बाराबंकी: गुरुवार को विद्यालय आवंटित न हो पाने से शिक्षामित्र से शिक्षक बने जिले के करीब 9 शिक्षकों की नियुक्ति अधर में फंस गई है. पीड़ित शिक्षक बीएसए से लेकर लखनऊ तक चक्कर काट रहे हैं. शिक्षकों का आरोप है कि शासनादेश के बाद भी बीएसए कोई कार्यवाही नहीं कर रहे, जबकि बीएसए ने तकनीकी खामियों का हवाला दिया है.
बता दें कि प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में सहायक अध्यापक के रिक्त 69 हजार पदों पर भर्ती में जिले में 1132 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया जा चुका है. इनमें शिक्षामित्र से शिक्षक बने 24 से ज्यादा अभ्यर्थी भी शामिल हैं. इन शिक्षामित्र से शिक्षक बने अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र तो मिल गए, लेकिन उन्हें विद्यालय आवंटित नहीं हो सके. शासन ने विद्यालय आवंटन को लेकर एक शासनादेश का हवाला देते हुए केस टू केस विस्तृत परीक्षण करते हुए सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्णय किए जाने के आदेश दिए हैं.
क्या है पेंच
दरअसल शिक्षामित्रों के प्रकरण में कई विसंगतियां हैं. शिक्षामित्रों के सेवारत रहते हुए संस्थागत स्नातक होने के मामले हैं. विभाग का मानना है कि सेवारत रहते हुए दूसरी संस्था में रेगुलर कैसे शिक्षा हासिल की जा सकती है, यह नियम के विरुद्ध है. ऐसे में इनकी नियुक्ति को लेकर परीक्षण शुरू हो गया है.
शिक्षामित्रों ने वर्ष 2012 के एक शासनादेश का हवाला दिया कि 25 जुलाई 2012 तक स्नातक अर्हता उपाधि हासिल कर चुके सभी शिक्षामित्रों को ट्रेनिंग के लिए शासन ने योग्य माना था और उन्हें ट्रेनिंग कराई गई थी. फिर अब ये प्रकरण कैसे आ गया?
-धर्मराज, शिक्षामित्र से शिक्षक बने
सक्षम प्राधिकारी कौन है, इसको लेकर ये शिक्षक परेशान हैं. इनका कहना है कि बीएसए सक्षम प्राधिकारी हैं. जबकि इस मामले में हमारा कोई रोल नहीं.-वीपी सिंह, बीएसए