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बरेली: तीन तलाक कानून का असर, शरई अदालतों में मसलों की संख्या में हुई 60 फीसद कमी

देश में तीन तलाक पर कानून बनने के बाद से मामलों में काफी कमी आई है. कानून आने के बाद से पीड़िताएं न्याय के लिए शरई अदालतों के बजाय थाने में न्याय की गुहार लगा रही हैं.

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Published : Dec 1, 2019, 1:50 PM IST

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तीन तलाक कानून का दिखा असर.

बरेली: तीन तलाक पर लागू कानून मुस्लिम महिलाओं की ताकत बन रहा है. इसका असर देश भर की शरई अदालतों में महसूस किया जा सकता है. उ. प्र. सहित अन्य राज्यों में शरई अदालतें अब सूनी होने लगी हैं. सुन्नी मुस्लिमों का मरकज कहे जाने वाली उत्तर प्रदेश के बरेली की आला हजरत दरगाह से जुड़ी सभी पांच शरई अदालतों में ऐसे मसलों की संख्या 60 फीसद कम हो गई है.

तीन तलाक के मामलों में आई कमीं
कानून लागू होने के बाद से बरेली की पांचो शरई अदालतों में भी हर रोज एक-दो मसले ही आ रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या 5-6 तक होती थी. देशभर की 62 शरई अदालतों में सूनापन छाया हुआ है और मुस्लिम महिलाओं के हक की गवाही दे रहा है. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम-2019, 19 सितंबर 2018 को अध्यादेश के रूप में लाया गया था.

तीन तलाक कानून का दिखा असर.

महिलाओं को मिली बड़ी राहत
इसे संसद ने एक अगस्त 2019 को प्रभावी कर दिया. तब से तत्काल तीन तलाक दंडनीय अपराध बन गया है. मुस्लिम महिलाओं को इस अधिकार ने बड़ी राहत पहुंचाई है. अब पीड़िताएं अपने खिलाफ होने वाले अत्याचार पर शरई अदालतों में गुहार लगाने की बजाय इस कानून से न्याय पा रही हैं.

न्याय की गुहार लेकर थाने पहुंच रही पीड़िताएं
महिलाओं को इस कानून से जो राहत मिली है, उसकी बानगी यह है कि जेल जाने के खौफ से अब कई मामलों का निपटारा कार्रवाई से पहले ही हो जा रहा है. बरेली की पांचों अदालतों में 60 फीसद से कम तीन तलाक के मसले पहुंच रहे हैं. देश भर में 62 शरई अदालतें हैं, लेकिन कानून लागू होने के बाद पीड़िताएं न्याय की गुहार लेकर थाने पहुंच रही हैं.

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने दी जानकारी
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बताया कि तीन तलाक पर कानून बनने के बाद से 60 फीसद से भी अधिक मसले शरई अदालतों में घट गए हैं. बरेली स्थित दरगाह आला हजरत से जुड़ी प्रत्येक शरई अदाल में पहले रोजाना औसतन छह मसले आते थे, लेकिन अब बमुश्किल एक-दो मसले आते हैं. इनमें भी जल्दी समझौते की गुंजाइश बन जाती है.

शरई अदालतों में नहीं होती थी महिलाओं की सुनवाई
नारी शक्ति नारी समाज सेवा समिति की उत्तर प्रदेश अध्यक्ष याशमीन जहां ने कहा कि शरई अदालतों में मुस्लिम महिलाओं की सुनी नहीं जाती थी. एकतरफा फैसला सुनाकर तलाक को जायज बता दिया जाता था. तीन तलाक पर कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है.

60 फीसदी तक घट गए हैं मामले
उन्होंने बताया कि तीन तलाक कानून बनाने के लिए हम सरकार को धन्यवाद देते हैं. इस कानून के आने से लोग 3 साल की सजा से डरने लगे हैं. अब महिलाएं इंसाफ के लिए पुलिस के पास जाने लगी हैं. शरई अदालतों में तीन तलाक के मामले में 60 फीसदी तक घट गए हैं.

इसे भी पढ़ें- संभल में पति ने वाट्सएप पर दिया तीन तलाक

बरेली: तीन तलाक पर लागू कानून मुस्लिम महिलाओं की ताकत बन रहा है. इसका असर देश भर की शरई अदालतों में महसूस किया जा सकता है. उ. प्र. सहित अन्य राज्यों में शरई अदालतें अब सूनी होने लगी हैं. सुन्नी मुस्लिमों का मरकज कहे जाने वाली उत्तर प्रदेश के बरेली की आला हजरत दरगाह से जुड़ी सभी पांच शरई अदालतों में ऐसे मसलों की संख्या 60 फीसद कम हो गई है.

तीन तलाक के मामलों में आई कमीं
कानून लागू होने के बाद से बरेली की पांचो शरई अदालतों में भी हर रोज एक-दो मसले ही आ रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या 5-6 तक होती थी. देशभर की 62 शरई अदालतों में सूनापन छाया हुआ है और मुस्लिम महिलाओं के हक की गवाही दे रहा है. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम-2019, 19 सितंबर 2018 को अध्यादेश के रूप में लाया गया था.

तीन तलाक कानून का दिखा असर.

महिलाओं को मिली बड़ी राहत
इसे संसद ने एक अगस्त 2019 को प्रभावी कर दिया. तब से तत्काल तीन तलाक दंडनीय अपराध बन गया है. मुस्लिम महिलाओं को इस अधिकार ने बड़ी राहत पहुंचाई है. अब पीड़िताएं अपने खिलाफ होने वाले अत्याचार पर शरई अदालतों में गुहार लगाने की बजाय इस कानून से न्याय पा रही हैं.

न्याय की गुहार लेकर थाने पहुंच रही पीड़िताएं
महिलाओं को इस कानून से जो राहत मिली है, उसकी बानगी यह है कि जेल जाने के खौफ से अब कई मामलों का निपटारा कार्रवाई से पहले ही हो जा रहा है. बरेली की पांचों अदालतों में 60 फीसद से कम तीन तलाक के मसले पहुंच रहे हैं. देश भर में 62 शरई अदालतें हैं, लेकिन कानून लागू होने के बाद पीड़िताएं न्याय की गुहार लेकर थाने पहुंच रही हैं.

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने दी जानकारी
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बताया कि तीन तलाक पर कानून बनने के बाद से 60 फीसद से भी अधिक मसले शरई अदालतों में घट गए हैं. बरेली स्थित दरगाह आला हजरत से जुड़ी प्रत्येक शरई अदाल में पहले रोजाना औसतन छह मसले आते थे, लेकिन अब बमुश्किल एक-दो मसले आते हैं. इनमें भी जल्दी समझौते की गुंजाइश बन जाती है.

शरई अदालतों में नहीं होती थी महिलाओं की सुनवाई
नारी शक्ति नारी समाज सेवा समिति की उत्तर प्रदेश अध्यक्ष याशमीन जहां ने कहा कि शरई अदालतों में मुस्लिम महिलाओं की सुनी नहीं जाती थी. एकतरफा फैसला सुनाकर तलाक को जायज बता दिया जाता था. तीन तलाक पर कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है.

60 फीसदी तक घट गए हैं मामले
उन्होंने बताया कि तीन तलाक कानून बनाने के लिए हम सरकार को धन्यवाद देते हैं. इस कानून के आने से लोग 3 साल की सजा से डरने लगे हैं. अब महिलाएं इंसाफ के लिए पुलिस के पास जाने लगी हैं. शरई अदालतों में तीन तलाक के मामले में 60 फीसदी तक घट गए हैं.

इसे भी पढ़ें- संभल में पति ने वाट्सएप पर दिया तीन तलाक

Intro:बरेली।तीन तलाक पर लागू कानून मुस्लिम महिलाओं की ताकत बन रहा है। इसका असर देश भर की शरई अदालतों में महसूस किया जा सकता है। उप्र, सहित अन्य राज्यों में शरई अदालतें अब सूनी होने लगी हैं। सुन्नी मुस्लिमों का मरकज कहे जाने वाली उत्तर प्रदेश के बरेली की आला हजरत दरगाह से जुड़ी सभी पांच शरई अदालतों में ऐसे मसलों की संख्या 60 फीसद कम हो गई है।



Body:उप्र के बरेली में भी यही स्थिति है। कानून लागू होने के बाद से यहां की पांचो शरई अदालतों में भी हर रोज एक-दो मसले ही आ रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या 5 या 6 तक होती थी। देशभर की 62 शरई अदालतों में सूनापन छाया हुआ है और मुस्लिम महिलाओं के हक की गवाही दे रहा है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम-2019 19 सितंबर 2018 को अध्यादेश के रूप में लाया गया था, जिसे संसद ने एक अगस्त 2019 को प्रभावी घोषित कर दिया।
तब से तत्काल तीन दंडनीय अपराध बन गया है। मुस्लिम महिलाओं को इस अधिकार ने बड़ी राहत पहुंचाई है।
अब पीड़िताएं अपने खिलाफ होने वाले अत्याचार पर शरई अदालतों में गुहार लगाने की बजाय इस कानून से न्याय पा रही हैं। महिलाओं को इस कानून से जो राहत मिली है, उसकी बानगी यह है कि जेल जाने के खौफ से अब कई मामलों का निपटारा कार्रवाई से पहले ही हो जा रहा है। 

बरेली की पांचों अदालतों में 60 फीसद से कम तीन तलाक के मसले पहुँच रहे है।देश भर में 62 शरई अदालतें हैं, कानून लागू होने के बाद पीड़िताएं थाने पहुँच रही है।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि तीन तलाक पर कानून बनने के बाद से 60 फीसद से भी अधिक मसले शरई अदालतों में घट गए हैं। बरेली स्थित दरगाह आला हजरत से जुड़ी प्रत्येक शरई अदाल में पहले रोजाना औसतन छह मसले आते थे। लेकिन अब बमुश्किल एक-दो मसले आते हैं। इनमें भी जल्दी समझौते की गुंजायश बन जाती है।

 नारी शक्ति नारी समाज सेवा समिति की उत्तर प्रदेश अध्यक्ष याशमीन जहा ने कहा कि शरई अदालतों में मुस्लिम महिलाओं की सुनी नहीं जाती थी। एकतरफा फैसला सुनाकर तलाक को जायज बता दिया जाता था। तीन तलाक पर कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है। तीन तलाक कानून बनाने के लिए सरकार को धन्यबाद देते है।इस कानून के आने से लोग 3 साल की सजा से डरने लगे है। अब महिलाएं इंसाफ के लिए पुलिस के पास जाने लगी हैं।शरई अदालतों में तीन तलाक़ के मामले में 60 फीसदी तक घट गये है।

बाइट...यास्मीन जहाँ( नारी शक्ति नारी समाज सेवा समिति की उत्तर प्रदेश अध्यक्ष )

बाइट..-मौलाना शहाबुद्दीन रजवी, तंजीम उलमा-ए-इस्लाम, दरगाह आला हजरत, बरेली, उप्र

सुनील सक्सेना
बरेली।



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