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बरेली से भूखे पेट बिहार भेजे गए 57 प्रवासी मजदूर

उत्तर प्रदेश के बरेली में विगत 31 मार्च से बिहार राज्य के प्रवासी मजदूर शेल्टर होम में ठहरे हुए थे. इनको सोमवार को मेडिकल परीक्षण के बाद रोडवेज बसों से बिहार के लिए रवाना कर दिया गया है.

migrant laborers
57 प्रवासी मजदूर बिहार के लिए रवाना.
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Published : May 12, 2020, 9:00 AM IST

बरेलीः जिले के मीरगंज स्वामी दयानन्द इंटर कॉलेज में बनाए गए शेल्टर होम में 42 दिनों तक बिहार राज्य के प्रवासी मजदूरों रखा गया था. सोमवार को मेडिकल परीक्षण के बाद नायब तहसीलदार ने उन्हें रोडवेज बसों से बिहार के लिए रवाना कर दिया. इस दौरान सभी प्रवासी मजदूर खुश दिखायी दिए.

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57 प्रवासी मजदूर बिहार के लिए रवाना.

शेल्टर होम में 31 मार्च से थे प्रवासी मजदूर
जिले के स्वामी दयानंद इंटर कॉलेज में बने शेल्टर होम के अलावा अन्य शेल्टर होम में भी विगत 31 मार्च से बिहार राज्य के प्रवासी मजदूर ठहरे हुए थे. वहीं उनके साथ रह रहे उत्तर प्रदेश के मजदूरों को 15 अप्रैल को राशन किट देकर बसों से रवाना कर दिया गया था. तीनों शेल्टर होम में ठहरे बिहार के प्रवासी 29 मजदूरों को स्वामी दयानंद इंटर कॉलेज में ही एकत्रित कर दिया गया, जोकि 42 दिनों से इसी कॉलेज में क्वारंटाइन किए गए थे.

migrant laborers
बरेली की याद को कैमरे में कैद करते युवक.
57 बिहार के प्रवासी रवाना शनिवार को प्रवासी मजदूरों ने आमरण अनशन शुरू कर बिहार प्रांत के गृह जनपद भेजे जाने की मांग करने लगे. रविवार को भी प्रवासी मजदूर अपनी मांग पर अड़े रहे. इस मामले को ईटीवी भारत में दिखाए जाने के बाद शासन और प्रशासन ने इसका संज्ञान लिया और सोमवार को रोडवेज बसों से उत्तर प्रदेश और बिहार बार्डर तक भेजे जाने का निर्णय किया. सोमवार को नायब तहसीलदार लक्की सिंह शेल्टर होम पहुंची. उन्होंनें सभी मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया और उन्हें स्वास्थ्य प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया. साथ ही उन्होंने दोपहर का भोजन कराकर 57 बिहार के प्रवासियों को रवाना कर दिया.

नहीं मिला मजदूरों को खाना
वहीं तहसील प्रशासन ने एक बात की अनदेखी कर दी. शेल्टर होम से गोरखपुर मण्डल के कुशीनगर जनपद बार्डर की तकरीबन दूरी 700 किलो मीटर है. इतनी दूरी बस से तय करने में तकरीबन 18 घंटे लगने का अनुमान है. प्रशासन ने प्रवासियों को 42 दिन तक तो पूरे संसाधन मुहैया कराए, लेकिन जाते वक्त उन्हे एक समय का भोजन और रास्ते में पीने के पानी की बोतल नहीं दी. यहां तक कि बस चालक व परिचालक के लिए भी भोजन व पानी की व्यवस्था नहीं की गयी.

बरेलीः जिले के मीरगंज स्वामी दयानन्द इंटर कॉलेज में बनाए गए शेल्टर होम में 42 दिनों तक बिहार राज्य के प्रवासी मजदूरों रखा गया था. सोमवार को मेडिकल परीक्षण के बाद नायब तहसीलदार ने उन्हें रोडवेज बसों से बिहार के लिए रवाना कर दिया. इस दौरान सभी प्रवासी मजदूर खुश दिखायी दिए.

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57 प्रवासी मजदूर बिहार के लिए रवाना.

शेल्टर होम में 31 मार्च से थे प्रवासी मजदूर
जिले के स्वामी दयानंद इंटर कॉलेज में बने शेल्टर होम के अलावा अन्य शेल्टर होम में भी विगत 31 मार्च से बिहार राज्य के प्रवासी मजदूर ठहरे हुए थे. वहीं उनके साथ रह रहे उत्तर प्रदेश के मजदूरों को 15 अप्रैल को राशन किट देकर बसों से रवाना कर दिया गया था. तीनों शेल्टर होम में ठहरे बिहार के प्रवासी 29 मजदूरों को स्वामी दयानंद इंटर कॉलेज में ही एकत्रित कर दिया गया, जोकि 42 दिनों से इसी कॉलेज में क्वारंटाइन किए गए थे.

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बरेली की याद को कैमरे में कैद करते युवक.
57 बिहार के प्रवासी रवाना शनिवार को प्रवासी मजदूरों ने आमरण अनशन शुरू कर बिहार प्रांत के गृह जनपद भेजे जाने की मांग करने लगे. रविवार को भी प्रवासी मजदूर अपनी मांग पर अड़े रहे. इस मामले को ईटीवी भारत में दिखाए जाने के बाद शासन और प्रशासन ने इसका संज्ञान लिया और सोमवार को रोडवेज बसों से उत्तर प्रदेश और बिहार बार्डर तक भेजे जाने का निर्णय किया. सोमवार को नायब तहसीलदार लक्की सिंह शेल्टर होम पहुंची. उन्होंनें सभी मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया और उन्हें स्वास्थ्य प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया. साथ ही उन्होंने दोपहर का भोजन कराकर 57 बिहार के प्रवासियों को रवाना कर दिया.

नहीं मिला मजदूरों को खाना
वहीं तहसील प्रशासन ने एक बात की अनदेखी कर दी. शेल्टर होम से गोरखपुर मण्डल के कुशीनगर जनपद बार्डर की तकरीबन दूरी 700 किलो मीटर है. इतनी दूरी बस से तय करने में तकरीबन 18 घंटे लगने का अनुमान है. प्रशासन ने प्रवासियों को 42 दिन तक तो पूरे संसाधन मुहैया कराए, लेकिन जाते वक्त उन्हे एक समय का भोजन और रास्ते में पीने के पानी की बोतल नहीं दी. यहां तक कि बस चालक व परिचालक के लिए भी भोजन व पानी की व्यवस्था नहीं की गयी.

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