बरेली : देशभर में पांव पसार रहे बर्डफ्लू का अभी तक उत्तर प्रदेश में कोई मामला सामने नहीं आया है. बरेली में स्थित भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) में बुधवार तक प्रदेश के कई मंडलों से आए सैंपल की जांच में बर्ड फ्लू संक्रमण नहीं मिला है. कई और जगह से लगातार सैंपल पहुंच रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि खतरा बरकरार है और सतर्कता की जरुरत है. वहीं पोल्ट्रीफार्म में बर्ड फ्लू संक्रमण को रोकने के लिए केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) ने एडवाइजरी जारी कर पोल्ट्रीफार्मर जैव सुरक्षा का सख्ती से पालन करने के लिए कहा है.
आईवीआरआई के सेंटर फॉर एनिमल डिजीज रिसर्च एंड डायग्नोसिस (कैडरेड) में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से बर्ड फ्लू की जांच के लिए सैंपल आते हैं. अभी बरेली मंडल, कानपुर मंडल और वाराणसी मंडल के सैंपल की जांच के लिए आईवीआरआई में सैंपल भेजे गए थे. कैडरेड में मौजूद बायो सेफ्टी लेवल (बीएसएल 3) लैब में कोरोना के सैंपल की जांच कराई गई है. आईवीआरआई प्रशासन का कहना है कि किसी भी सैंपल में बर्ड फ्लू के लक्षण नहीं मिले हैं. हालांकि खतरा बरकरार है. देश के सबसे बड़े पक्षी अनुसंधान संस्थान सीएआरआई ने बर्ड फ्लू को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया है. पोल्ट्रीफार्म के लिए वैज्ञानिकों के नंबर भी जारी किए गए हैं.
दूसरी तरफ कोरोना काल में हुए नुकसान से उबर रहे चिकन के व्यापारी इस नए झटके से चिंतित हैं. बर्ड फ्लू की वजह से चिकन का कारोबार पर असर पड़ना शुरू हो गया है. खुद केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान ने कर्ड बर्ड यानि कि समयसीमा पार कर चुकी जिंदा मुर्गियों की बिक्री रोक दी है. बरेली में अभी बर्ड फ्लू के कारण अभी चिकन कारोबार पर ज्यादा असर नहीं दिख रहा है, पर प्रदेश में बर्ड फ्लू का मामला आया तो कारोबारियों को कोरोना के बाद दूसरा झटका लगेगा.
सीएआरआई के वैज्ञानिकों ने बताया कि बर्डफ्लू के संक्रमण को रोकने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. पोल्ट्रीफार्मर को फार्म पर बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगाने, बायो सिक्योरिटी मानकों का ख्याल रखने और पक्षियों की सेहत पर कड़ी निगरानी के लिए कहा गया है. फार्म पर दाना पानी खुला न रखने और फार्म के आस-पास रिफ्लेक्टर लगाने के निर्देश दिए गए हैं ताकि कोई पक्षी उड़कर फार्म में न पहुंचे.