बरेली : जिले के बारादरी थाना क्षेत्र में रहने वाले बुजुर्ग राम नारायण सैनी अपनी बुजुर्ग पत्नी, बेटे, बहू और उनके दो मासूम बच्चों के साथ हंसी-खुशी रहते थे. बेटा स्वास्थ्य विभाग में तैनात था. अप्रैल में बुजुर्ग राम नारायण के परिवार पर कोरोना मुसीबतों का पहाड़ बनकर टूटा. पहले 17 अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग में तैनात उनके जवान बेटे दीपक की कोरोना से मौत हो गयी. बेटे की मौत के बाद घर के सभी लोग टूट गए. घर में मातम छा गया. बेटे की मौत से पिता भी टूटने लगे. बेटे दीपक का दसवां संस्कार करने के बाद उनकी भी तबीयत खराब होने लगी. जिसके बाद 28 अप्रैल को राम नारायण की भी मौत हो गई. घर में बचे बुजुर्ग की भी मौत होने के बाद परिवार में कोहराम मच गया.
बुजुर्ग की मौत के बाद नहीं आया कोई मदद के लिए
बुजुर्ग राम नारायण सैनी की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए कोई अपना नहीं आया. न तो रिश्तेदार और न ही पड़ोसी. हर किसी ने कोरोना के खौफ के चलते मुंह मोड़ लिया. घर में बची बुजुर्ग बीमार पत्नी और बेटे की बहू जो पहले से ही पति की मौत के दुख में डूबी थी, अब जब ससुर की भी मौत हो गयी तो वो इस स्थिति में नहीं थी कि वो उनका अंतिम संस्कार कर सके.
पड़ोसी युवती ने किया अंतिम संस्कार
मृतक के पड़ोस में रहने वाली एक युवती ने बुजुर्ग का शव श्मशान तक पहुंचाया. इसके बाद श्मशान घाट पर तैनात कर्मचारियों की मदद से युवती ने बुजुर्ग का अंतिम संस्कार किया. युवती ने खुद लकड़ियां उठाकर रखवायीं और पूरे विधि-विधान के साथ बुजुर्ग का अंतिम संस्कार किया.
बुजुर्ग का भतीजा दूर खड़ा देखता रहा
बताया जा रहा है कि जिस समय राम नारायण सैनी के शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान भूमि पर लेकर आए तो उनके शव के साथ उनका भतीजा भी आया था. उसने किसी भी तरह की मदद नहीं की बल्कि दूर खड़ा देखता रहा. गुलाब बड़ी श्मशान भूमि के प्रभारी गिरीश चंद सिन्हा ने बताया कि वह लंबे समय से श्मशान भूमि पर हैं पर यह पहली बार देखा कि यहां एक युवती ने बुजुर्ग का अंतिम संस्कार कराया.
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