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बाराबंकी: ओडीएफ घोषित हुए गांव की खुली पोल, शौच के लिए गए युवक की हुई मौत

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में जिला प्रशासन के दावे की पोल खुल गई. जिला प्रशासन ने शहर के अमबौर गांव को ओडीएफ घोषित कर रखा है. गांव का एक व्यक्ति शौच के लिए बाहर गया. इस दौरान उसकी मौत हो गई. जानकारी करने पर पता चला कि मृतक के घर पर शौचालय बना ही नहीं था.

ओडीएफ घोषित हुए गांव की खुली पोल.
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Published : Nov 15, 2019, 8:44 AM IST

बाराबंकी: जिला प्रशासन ने पूरे जिले को ओडीएफ घोषित कर रखा है. सफदरगंज इलाके के गांव अमबौर से एक ऐसी खबर सामने आई, जिसने जिला प्रशासन के दावे की पोल खोल दी. गांव अमबौर निवासी 30 वर्षीय उमेश यादव की गांव के बाहर एक तालाब में डूबकर मौत हो गई. मृतक युवक शौच के लिए बाहर गया हुआ था. मृतक युवक जिस गांव का रहने वाला है वह गांव पहले से ही ओडीएफ घोषित था.

जानकारी देते पूर्व ग्राम प्रधान के पति.

मृतक के घर नहीं बना था शौचालय
जानकारी करने पर पता चला कि मृतक युवक के घर में शौचालय बना ही नहीं था. गांव में प्रशासन ने सभी घरों में शौचालय बनवा कर पूरे गांव को ओडीएफ घोषित कर रखा है.

गांव के निवासी श्रीकिशन यादव ने बताया कि मृतक उमेश मजदूर है. उमेश पहले से बीमार होने के कारण काफी कमजोर भी था. वह बुधवार को घर आने के बाद शौच के लिए गांव से बाहर एक तालाब पर गया था, जहां चक्कर आने से वह तालाब में ही गिर गया और सांस न ले पाने की वजह से उसकी मौत हो गई. मृतक उमेश की आर्थिक हालत बहुत खराब है और परिवार में एक मां है, जो लगभग 65 वर्ष की है. गांव को ओडीएफ घोषित किये जाने के बारे में श्रीकिशन ने कहा कि 12 हजार रुपये में कौन सा अच्छा शौचालय बन सकता है और जिसका परिवार बड़ा है, वहां बाहर शौच के लिए जाना मजबूरी है. मृतक उमेश के घर तो शौचालय बना भी नहीं था और अधिकारियों ने गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया.

गांव के पूर्व ग्राम प्रधान के पति नीरज ने बताया कि उमेश शौच के लिए बाहर गया था. वह तालाब में ही गिर गया. गांव के बच्चों ने मामले की जानकारी दी तो पुलिस को सूचना दी गयी और शव को तालाब से बाहर निकाला गया. मृतक उमेश इतना गरीब था कि सभी ग्रामीणों ने चंदा जमा कर उसका अन्तिम संस्कार करवाया. गांव ओडीएफ जरूर था, मगर सभी के घर शौचालय बना नहीं था. अगर उमेश के घर भी शौचालय होता तो शायद यह दुर्घटना टल सकती थी.

इस मामले में अपर जिलाधिकारी सन्दीप गुप्ता ने बताया कि आप लोगों के जरिये ही मुझे इस बात की जानकारी हुई है. इस मामले पर जब तक पूरी गहनता से जांच नहीं करा लेते, तब तक कुछ भी कह पाना गलत होगा. यह बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है और जो गांव ओडीएफ हुए हैं वहां कितने शौचालय बने हैं और कितने लोगों ने शौचालय नहीं बनवाये हैं, इसकी समीक्षा करने की जरूरत है.

बाराबंकी: जिला प्रशासन ने पूरे जिले को ओडीएफ घोषित कर रखा है. सफदरगंज इलाके के गांव अमबौर से एक ऐसी खबर सामने आई, जिसने जिला प्रशासन के दावे की पोल खोल दी. गांव अमबौर निवासी 30 वर्षीय उमेश यादव की गांव के बाहर एक तालाब में डूबकर मौत हो गई. मृतक युवक शौच के लिए बाहर गया हुआ था. मृतक युवक जिस गांव का रहने वाला है वह गांव पहले से ही ओडीएफ घोषित था.

जानकारी देते पूर्व ग्राम प्रधान के पति.

मृतक के घर नहीं बना था शौचालय
जानकारी करने पर पता चला कि मृतक युवक के घर में शौचालय बना ही नहीं था. गांव में प्रशासन ने सभी घरों में शौचालय बनवा कर पूरे गांव को ओडीएफ घोषित कर रखा है.

गांव के निवासी श्रीकिशन यादव ने बताया कि मृतक उमेश मजदूर है. उमेश पहले से बीमार होने के कारण काफी कमजोर भी था. वह बुधवार को घर आने के बाद शौच के लिए गांव से बाहर एक तालाब पर गया था, जहां चक्कर आने से वह तालाब में ही गिर गया और सांस न ले पाने की वजह से उसकी मौत हो गई. मृतक उमेश की आर्थिक हालत बहुत खराब है और परिवार में एक मां है, जो लगभग 65 वर्ष की है. गांव को ओडीएफ घोषित किये जाने के बारे में श्रीकिशन ने कहा कि 12 हजार रुपये में कौन सा अच्छा शौचालय बन सकता है और जिसका परिवार बड़ा है, वहां बाहर शौच के लिए जाना मजबूरी है. मृतक उमेश के घर तो शौचालय बना भी नहीं था और अधिकारियों ने गांव को ओडीएफ घोषित कर दिया.

गांव के पूर्व ग्राम प्रधान के पति नीरज ने बताया कि उमेश शौच के लिए बाहर गया था. वह तालाब में ही गिर गया. गांव के बच्चों ने मामले की जानकारी दी तो पुलिस को सूचना दी गयी और शव को तालाब से बाहर निकाला गया. मृतक उमेश इतना गरीब था कि सभी ग्रामीणों ने चंदा जमा कर उसका अन्तिम संस्कार करवाया. गांव ओडीएफ जरूर था, मगर सभी के घर शौचालय बना नहीं था. अगर उमेश के घर भी शौचालय होता तो शायद यह दुर्घटना टल सकती थी.

इस मामले में अपर जिलाधिकारी सन्दीप गुप्ता ने बताया कि आप लोगों के जरिये ही मुझे इस बात की जानकारी हुई है. इस मामले पर जब तक पूरी गहनता से जांच नहीं करा लेते, तब तक कुछ भी कह पाना गलत होगा. यह बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है और जो गांव ओडीएफ हुए हैं वहां कितने शौचालय बने हैं और कितने लोगों ने शौचालय नहीं बनवाये हैं, इसकी समीक्षा करने की जरूरत है.

Intro: बाराबंकी, 14 नवंबर। ओडीएफ बने गाँव की खुली पोल , शौंच के लिए बाहर गए युवक की तालाब में डूबकर मौत
बाराबंकी जिला प्रशासन ने पूरे जिले को ओडीएफ घोषित कर रखा है। मगर गाहे - बगाहे ऐसी खबरें आती रहती है जो प्रशासन के इस दावे को नकार देती है । इस बार भी कुछ ऐसी ही खबर जिले के एक गाँव से आई है जो प्रशासन के इस ओडीएफ के दावे को सिर्फ नकार ही नही रही बल्कि उसे मुँह चिढ़ाती नज़र आ रही है । एक युवक की उस वक्त तालाब में डूबने से मौत हो गयी जब वह शौंच के लिए बाहर गया हुआ था । खास बात यह रही कि यह युवक उस गाँव का निवासी है जिस गाँव को जिले से पहले ही ओडीएफ घोषित कर दिया गया था । जानकारी करने पर पता चला कि इस युवक के घर शौचालय बना ही नही था ।
Body: यह पूरा मामला बाराबंकी जनपद के विकास खण्ड मसौली के सफदरगंज इलाके के गाँव अमबौर का है । इस गाँव के निवासी उमेश यादव (30) की गाँव के बाहर एक तालाब में डूबकर मौत हो गयी । इस तालाब में तैरते शव को जब ग्रामीणों ने देखा तो पुलिस को इसकी सूचना दी । पुलिस ने शव को तालाब से बाहर निकाल कर अपनी जाँच शुरू कर दी ।

इस गाँव में प्रशासन ने सभी घरों में शौचालय बनवा कर पूरे गाँव को ओडीएफ घोषित कर रखा है मगर मृतक युवक के घर शौचालय बना ही नही था । ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब सभी घरों में शौचालय का निर्माण हुआ ही नही था तो जल्दबाजी में इसे ओडीएफ कैसे घोषित कर दिया गया ।

इस गाँव के निवासी श्रीकिशन यादव ने बताया कि मृतक उमेश मजदूर है और कल देर शाम यह घर मजदूरी करके लौटा था । उमेश पहले से बीमार होने के कारण काफी कमजोर भी हो गया था और वह कल घर आने के बाद शौंच के लिए गाँव से बाहर एक तालाब पर गया था , जहाँ चक्कर आने से तालाब में ही गिर गया और सांस न ले पाने की वजह से उसकी मौत हो गयी । मृतक उमेश की आर्थिक हालात बहुत खराब है और परिवार में एक माँ है जो लगभग 65 वर्ष की है और इस परिवार का सहारा मात्र मजदूरी ही था । गाँव को ओडीएफ घोषित किये जाने के बारे में कहा कि 12 हज़ार रुपये में कौन सा अच्छा शौचालय बन सकता है और जिसका परिवार लम्बा है वहाँ बाहर शौंच के लिए जाना मजबूरी है । मृतक उमेश के घर तो शौचालय बना भी नही था फिर अधिकारियों ने गाँव को ओडीएफ घोषित कर दिया ।

गाँव के पूर्व ग्रामप्रधान के पति नीरज ने बताया कि उमेश एक ढाबे पर काम करता था और शौंच के लिए बाहर गया था वहाँ क्या हुआ उसकी तबियत खराब हुई या चक्कर आ गया कि वह तालाब में ही गिर गया , गाँव के बच्चों ने जब देखा तो गाँव वालों को जानकारी मिली । फिर पुलिस को सूचना दी गयी और शव को तालाब से बाहर निकाला गया । वह इतना गरीब था कि सभी ग्रामीणों ने चंदा लगा कर उसका अन्तिम संस्कार करवाया । गाँव ओडीएफ जरूर था मगर सभी के घर शौचालय बना नही था अगर उमेश के घर भी शौचालय होता तो शायद यह दुर्घटना टल सकती थी ।

इस मामले में जब हमने बाराबंकी के अपर जिलाधिकारी सन्दीप गुप्ता से बात की तो उन्होंने बताया कि आप लोगों के जरिये ही मुझे यह प्रकरण जानकारी में आया है , जब तक इसकी पूरी तरह से गहनता से जाँच नही करा लेते तब तक कुछ भी कह पाना गलत होगा लेकिन यह बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना है और जो गाँव ओडीएफ हुए है वहाँ कितने शौचालय बने है और कितने लोगों ने नही बनवाये है इसकी समीक्षा जरूर किये जाने की जरूरत है ।

Conclusion:बाईट 1 - सन्दीप गुप्ता ( अपर जिलाधिकारी बाराबंकी )

बाईट 2 - श्रीकिशन यादव ( ग्रामीण )

बाईट 3 - नीरज (पूर्व ग्रामप्रधान के पति )


रिपोर्ट आलोक कुमार शुक्ला रिपोर्टर बाराबंकी 96284 76907
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