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बरेली: मलेरिया का प्रकोप, मिले 5000 से ज्यादा रोगी

जिले में मलेरिया के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और 1 महीने के डाटा के अनुसार 5000 रोगी सामने आए हैं. अगर इसी तरह से मलेरिया के रोगियों की संख्या बढ़ती गई तो बरेली के स्वास्थ्य विभाग को चिंता की बात होगी.

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Published : Jul 3, 2019, 10:50 PM IST

स्वास्थ्य विभाग में मरीजों की भीड़

बरेली: जिले में जानलेवा मलेरिया ने कहर बरपाना अब शुरु कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग में केस स्टडी बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. जिस तरह कई ब्लाकों में प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के हजारों मरीज मिले हैं. यह कई दशकों में हुआ सबसे बड़ा हमला है. इस साल के पहले महीने में ही जिले में फैंलसीपेरम के 84 मरीज सामने आने से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई थी. अधिकारी हरकत में आए फैल्सीपेरम के मरीजों की संख्या पर लगाम लगा दी गई.

स्वास्थ्य विभाग बरेली

जिले में मलेरिया का आतंक:

  • मलेरिया की दो जानलेवा प्रजाति हैं. प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम और प्लाज्मोडियम वाईबैक्स.
  • अब स्वास्थ्य विभाग में केस स्टडी बनाने की तैयारी शुरू हो गई है.
  • यह कई दशकों में हुआ सबसे बड़ा मामला है.
  • जिले में 25 साल पहले प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के केस सामने आए थे.
  • उस समय मरीजों की संख्या 15 सौ से अधिक नहीं थी.
  • 29 गांवों में इसका कहर अधिक है.
  • वहां के मौसम, तापमान, मरीजों के हालत, उनकी उम्र, गांव की स्थिति का पूरा ब्यौरा जुटाया जा रहा है.

इस बार हम व्यापक नजर रखे हुए हैं और मलेरिया को काबू कर रहे हैं. जो केस सामने आए हैं उसमें सबसे ज्यादा रोगी देहात क्षेत्र के हैं. प्लाज्मोडियम बाईवैक्स की दवा 14 दिन तक खानी होती है. 3 से 4 दिन में आराम मिलने पर ही मरीज दवा खाना छोड़ देता है. दवा का कोर्स पूरा नहीं होने के कारण ही बीमारी लौट रही है और हम लगातार स्लाइडओं का परीक्षण कर रहे हैं .
-विनीत कुमार शुक्ला ,सीएमओ बरेली

बरेली: जिले में जानलेवा मलेरिया ने कहर बरपाना अब शुरु कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग में केस स्टडी बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. जिस तरह कई ब्लाकों में प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के हजारों मरीज मिले हैं. यह कई दशकों में हुआ सबसे बड़ा हमला है. इस साल के पहले महीने में ही जिले में फैंलसीपेरम के 84 मरीज सामने आने से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई थी. अधिकारी हरकत में आए फैल्सीपेरम के मरीजों की संख्या पर लगाम लगा दी गई.

स्वास्थ्य विभाग बरेली

जिले में मलेरिया का आतंक:

  • मलेरिया की दो जानलेवा प्रजाति हैं. प्लाज्मोडियम फैल्सीपेरम और प्लाज्मोडियम वाईबैक्स.
  • अब स्वास्थ्य विभाग में केस स्टडी बनाने की तैयारी शुरू हो गई है.
  • यह कई दशकों में हुआ सबसे बड़ा मामला है.
  • जिले में 25 साल पहले प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम के केस सामने आए थे.
  • उस समय मरीजों की संख्या 15 सौ से अधिक नहीं थी.
  • 29 गांवों में इसका कहर अधिक है.
  • वहां के मौसम, तापमान, मरीजों के हालत, उनकी उम्र, गांव की स्थिति का पूरा ब्यौरा जुटाया जा रहा है.

इस बार हम व्यापक नजर रखे हुए हैं और मलेरिया को काबू कर रहे हैं. जो केस सामने आए हैं उसमें सबसे ज्यादा रोगी देहात क्षेत्र के हैं. प्लाज्मोडियम बाईवैक्स की दवा 14 दिन तक खानी होती है. 3 से 4 दिन में आराम मिलने पर ही मरीज दवा खाना छोड़ देता है. दवा का कोर्स पूरा नहीं होने के कारण ही बीमारी लौट रही है और हम लगातार स्लाइडओं का परीक्षण कर रहे हैं .
-विनीत कुमार शुक्ला ,सीएमओ बरेली

Intro:ना हम पिछले साल मलेरिया के कारण 300 घरों से उठी अर्थीओ का मंजर याद दिलाना चाहते हैं। ना ही इस बुखार की भयाबहता बयां करना चाहते हैं बस आग्रह करना चाहते हैं क्योंकि मानसून की दस्तक से पहले ही जिले में मलेरिया हाजिर हो गया है 1 महीने में 5000 रोगी मिले हैं ।स्वास्थ्य विभाग सजगता ,सक्रियता के दावे कर रहा है लेकिन मरीजों की संख्या हर रोज बढ़ रही है यह चिंता का सबब है।


Body:फैंलसीपेरम नियंत्रित किया तो वाईवैक्स आगया।मलेरिया की दो जानलेवा प्रजाति हैं प्लाज्मोडियम फैंलसीपेरम और प्लाज्मोडियम वाईबैक्स। इस साल के पहले महीने में ही जिले में फैंलसीपेरम के 84 मरीज सामने आने से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई थी। अधिकारी हरकत में आए फैंलसीपेरम के मरीजों की संख्या पर तो लगाम लगा दी। लेकिन वाईबैक्स तेजी से पनपा। पिछले 20 मई से 20 जून के मेडिकल बुलेटिन ने स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के होश उड़ा दिए आंकड़ों में करीब 5000 मरीज प्लाज्मोडियम वाईबैक्स के सामने आए हैं फैंलसीपेरम के 11 मरीज ही हैं गनीमत है कि इस बार मलेरिया से किसी की मौत नहीं हुई है।
बाइट:- विनीत कुमार शुक्ला सीएमओ बरेली
वहीं इस मामले में जब सीएमओ से बात करी। तो वह मलेरिया को लेकर अपनी पीठ थपथपाते हुए नजर आए उनका साफ कहना था कि इस बार हम व्यापक नजर रखे हुए हैं। और मलेरिया को काबू कर रहे हैं जो केस सामने आए हैं उसमें सबसे ज्यादा रोगी देहात क्षेत्र के हैं उनका कहना था कि प्लाज्मोडियम बाईवैक्स की दवा 14 दिन तक खानी होती है 3 से 4 दिन में आराम मिलने पर ही मरीज दवा खाना छोड़ देता है। दवा का कोर्स पूरा नहीं होने के कारण ही बीमारी लौट रही है और हम लगातार स्लाइडओं का परीक्षण कर रहे हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं यह चिंता की कोई बात नहीं है इससे हमें मलेरिया के रोगियों का पूरा डाटा मिला है और उनको स्वास्थ्य करा जा रहा है।


Conclusion:बही अगर जिला अस्पताल की बात करें तो जिला अस्पताल की ओपीडी से लेकर मलेरिया विभाग में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और 1 महीने के डाटा के अनुसार 5000 रोगी सामने आए हैं अगर इसी तरह से मलेरिया के रोगियों की संख्या बढ़ती गई तो बरेली के स्वास्थ्य विभाग को चिंता की बात होगी

रंजीत शर्मा
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