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"किसान और सरकार दोनों समझदार"

बरेली में ईटीवी भारत की टीम ने किसानों से तीन कानूनों को लेकर चर्चा की. जिसके बाद किसानों ने इस पर अलग अलग विचार रखे हैं. कुछ किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ सरकार का. वहीं कुछ किसान किसानों का समर्थन तो कर रहे हैं, लेकिन आंदोलन का नहीं.

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Published : Feb 1, 2021, 2:04 PM IST

Updated : Feb 1, 2021, 4:24 PM IST

किसानों से ईटीवी की खास बात-चीत
किसानों से ईटीवी की खास बात-चीत

बरेली: कृषि कानूनों के विरोध को लेकर गतिरोध बरकरार है. अभी भी किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर कानून वापसी की मांग को लेकर आंदोलन जारी है. कानूनों को वापसी को लेकर किसान संगठनों की इस मांग का विपक्षी पार्टियां भी समर्थन कर रही हैं. बरेली में ईटीवी भारत ने अलग अलग क्षेत्र में किसानों से इस बारे में चर्चा की. जिसमें कई किसान सरकार से कानूनों को वापस करने की मांग करते दिखे, तो कहीं कई किसान सरकार के कदम को सही ठहराते दिखाई दिए. देखिये ईटीवी भारत की ये ग्राउंड रिपोर्ट...

किसानों ने रखी अपनी राय

हिंसा से अन्नदाता भी दुखी

गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च के दौरान कुछ आसामाजिक तत्वों ने हंगामा कर दिया. उसके बाद से देखा जा रहा है कि कई किसान संगठन इस आंदोलन से खुद को अलग करते दिखाई दिए. 26 जनवरी को दिल्ली में जिस तरह माहौल को खराब करने की कोशिशें कुछ लोगों के द्वारा की गई, उसके बाद अब अन्नदाता भी बेहद दुखी हैं.

किसानों से की बात

ईटीवी भारत ने बरेली में किसानों से इस मुद्दे पर चर्चा की. एक मत होकर हर किसी किसान ने 26 जनवरी के मौके पर हुई घटना की निंदा की है. सियासी पार्टियों ने सत्ताधारी दल का विरोध भी तेज कर दिया है. ऐसे में किसानों की क्या राय है, यही समझने ईटीवी भारत ने किसानों से चर्चा कर उनके मन की बात जानने की कोशिश की.

ये है किसानों का कहना

यूपी की सीमा पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद आंदोलन ने एक नई तेजी पकड़ ली है. एक बार फिर से ये आंदोलन तेज होता जा रहा है. विपक्षी पार्टियों के बड़े प्रमुख नेता दिल्ली की सीमा पर लगातार किसानों के आंदोलन को समर्थन देने और आंदोलन को धार देने में लगे हैं. किसानों में भी इस मुद्दे पर अलग-अलग राय है

कुछ ने सरकार को ठहराया सही

बरेली के कुछ किसानों ने कृषि कानून के समर्थन में हम से चर्चा की. उन्होंने कहा कि सरकार जो भी कर रही है, किसानों के हित के लिए ही कर रही है. कुछ ने तो यहां तक भी कहा कि पीएम मोदी कुछ गलत नहीं होने देंगे.

आंदोलन को सही ठहरा रहे किसान

किसानों ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं. किसानों का कहना है कि जब किसान को ये कानून समझ नहीं आ रहे तो सरकार क्यों नहीं इस बात पर विचार कर पा रही. किसानों ने बताया कि वो किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हैं.

आंदोलन हो लेकिन शांतिपूर्ण

कृषि कानूनों को लेकर किसानों से चर्चा की तो उन्होंने ये भी बताया कि वो किसानों के उग्र आंदोलन के पक्ष में नहीं हैं. हालांकि कृषि कानूनों पर सरकार को किसान की बात स्वीकार कर कानून वापस लेने चाहिए.

सरकार पर भी किसानों ने जताया भरोसा

कुछ किसान ऐसा भी कहते दिखे कि सरकार सही है पीएम मोदी पर उन्हें भरोसा है. आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से किया जाए तो कोई दिक्कत नहीं है. हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है. युवा किसान सतेंद्र गंगवार का कहना है कि सरकार जो भी कर रही है देश हित में कर रही है. उन्होंने कहा कि कृषि कानून भी किसान के लिए ठीक ही होंगे.

किसान पेश कर रहे अपने तर्क

भोजीपुरा ब्लॉक के रहने वाले किसान असरफ अली ने बताया कि जो सरकार में मंत्री बैठे हैं, वो बेशक समझदार हैं. जो इन कृषि कानूनों का विरोध करके सरकार से कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं, वो भी बुद्धिमान लोग हैं. लिहाजा सरकार को समझना चाहिए. वहीं कुछ किसानों का कहना है कि वो आंदोलन का समर्थन नहीं करते, लेकिन वो किसानों की मांग का जरूर समर्थन करते हैं.

बरेली: कृषि कानूनों के विरोध को लेकर गतिरोध बरकरार है. अभी भी किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर कानून वापसी की मांग को लेकर आंदोलन जारी है. कानूनों को वापसी को लेकर किसान संगठनों की इस मांग का विपक्षी पार्टियां भी समर्थन कर रही हैं. बरेली में ईटीवी भारत ने अलग अलग क्षेत्र में किसानों से इस बारे में चर्चा की. जिसमें कई किसान सरकार से कानूनों को वापस करने की मांग करते दिखे, तो कहीं कई किसान सरकार के कदम को सही ठहराते दिखाई दिए. देखिये ईटीवी भारत की ये ग्राउंड रिपोर्ट...

किसानों ने रखी अपनी राय

हिंसा से अन्नदाता भी दुखी

गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च के दौरान कुछ आसामाजिक तत्वों ने हंगामा कर दिया. उसके बाद से देखा जा रहा है कि कई किसान संगठन इस आंदोलन से खुद को अलग करते दिखाई दिए. 26 जनवरी को दिल्ली में जिस तरह माहौल को खराब करने की कोशिशें कुछ लोगों के द्वारा की गई, उसके बाद अब अन्नदाता भी बेहद दुखी हैं.

किसानों से की बात

ईटीवी भारत ने बरेली में किसानों से इस मुद्दे पर चर्चा की. एक मत होकर हर किसी किसान ने 26 जनवरी के मौके पर हुई घटना की निंदा की है. सियासी पार्टियों ने सत्ताधारी दल का विरोध भी तेज कर दिया है. ऐसे में किसानों की क्या राय है, यही समझने ईटीवी भारत ने किसानों से चर्चा कर उनके मन की बात जानने की कोशिश की.

ये है किसानों का कहना

यूपी की सीमा पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के भावुक होने के बाद आंदोलन ने एक नई तेजी पकड़ ली है. एक बार फिर से ये आंदोलन तेज होता जा रहा है. विपक्षी पार्टियों के बड़े प्रमुख नेता दिल्ली की सीमा पर लगातार किसानों के आंदोलन को समर्थन देने और आंदोलन को धार देने में लगे हैं. किसानों में भी इस मुद्दे पर अलग-अलग राय है

कुछ ने सरकार को ठहराया सही

बरेली के कुछ किसानों ने कृषि कानून के समर्थन में हम से चर्चा की. उन्होंने कहा कि सरकार जो भी कर रही है, किसानों के हित के लिए ही कर रही है. कुछ ने तो यहां तक भी कहा कि पीएम मोदी कुछ गलत नहीं होने देंगे.

आंदोलन को सही ठहरा रहे किसान

किसानों ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए हैं. किसानों का कहना है कि जब किसान को ये कानून समझ नहीं आ रहे तो सरकार क्यों नहीं इस बात पर विचार कर पा रही. किसानों ने बताया कि वो किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हैं.

आंदोलन हो लेकिन शांतिपूर्ण

कृषि कानूनों को लेकर किसानों से चर्चा की तो उन्होंने ये भी बताया कि वो किसानों के उग्र आंदोलन के पक्ष में नहीं हैं. हालांकि कृषि कानूनों पर सरकार को किसान की बात स्वीकार कर कानून वापस लेने चाहिए.

सरकार पर भी किसानों ने जताया भरोसा

कुछ किसान ऐसा भी कहते दिखे कि सरकार सही है पीएम मोदी पर उन्हें भरोसा है. आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से किया जाए तो कोई दिक्कत नहीं है. हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है. युवा किसान सतेंद्र गंगवार का कहना है कि सरकार जो भी कर रही है देश हित में कर रही है. उन्होंने कहा कि कृषि कानून भी किसान के लिए ठीक ही होंगे.

किसान पेश कर रहे अपने तर्क

भोजीपुरा ब्लॉक के रहने वाले किसान असरफ अली ने बताया कि जो सरकार में मंत्री बैठे हैं, वो बेशक समझदार हैं. जो इन कृषि कानूनों का विरोध करके सरकार से कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं, वो भी बुद्धिमान लोग हैं. लिहाजा सरकार को समझना चाहिए. वहीं कुछ किसानों का कहना है कि वो आंदोलन का समर्थन नहीं करते, लेकिन वो किसानों की मांग का जरूर समर्थन करते हैं.

Last Updated : Feb 1, 2021, 4:24 PM IST
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