
- वहां के मौसम, तापमान, मरीजों के हालत, उनकी उम्र, गांव की स्थिति का पूरा ब्यौरा जुटाया जा रहा है.
इस बार हम व्यापक नजर रखे हुए हैं और मलेरिया को काबू कर रहे हैं. जो केस सामने आए हैं उसमें सबसे ज्यादा रोगी देहात क्षेत्र के हैं. प्लाज्मोडियम बाईवैक्स की दवा 14 दिन तक खानी होती है. 3 से 4 दिन में आराम मिलने पर ही मरीज दवा खाना छोड़ देता है. दवा का कोर्स पूरा नहीं होने के कारण ही बीमारी लौट रही है और हम लगातार स्लाइडओं का परीक्षण कर रहे हैं .
-विनीत कुमार शुक्ला ,सीएमओ बरेली