बाराबंकी: जिले के कोरिन पुरवा गांव में घाघरा नदी का रौद्र रूप देखते ही ग्रामीणों के मन में भय का माहौल व्याप्त हो गया है. प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद घाघरा का तांडव जारी है. घाघरा नदी का कटान नहीं रुकने से ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने नदी के कटान को रोकने व सुरक्षित जगह घर बनाने के लिए सरकार व सांसद से गुहार लगाई है. ग्रामीणों का कहना है कि बांस-बल्ली और झाड़ियों से नदी की धारा को नहीं घुमाया जा सकता है.
यूपी के बाराबंकी जिले में घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से पूरे जिले के अब तक सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. जोरदार बारिश और नेपाल की तरफ से पानी छोड़े जाने से घाघरा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. नदी इस समय खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. ऐसे में गांव के लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं. वहीं जिले के आला अधिकारी लगातार बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा कर रहे हैं. साथ ही बाढ़ पीड़ितों की मदद भी कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह मदद नाकाफी है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन जिसके सहारे नदी में हो रही कटान को रोकने का प्रयास कर रहा है, उससे कटान को रोका नहीं जा सकता है.
जिले के कोरिन पुरवा गांव में घाघरा नदी का रौद्र रूप देखते ही ग्रामीणों के मन में भय का माहौल व्याप्त हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार अगर हमारे घरों को नदी की कटान से सुरक्षित नहीं कर पा रही है तो हम लोगों के घर बनाने के लिए सुरक्षित जगह दे दे, जिससे हम लोग नदी की कटान से दूर जाकर अपना घर बना सकें. साथ ही सुरक्षित जीवन-यापन कर सकें. ग्रामीणों ने कहा कि जब रात में घाघरा नदी में कटान होती है तो दृश्य भयावह रहता है. डर लगता है कि कहीं अभी ही वह लोग बाल-बच्चे समेत नदी में न समा जाएं.
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ग्रामीणों ने बताया कि घाघरा नदी में हो रही कटान के बारे में स्थानीय सांसद से गुहार भी लगाई है, लेकिन सिर्फ आश्वासन के सिवा अभी तक कोई ठोस समाधान सांसद द्वारा नहीं कराया जा रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि घाघरा नदी में हो रही कटान को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं. बांस-बल्ली और झाड़ियों से नदी की धारा को मोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन बांस-बल्ली और झाड़ियों से नदी की धारा को नहीं घुमाया जा सकता है. इसलिए प्रशासन की मदद भी नाकाफी है. ग्रामीणों ने बताया कि कटान से उनकी खेती वाली जमीन भी कट गई है, जिससे उनके समाने खाने का भी संकट गहरा गया है. फिलहाल कोरिन पुरवा गांव के लोग इस बात से चिंतित हैं कि वह जाएं तो कहां जाएं. न ही प्रशासन नदी से दूर कहीं और घर बनाने के लिए उन्हें जमीन दे रहा है और न ही कटान को रोकने के लिए ठोस समाधान किया जा रहा है.