बरेली: कोरोना महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया था. इस संकट के दौर में करीब तीन महीने तक बिना कामकाज के लोगों को अपना समय घर रहकर बिताना पड़ा. लॉकडाउन में लोगों का रोजगार छिन गया. ऐसे में लोगों के सामने बड़ा आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है, जबकि प्राइवेट स्कूल प्रबंधन अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं.
दरअसल, कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के चलते देश में तकरीबन तीन महीने तक लॉकडाउन रहा. लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए. ऐसे में बेरोजगार लोगों ने कोरोना के खौफ को अपनी रोजी-रोटी का जरिया बनाया था और अच्छा मुनाफा भई कमाया. कई बेरोजगार लोगों ने सड़कों पर मास्क की दुकान लगाकर दो वक्त की रोटी का इंतजाम किया.
अनलॉक-1 में मास्क की बिक्री हुई कम
बरेली में कई ऐसे लोग हैं, जिनका व्यवसाय बंद होने के बाद दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना मुश्किल था, लेकिन बुरे हालात के चलते उन्होंने अपना पुराना व्यवसाय छोड़कर मास्क बनाकर बेचना शुरू किया. शुरुआती दौर में मास्क की मांग ज्यादा थी, पर अनलॉक-1 से इसकी बिक्री में कमी आई है.
स्थानीय मास्क विक्रेताओं ने बताया कि मौजूदा समय मे एन-95 की तरह दिखने वाला मास्क 25 से 30 रुपये में बेचा जा रहा है. वहीं कपड़े से बने मास्क 10 से 20 रुपये में बेचे जा रहे हैं. अब जब धीरे-धीरे अनलॉक की तरफ देश बढ़ रहा है, वैसे ही मास्क की बिक्री में कमी हुई है. हालांकि कोरोना मरीजों की संख्या में रिकॉर्ड इजाफा देखने को मिल रहा है.