बरेली: 'सरकार जल है तो कल है' का नारा देकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही पानी के स्रोतों को बढ़ाने पर काम कर रही है. इसी के तहत गांव और शहरों में म्रत हो चुके तालाब और नदियों की खुदवाई कराई जा रही है, जिससे जल स्तर बना रहे और आने वाले दिनों में पानी का संकट पैदा न हो. लेकिन कुछ उद्योग दिन रात पानी की बवार्दी कर रहे हैं, जिस वजह से कई इलाके अतिदोहित ऑरेंज जोन में पहुंच गये है.
यहां के किसानों को न सिंचाई के लिए पानी मिल पा रहा है और न पीने के लिए साफ जल. जिम्मेदार अफसर भी अपने काम के प्रति जिम्मेदारी नहीं निभाते और जेब गरम कर पब्लिक को मौत के मुंह में जाने के लिए छोड़ देते हैं. ऐसे में फैक्ट्री प्रबंधन तो जमकर फलता फूलता है. लेकिन मारा जा रहा है गरीब किसान और नौजवान. हालांकि अब किसान भी जागरूक हो गया है और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने लगा है.
बरेली की इफको आंवला (IFFCO Aonla Bareilly) में भी रोजगार और पानी की समस्या को लेकर किसानों ने फैक्ट्री प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. किसान लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर इफको के पास धरना प्रर्दशन कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के बरेली में करीब 3 दशक पहले इफको यूनिट लगाई गई थी. उस समय यहां के किसानों को लगा था कि अब उनका इलाका विकास करेगा, उन्हें रोजगार मिलेगा, बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ेंगे और विकास करेंगे. लेकिन उन्हें यह अंदाजा भी नहीं था कि जिस फैक्ट्री को वे अपना भविष्य मान रहे हैं वह फैक्ट्री उनके जीवन में तमाम तरह की परेशानियां पैदा कर देगी. उनसे पीने का जल और खेतों में सिंचाई का पानी भी छीन लेगी. हुआ भी यही, अब किसान फैक्ट्री को अपनी जमीन देकर पछता रहे हैं. किसानों का आरोप है कि उनकी जमीन भी चली गई और उन्हें रोजगार भी नहीं मिला.
हाड कांपती ठंड के बीच किसान इफको आंवला गेट के पास अपनी मांगों को लेकर डटे हैं. किसानों को कहना है कि जब तक भूदाताओं को नौकरी नहीं दी जाती, वे धरने से नहीं हटेंगे. बारिश और कोहरे समेत कई परेशानियों के बावजूद किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
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किसानों का आरोप है कि फैक्ट्री द्वारा बड़ी मात्रा में जल का दोहन किया जा रहा है, जिसके चलते आलमपुर जाफरा ऑरेंज जोन में पहुंच गया है. छोटे नलों में पानी आना बंद हो गया है और जिन नलों में पानी आ भी रहा है, उनका पानी पीने योग्य नहीं है. इलाके में सिंचाई की बड़ी समस्या पैदा हो गई है.
गरीब किसान अपने खेतों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं. पहले जिन बोरिंगों में पचास फिट के आसपास पानी मिल जाता था, अब इफको फैक्ट्री के अत्याधिक जल देाहन की वजह से सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है.
किसानो का आरोप है कि मिल ने पहले उनसे रोजगार देने का आश्वासन देकर जमीन ली और रोजगार भी नहीं दिया. जिन किसानों के पास थोड़ी बहुत जमीन बची भी है, उन्हें अब सिंचाई के लिये पानी नहीं मिल पा रहा है.
किसानों का उनका आरोप है कि मिल प्रबंधन उन्हें रोजगार न देकर बाहर के लोगों से काम ले रहा है और उन्हें रोजगार नहीं दे रहा. हालांकि अब किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन किसानों के सर्मथन में उतर आया है, जिससे किसानों को न्याय मिलने की उम्मीद है.