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ये कैसा स्वच्छता मिशन, टॉयलेट को बनाना पड़ा किचन

स्वच्छ भारत मिशन के तहत ज्यादातर लाभार्थियों ने शौचालय बनवाए, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. अभी तक प्रदेश भर से कई ऐसे मामले सामने आए, जिनमें कहीं इनमें दुकान खोल ली गई है, तो कहीं कंडे, लकड़ियां रखी हुई हैं. वहीं बाराबंकी से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें परिवार ने शौचालय को रसोई घर बना दिया है.

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शौचालय को बनाया किचन.
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Published : Jan 15, 2020, 5:08 PM IST

बाराबंकीः जिले में एक नया और हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां स्वच्छ भारत अभियान के तहत शासन से 12 हजार रुपए लेकर बनाए गए शौचालय का उपयोग एक परिवार रसोई घर के रूप में कर रहा है. ईटीवी भारत ने जब इसकी पड़ताल की तो मामला सही पाया गया. वहीं लाभार्थी का कहना है कि आवास न होने के चलते मजबूरी में शौचालय को रसोईघर बनाना पड़ा. बता दें कि जिले को ओडीएफ मुक्त घोषित किया गया है.

शौचालय को बनाया किचन.

देवा थाना क्षेत्र के अकनपुर गांव में यह नया और हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां शौचालय का रसोई के तौर पर उपयोग किया जा रहा है. इसको लेकर जब लाभार्थी से इसका कारण पूछा गया तो लाभार्थी राम प्रकाश का कहना था कि हमें अभी तक आवास नहीं मिला है. इसके चलते झोपड़ी में हम अपना जीवन काट रहे हैं. मजबूरी में हम शौचालय को रसोईघर बनाकर यहां खाना बना रहे हैं.

राम प्रकाश का कहना है कि वह गलत कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रधान से कई बार कॉलोनी के लिए कहा, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. राम प्रकाश की पत्नी मालती ने बताया कि उन्हें शौचालय में खाना बनाना बिलकुल अच्छा नहीं लगता, लेकिन घर न होने के चलते वह मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि मजबूरी में उनका पूरा परिवार शौच के लिए बाहर जाता है. उऩ्होंने सरकार से मांग की कि उन्हें रहने के लिए आवास दिया जाए.

इसे भी पढ़ें- बाराबंकी: जीएसटी कलेक्शन बढ़ाने के लिए वाणिज्य कर विभाग ने शुरू किया अभियान

वहीं गांव के ही रहने वाले प्रमोद का कहना है कि गांव में कई लोग शौच के लिए बाहर जाते हैं. प्रधान ने शौचालय बनवाना का ठेका लिया था, लेकिन वह नहीं बनवा रहे हैं. इसी वजह से ग्रामीण शौच के लिए बाहर जा रहे हैं. प्रमोद ने कहा कि उन्होंने कई बार कई कर्मचारियों से शिकायत भी की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

इस मामले पर जिलाधिकारी डॉक्टर आदर्श सिंह ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है. डीएम ने कहा कि मामले की जांच कराने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा अगर वह पात्र होंगे तो उन्हें आवास दिलवाया जाएगा.

बाराबंकीः जिले में एक नया और हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां स्वच्छ भारत अभियान के तहत शासन से 12 हजार रुपए लेकर बनाए गए शौचालय का उपयोग एक परिवार रसोई घर के रूप में कर रहा है. ईटीवी भारत ने जब इसकी पड़ताल की तो मामला सही पाया गया. वहीं लाभार्थी का कहना है कि आवास न होने के चलते मजबूरी में शौचालय को रसोईघर बनाना पड़ा. बता दें कि जिले को ओडीएफ मुक्त घोषित किया गया है.

शौचालय को बनाया किचन.

देवा थाना क्षेत्र के अकनपुर गांव में यह नया और हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां शौचालय का रसोई के तौर पर उपयोग किया जा रहा है. इसको लेकर जब लाभार्थी से इसका कारण पूछा गया तो लाभार्थी राम प्रकाश का कहना था कि हमें अभी तक आवास नहीं मिला है. इसके चलते झोपड़ी में हम अपना जीवन काट रहे हैं. मजबूरी में हम शौचालय को रसोईघर बनाकर यहां खाना बना रहे हैं.

राम प्रकाश का कहना है कि वह गलत कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि प्रधान से कई बार कॉलोनी के लिए कहा, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. राम प्रकाश की पत्नी मालती ने बताया कि उन्हें शौचालय में खाना बनाना बिलकुल अच्छा नहीं लगता, लेकिन घर न होने के चलते वह मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि मजबूरी में उनका पूरा परिवार शौच के लिए बाहर जाता है. उऩ्होंने सरकार से मांग की कि उन्हें रहने के लिए आवास दिया जाए.

इसे भी पढ़ें- बाराबंकी: जीएसटी कलेक्शन बढ़ाने के लिए वाणिज्य कर विभाग ने शुरू किया अभियान

वहीं गांव के ही रहने वाले प्रमोद का कहना है कि गांव में कई लोग शौच के लिए बाहर जाते हैं. प्रधान ने शौचालय बनवाना का ठेका लिया था, लेकिन वह नहीं बनवा रहे हैं. इसी वजह से ग्रामीण शौच के लिए बाहर जा रहे हैं. प्रमोद ने कहा कि उन्होंने कई बार कई कर्मचारियों से शिकायत भी की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

इस मामले पर जिलाधिकारी डॉक्टर आदर्श सिंह ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है. डीएम ने कहा कि मामले की जांच कराने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा अगर वह पात्र होंगे तो उन्हें आवास दिलवाया जाएगा.

Intro: बाराबंकी, 15 जनवरी। पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को ठेंगा. आवास न मिलने पर शौचालय को बना डाला रसोईंघर.ओडीएफ के बावजूद शौच के लिये बाहर जा रहा परिवार. डीएम ने दिया जांच का आश्वासन.
स्वच्छता मिशन के ज्यादातर लाभार्थियों द्वारा शौचालय बनवाने के बाद इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. अभी तक प्रदेश भर से कई ऐसे मामले सामने आए ,जिनमें कहीं इनमें दुकान खोल ली गई है, तो कई कंडे, लकड़ियां रखी हुई है. लेकिन बाराबंकी का यह मामला वास्तव में चौंकाने वाला है और बिल्कुल नया है. जिसमें परिवार ने शौचालय को रसोई घर बना दिया है.

Body:बाराबंकी में एक नया और हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां स्वच्छ भारत अभियान के तहत शासन से 12 हजार रुपए लेकर बनाए गए शौचालय का उपयोग एक परिवार रसोई घर के रूप में कर रहा है.
यहां पर शौचालय का दूसरा उपयोग भी हो रहा है. यह बात आपके मन में सवाल खड़ा कर सकती है, मगर हकीकत यही है. देवा थाना क्षेत्र के अकनपुर गांव में यह नया और हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां शौचालय का रसोई के तौर पर उपयोग किया जा रहा है. जब यहां हम पहुंचे तो एक शौचालय पर नजर पड़ी, उसमें धुआं निकल रहा था. यहां आकर देखा तो शौचालय में खाना बन रहा था. नजारा देखकर हम हैरान थे, इसको लेकर जब इनसे इसका कारण पूछा तो इनका कहना था कि हमें अभी तक आवास नहीं मिला है. जिसके चलते झोपड़ी में हम अपना जीवन काट रहे हैं. मजबूरी में हम शौचालय को रसोईंघर बनाकर यहां खाना बना रहे हैं.ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शौचालय तो इसलिए बनाया गया कि, लोग खुले में शौच करने न जाएं , लेकिन फिर भी गांव की यह हालत प्रशासन पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर रही है. जबकि पूरा जिला ओडीएफ घोषित हो चुका है.

राम प्रकाश ने बताया कि वह शौचालय को शौच के लिये इस्तेमाल नहीं करते, क्योंकि हमारे पास घर की कोई व्यवस्था नहीं है. इसलिए मजबूरी में हमने शौचालय को रसोईंघर बना दिया. राम प्रकाश ने माना कि वह गलत कर रहे हैं, लेकिन जब उनके पास रहने का ठिकाना नहीं है तो वह खाना कहां बनाएं. उन्होंने बताया कि प्रधान से कई बार कॉलोनी के लिये कहा, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ.

राम प्रकाश की पत्नी मालती ने बताया कि उन्हें शौचालय में खाना बनाना बिलकुल अच्छा नहीं लगता. लेकिन घर न होने के चलते वह मजबूर हैं. उन्होंने कई बार प्रधान से भी कहा लेकिन हमें आवास नहीं मिला. उन्होंने बताया कि मजबूरी में उनका पूरा परिवार शौच के लिये बाहर जाता है. उऩ्होंने सरकार से मांग की कि उन्हें रहने के लिये आवास दिया जाए.

वहीं गांव के ही रहने वाले प्रमोद का कहना है कि, गांव में कई लोग शौच के लिये बाहर जाते हैं. क्योंकि कुछ लोगों के शौचालय बने हैं, जबकि कई लोगों के यहां शौचालय अधूरे पड़े हैं. प्रधान ने शौचालय बनवाना का ठेका लिया था, लेकिन वह नहीं बनवा रहे हैं. इसी वजह से ग्रामीण शौच के लिये बाहर जा रहे हैं. प्रमोद ने कहा कि उन्होंने कई बार कई कर्मचारियों से शिकायत भी की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

वहीं इस मामले पर बाराबंकी के जिलाधिकारी डॉक्टर आदर्श सिंह ने कहा कि, अभी तक ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है. इसके अलावा जिसका नाम भी पात्रता सूची में दर्ज होता है उसे पीएम आवास दिया जाता है. इसके अलावा जो भी लोग सूची से छूटे हुए हैं और पात्र हैं, उन्हें मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आच्छादित किया जाना है. डीएम ने कहा कि मामले की जांच कराने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा अगर वह पात्र होंगे तो उन्हें अवास दिलवाया जाएगा.
Conclusion:Byte -

1-बाइट- राम प्रकाश, शौचालय में रसोईं बनाने वाले ग्रामीण,
2-बाइट- मालती, राम प्रकाश की पत्नी,
3-बाइट- प्रमोद, ग्रामीण,
4-बाइट- डॉक्टर आदर्श सिंह, डीएम, बाराबंकी.

रिपोर्ट आलोक कुमार शुक्ला रिपोर्टर बाराबंकी 96284 76907
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