बरेलीः 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बम्पर जीत दर्ज की थी. अगर बात करें बरेली की तो यहां पर भाजपा ने सभी 9 सीट जीतकर गठबंधन और बसपा को करारा झटका दिया था. मोदी लहर के सामने बसपा और गठबंधन का कोई भी प्रत्याशी टिक नहीं पाया. बीजेपी की आंधी का आलम यह कि सपा और बसपा के सभी मौजूदा विधायकों को हार का मुंह देखना पड़ा. बरेली के 9 विधानसभाओं में से एक भोजीपुरा विधानसभा है. जिसके विधायक हैं, भाजपा के बहोरन लाल मौर्य. 2017 के विधानसभा चुनाव सपा के शहजिल इस्लाम को हरा कर जीत हासिल की थी.
भोजीपुरा विधानसभा 120
विधानसभा क्षेत्र के कस्बाई इलाकों में तो विकास दिखता है, लेकिन ग्रामीण इलाके अभी भी विकास के लिए तरस रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में सड़क और बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है. शिक्षा के क्षेत्र में भी इलाका पिछड़ा हुआ है. विधानसभा क्षेत्र में तीन-तीन हाइवे होने के कारण निजी मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज तो खुल गए हैं, लेकिन उच्च सरकारी शिक्षण संस्थाओं का आभाव है. बारिश के दिनों में भी यहां के ग्रामीणों को बाढ़ की समस्या से निपटना पड़ता है. युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए शहर जाना पड़ता है.
राजनितिक इतिहास
बरेली की 9 विधानसभा में से एक है भोजीपुरा विधानसभा सीट. इस विधानसभा की खास बात यह है कि इस विधानसभा सीट पर कभी किसी एक पार्टी का कब्जा नहीं रहा, लेकिन इस सीट पर आजादी से अब तक 16 चुनाव हुए हैं. जिनमें से 12 बार कुर्मी बिरादरी के प्रत्याशी को जीत हासिल की है. जबकि तीन बार मुस्लिम और एक बार मौर्य बिरादरी के प्रत्याशी ने जीत हासिल की है. इस विधानसभा में कुर्मी और मुस्लिम मतदाता निर्याणक भूमिका निभाते हैं.
1957 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के बाबूराम ने जीत हासिल की थी, लेकिन 1962 में जनसंघ के हरीश गंगवार ने कांग्रेस के बाबूराम को हरा कर सीट जनसंघ के खाते में डाल दी. 1967 तक ये सीट हरीश गंगवार के पास ही रही. 1969 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर अपना कब्जा जमाया, लेकिन 1974 में भारतीय जनसंघ ने फिर सीट अपने नाम कर ली. 1977 में निर्दलीय हामिद रजा खान ने इस सीट पर जीत हासिल की. 1980 और 1985 में हुए चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा.
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1989 में कांग्रेस से ये सीट छीनने के बाद फिर कभी कांग्रेस का प्रत्याशी इस सीट पर चुनाव नहीं जीत पाया. 1989 में जनता दल के नागेन्द्र प्रताप ने यहां से चुनाव जीता. 1991 में रामंदिर आंदोलन का असर इस सीट पर भी देखने को मिला और भाजपा ने यहां पर पहली बार जीत हासिल की. भजपा से कुंवर सुभाष पटेल ने इस सीट पर जीत हासिल की, लेकिन 1993 में सपा ने ये सीट भाजपा से छीन ली और हरीश कुमार गंगवार सपा से विधायक बने. जिसके बाद 1996 में बीजेपी के बहोरन लाल मौर्य जीते.
2002 में हुए चुनाव में एक बार फिर ये सीट बीजेपी के हाथों से छिन गई और सपा के वीरेंद्र सिंह विधायक बने. 2007 में हुए चुनाव में बसपा ने भी इस सीट पर अपनी मौजूदगी दिखाई और शहजिल इस्लाम बसपा से विधायक बने. जिसके बाद 2012 के चुनाव में शहजिल बसपा छोड़ आईएमसी से शामिल हो गए और एक बार फिर सीट से विधायक चुने गए. शहजिल ने 32.55 प्रतिशत वोट हासिल कर सपा के वीरेंद्र सिंह गंगवार को 18 हजार मतों से हराया. मौजूदा समय में इस सीट पर भजपा के विधायक बहोरन लाल मौर्य का कब्जा है. बहोरन लाल मौर्य ने सपा के शहजिल इस्लाम अंसारी को 27764 मतो से हरा कर जीत हासिल की थी. 2017 के लोकसभा चुनाव में बहोरन लाल मौर्य को 100381 वोट और शहजिल को 72617 वोट मिले थे.
मतदाता
भोजीपुरा विधानसभा की आबादी चार लाख से ज्यादा है, जिसमें लगभग 3 लाख 46 हजार 535 मतदाता हैं.
कुल मतदाता | 3,46,535 |
पुरुष मतदाता | 1,89,013 |
महिला मतदाता | 1,57,513 |
अन्य | 09 |
जातिगत मतदाता
जाति | मतदाता संख्या |
मुस्लिम | 90 हजार |
कुर्मी | 75 हजार |
एससी | 30 हजार |
यादव | 15 हजार |
मौर्य | 15 हजार |
कश्यप | 10 हजार |
साहू | 12 हजार |
लोध किसान | 15 हजार |
ब्राह्मण | 05 हजार |
ठाकुर | 06 हजार |
जाट | 04 हजार |
क्षेत्र के प्रमुख स्थान
भोजीपुरा विधानसभा क्षेत्र में एसआरएमएस मेडिकल कालेज, सेमीखेड़ा चीनी मिल और भोजीपुरा इंडस्ट्रियल एरिया, भोजीपुरा जंक्शन है.