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किसानों के लिए वरदान साबित हो रही 'पराली'

पराली की समस्या से हर कोई वाकिफ है, लेकिन अब यही समस्या किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है. बरेली जिले के किसान इस पराली से जैविक खाद बनाकर अपनी आय बढ़ा रहे हैं. देखिए ये खास रिपोर्ट...

organic manure from parali
किसानों के लिए वरदान साबित हो रही पराली.
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Published : Jan 20, 2021, 10:24 PM IST

बरेली : भले ही देश में किसान कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और लगातार अपनी मांगों को सरकार के सामने रख रहे हैं, वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो अपनी खेती के साथ-साथ आय के और भी साधन जुटाने में लगे हुए हैं. बरेली में हाफिजगंज थाना क्षेत्र में कुछ किसानों ने पराली को मशरूम उगाने के काम में लिया है, जिससे उनकी जीविका और बेहतर ढंग से चलने लगी है.

स्पेशल रिपोर्ट...

आय का जरिया बनी पराली
पर्यावरण के लिए मुसीबत बनी पराली अब आय का जरिया बनने लगी है. बरेली जिले में दर्जनों किसान पराली को जैविक खाद में बदलकर उसकी बिक्री कर रहे हैं. इस नई तरकीब से कमाई होने के साथ पर्यावरण प्रदूषण पर भी लगाम लग रहा है. पराली को सड़ा कर बनाई गई जैविक खाद की अच्छी डिमांड है. मशरूम का उत्पादन करने वाले किसानों के बीच यह खाद खूब लोकप्रिय हो रही है.

organic manure from parali
किसान सर्वेश गंगवार.

सस्ता है तरीका
हाफिजगंज क्षेत्र के गांव ग्रेम में पराली से जैविक खाद बनाने वाले सर्वेश गंगवार ने बताया कि यह तरीका बहुत सस्ता है. पराली और वेस्ट-डीकम्पोजर की मदद से बहुत कम खर्च पर जैविक खाद बनाई जा सकती हैं. यह खाद खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में कारगर है. सर्वेश की ही तरह कई अन्य किसान भी इस काम से जुड़े हुए हैं.

organic manure from parali
जैविक खाद में उगा मशरूम.

पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी
कृषि विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक, इस साल पराली जलाने की घटनाओं में कई गुना कमी आई. जिला कृषि अधिकारी धीरेन्द्र कुमार का कहना है कि किसानों की बदलती सोच से पराली का बेहतर प्रबंधन संभव हुआ है. खेत में जलाने की जगह किसान अब पराली का अलग-अलग तरह से उपयोग कर रहे हैं. किसानों की बदलती सोच से पराली अब मुसीबत की जगह फायदेमंद चीज बन चुकी है. कई किसान इससे आय भी अर्जित कर रहे हैं. पराली जलाने की घटनाओं में भी कमी आई है.

बरेली : भले ही देश में किसान कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और लगातार अपनी मांगों को सरकार के सामने रख रहे हैं, वहीं कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो अपनी खेती के साथ-साथ आय के और भी साधन जुटाने में लगे हुए हैं. बरेली में हाफिजगंज थाना क्षेत्र में कुछ किसानों ने पराली को मशरूम उगाने के काम में लिया है, जिससे उनकी जीविका और बेहतर ढंग से चलने लगी है.

स्पेशल रिपोर्ट...

आय का जरिया बनी पराली
पर्यावरण के लिए मुसीबत बनी पराली अब आय का जरिया बनने लगी है. बरेली जिले में दर्जनों किसान पराली को जैविक खाद में बदलकर उसकी बिक्री कर रहे हैं. इस नई तरकीब से कमाई होने के साथ पर्यावरण प्रदूषण पर भी लगाम लग रहा है. पराली को सड़ा कर बनाई गई जैविक खाद की अच्छी डिमांड है. मशरूम का उत्पादन करने वाले किसानों के बीच यह खाद खूब लोकप्रिय हो रही है.

organic manure from parali
किसान सर्वेश गंगवार.

सस्ता है तरीका
हाफिजगंज क्षेत्र के गांव ग्रेम में पराली से जैविक खाद बनाने वाले सर्वेश गंगवार ने बताया कि यह तरीका बहुत सस्ता है. पराली और वेस्ट-डीकम्पोजर की मदद से बहुत कम खर्च पर जैविक खाद बनाई जा सकती हैं. यह खाद खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में कारगर है. सर्वेश की ही तरह कई अन्य किसान भी इस काम से जुड़े हुए हैं.

organic manure from parali
जैविक खाद में उगा मशरूम.

पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी
कृषि विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक, इस साल पराली जलाने की घटनाओं में कई गुना कमी आई. जिला कृषि अधिकारी धीरेन्द्र कुमार का कहना है कि किसानों की बदलती सोच से पराली का बेहतर प्रबंधन संभव हुआ है. खेत में जलाने की जगह किसान अब पराली का अलग-अलग तरह से उपयोग कर रहे हैं. किसानों की बदलती सोच से पराली अब मुसीबत की जगह फायदेमंद चीज बन चुकी है. कई किसान इससे आय भी अर्जित कर रहे हैं. पराली जलाने की घटनाओं में भी कमी आई है.

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