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जबरन धर्मांतरण करा निकाह करना इस्लाम में गुनाह, फतवा जारी

लव जिहाद के खिलाफ विश्व प्रसिद्ध दरगाह आला हजरत से फतवा जारी हुआ है. इस फतवे में कहा गया है कि दूसरे धर्म की लड़की का जबरन धर्मांतरण कराना इस्लाम में हराम है. ऐसे लोगों की इस्लाम में कोई जगह नहीं है.

जारी हुुआ फतवा
जारी हुुआ फतवा
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Published : Dec 2, 2020, 6:27 PM IST

बरेली: देश भर में लव जिहाद को लेकर बहस छिड़ी हुई है. हाल ही में देश भर में कई लव जिहाद के मामले भी सामने आ चुके हैं. इतना ही नहीं लव जिहाद को लेकर अब संसद में कानून बनाने की मांग तक उठने लगी है. वहीं प्रदेश की योगी सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ कानून बना भी दिया है, लेकिन लव जिहाद के बढ़ते मामलों के बाद सुन्नी बरेलवी मसलक की सबसे बड़ी दरगाह आला हजरत ने पहल करते हुए फतवा जारी किया है. इस फतवे में कहा गया है कि जबरन किसी गैर धर्म की लड़की का धर्मांतरण कराना या उससे जबरन निकाह करना नाजायज है.

जानकारी देते राष्ट्रीय सुन्नी उलमा काउंसिल के अध्यक्ष इंतजार अहमद कादरी.

राष्ट्रीय सुन्नी उलामा काउंसिल के अध्यक्ष इंतजार अहमद कादरी ने दरगाह आला हजरत के दारुल इफ्ता से सवाल किया था कि

1- क्या इस्लामी शरीयत में लव जिहाद का कोई महत्व है, क्या छल, फरेब, धोखा और दबाव में लेकर किसी गैर मुस्लिम लड़की से मुस्लिम लड़का शादी कर सकता है?

2- क्या कोई मुस्लिम लड़का दबाव और जोर-जबरदस्ती से किसी गैर मुस्लिम लड़की का धर्म परिवर्तन करवा सकता है?

3- जिन लोगों ने अपना मकसद और उल्लू सीधा करने के लिए इस्लाम का गलत इस्तेमाल किया, ऐसे लोगों के लिए इस्लामिक शरीयत में क्या हुक्म है?

फतवे में दिए जवाब

लव जिहाद के बढ़ते मामलों के बाद सुन्नी बरेलवी मसलक की सबसे बड़ी दरगाह आला हजरत से जारी हुए फतवे में इन सवालों के जवाब में कहा गया है कि-

इस्लामी शरीयत में लव जिहाद नाम की कोई चीज न पहले थी न आज है. जिस तरीके से लव जिहाद को दुनिया के सामने पेश किया जा रहा है, इस्लाम उसका खंडन करता है. ऐसे लोग जो जबरन किसी लड़की का धर्मांतरण कराते हैं और जबरन उससे निकाह या शादी करते हैं इस्लाम में ऐसे लोगो की कोई जगह नहीं है. खुद मुस्लिम लड़की तक से उसकी बगैर मर्जी के निकाह की इस्लाम इजाजत नहीं देता है. फतवे में कहा गया है कि इस्लाम में ऐसे लोगों को 100 कोड़े मारने की सजा है और अगर 10 कोड़ों में उसकी मौत हो जाती है तो भी उसकी लाश को 90 कोड़े मारे जाएं. ऐसे लोग जो इस्लाम के नाम पर अपना मकसद और उल्लू सीधा करते हैं, ऐसे लोगों की इस्लाम में कोई जगह नहीं है. इस्लाम से ऐसे लोगों को खारिज किया जाता है.

गौरतलब है की लव जिहाद कानून बनने के बाद पहला मुकदमा बरेली के देवरनिया थाने में दर्ज किया गया था. हालांकि इस तरह के फतवे पहले भी जारी होते रहे हैं, लेकिन देखने वाली बात ये होगी की लोग इस फतवे का कितना पालन करते हैं.

बरेली: देश भर में लव जिहाद को लेकर बहस छिड़ी हुई है. हाल ही में देश भर में कई लव जिहाद के मामले भी सामने आ चुके हैं. इतना ही नहीं लव जिहाद को लेकर अब संसद में कानून बनाने की मांग तक उठने लगी है. वहीं प्रदेश की योगी सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ कानून बना भी दिया है, लेकिन लव जिहाद के बढ़ते मामलों के बाद सुन्नी बरेलवी मसलक की सबसे बड़ी दरगाह आला हजरत ने पहल करते हुए फतवा जारी किया है. इस फतवे में कहा गया है कि जबरन किसी गैर धर्म की लड़की का धर्मांतरण कराना या उससे जबरन निकाह करना नाजायज है.

जानकारी देते राष्ट्रीय सुन्नी उलमा काउंसिल के अध्यक्ष इंतजार अहमद कादरी.

राष्ट्रीय सुन्नी उलामा काउंसिल के अध्यक्ष इंतजार अहमद कादरी ने दरगाह आला हजरत के दारुल इफ्ता से सवाल किया था कि

1- क्या इस्लामी शरीयत में लव जिहाद का कोई महत्व है, क्या छल, फरेब, धोखा और दबाव में लेकर किसी गैर मुस्लिम लड़की से मुस्लिम लड़का शादी कर सकता है?

2- क्या कोई मुस्लिम लड़का दबाव और जोर-जबरदस्ती से किसी गैर मुस्लिम लड़की का धर्म परिवर्तन करवा सकता है?

3- जिन लोगों ने अपना मकसद और उल्लू सीधा करने के लिए इस्लाम का गलत इस्तेमाल किया, ऐसे लोगों के लिए इस्लामिक शरीयत में क्या हुक्म है?

फतवे में दिए जवाब

लव जिहाद के बढ़ते मामलों के बाद सुन्नी बरेलवी मसलक की सबसे बड़ी दरगाह आला हजरत से जारी हुए फतवे में इन सवालों के जवाब में कहा गया है कि-

इस्लामी शरीयत में लव जिहाद नाम की कोई चीज न पहले थी न आज है. जिस तरीके से लव जिहाद को दुनिया के सामने पेश किया जा रहा है, इस्लाम उसका खंडन करता है. ऐसे लोग जो जबरन किसी लड़की का धर्मांतरण कराते हैं और जबरन उससे निकाह या शादी करते हैं इस्लाम में ऐसे लोगो की कोई जगह नहीं है. खुद मुस्लिम लड़की तक से उसकी बगैर मर्जी के निकाह की इस्लाम इजाजत नहीं देता है. फतवे में कहा गया है कि इस्लाम में ऐसे लोगों को 100 कोड़े मारने की सजा है और अगर 10 कोड़ों में उसकी मौत हो जाती है तो भी उसकी लाश को 90 कोड़े मारे जाएं. ऐसे लोग जो इस्लाम के नाम पर अपना मकसद और उल्लू सीधा करते हैं, ऐसे लोगों की इस्लाम में कोई जगह नहीं है. इस्लाम से ऐसे लोगों को खारिज किया जाता है.

गौरतलब है की लव जिहाद कानून बनने के बाद पहला मुकदमा बरेली के देवरनिया थाने में दर्ज किया गया था. हालांकि इस तरह के फतवे पहले भी जारी होते रहे हैं, लेकिन देखने वाली बात ये होगी की लोग इस फतवे का कितना पालन करते हैं.

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