बाराबंकी: जिले में एक बेटे ने अपने पिता के सिर पर ईंट से वार कर मौत के घाट उतार दिया. हत्या करने के सबूत न मिले इसलिए उसने ईंट को धो दिया. इतना ही नहीं हत्या का राजफाश न हो, इसलिए पुलिस की छानबीन में साथ-साथ रहा और खुद ही हत्या का मुकदमा लिखवाया. यह ब्लाइंड मर्डर पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. लेकिन कड़ी से कड़ी से जोड़ने पर मर्डर पर खुलासा हो गया.
कस्बा व थाना सतरिख के मोहल्ला गढ़ी के रहने वाले धर्मेंद्र वर्मा (52) की करीब 10 बीघा खेती थी. धर्मेंद्र ने अपने खेत के कुछ हिस्से में मटर की खेती की थी. जिसे तोड़ कर गाड़ी में लोड कर मंडी पहुंचाया जाता था. मटर की रखवाली के लिए धर्मेंद्र रोज खेत पर सोने के लिए जाता था. हर रोज की तरह 19 फरवरी को भी धर्मेंद्र रात में खाना खाकर सतरिख-हरख रोड के किनारे स्थित खेत में सोने के लिए चला गया था. घर पर धर्मेंद्र की पत्नी और उसका बेटा हरिओम थे.
20 फरवरी को सुबह मटर लोड करने के लिए ड्राइवर खेत पहुंचा. जैसे ही उसकी नजर धर्मेंद्र पर पड़ी उसकी चीख निकल गई. धर्मेंद्र का क्षत विक्षत शव बिस्तर पर पड़ा हुआ था. उसके सिर पर धारदार हथियारों के घाव थे. सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. मृतक के बेटे हरिओम की तहरीर पर सतरिख थाने की पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की पड़ताल शुरू कर दी.
पुलिस ने हर एंगल पर काम किया और कड़ी से कड़ी जोड़ने में पुलिस को मृतक धर्मेंद्र के बेटे हरिओम पर संदेह हुआ. हरिओम से जब कड़ाई से पूछताछ हुई तो उसने अपना जुर्म कूबुल कर लिया. अब गुरुवार को पुलिस ने हत्यारोपी बेटे हरिओम को जीआईसी इंटर कॉलेज सतरिख की बाग से गिरफ्तार कर लिया. हरिओम की निशानदेही पर मृतक का मोबाइल फोन और ईंट का अद्धा भी बरामद कर लिया है.
क्या थी हत्या की वजह: दरअसल मृतक धर्मेंद्र का विवाह 30 वर्ष पहले लखनऊ जिले के गोसाईगंज थाना क्षेत्र के महुरा खुर्द गांव की गीता से हुआ था. धर्मेंद्र के एक पुत्र हरिओम और एक बेटी थी. शादी के करीब 8 वर्ष बाद गीता को न्यूरो की दिक्कत हो गई. लेकिन धर्मेंद्र ने पैसे न होने का बहाना बनाया और उसका इलाज नहीं कराया. जिससे गीता अपने दोनों बच्चों को लेकर मायके चली गई. मायके वालों ने उसका इलाज कराया. चार-पांच साल तक गीता ने मायके में ही रहकर इलाज कराया और वह ठीक हो गई. गीता ने जब ससुराल आने की मंशा जाहिर की तो धर्मेंद्र ने उसे लाने से मना कर दिया.
इस पर गीता ने न्यायालय की शरण ली और पति पर घरेलू हिंसा का मुकदमा कर दिया. कुछ दिनों बाद लोगों के समझाने बुझाने पर दोनों में समझौता हो गया और गीता ने मुकदमा वापस ले लिया. इसके बाद गीता बच्चों समेत पति धर्मेंद्र के घर सतरिख आकर रहने लगी. हालांकि, दोनों पति पत्नी में कड़वाहट बनी रही. इसी बीच धर्मेंद्र का अपनी पड़ोस में रहने वाली एक महिला से नाजायज सम्बन्ध हो गया. मामले की जानकारी पर पत्नी गीता और बेटे हरिओम ने इसका विरोध किया तो धर्मेंद्र ने धमकी दी कि वह पूरी खेती उस महिला के नाम कर देगा.
धर्मेंद्र का उस दूसरी महिला के घर में बैठना उठना, नहाना धोना बढ़ने लगा. धर्मेंद्र ने अपने घर गृहस्थी पर ध्यान देना कम कर दिया. रुपया पैसा भी वह बेजा खर्च करने लगा, जिससे हरिओम को बेइज्जती महसूस होने लगी. धर्मेंद्र की धमकी और इन हरकतों से हरिओम सतर्क हो गया. उसने कचहरी में इस बाबत जानकारी हासिल की कि क्या कोई इस तरह अपनी जमीन किसी के नाम कर सकता है. उसे जब पता चला कि उसका पिता ऐसा कर सकता है तो फिर हरिओम ने एक बहुत ही खतरनाक योजना बना डाली.
हरिओम ने अपने पिता की हत्या करने का फैसला कर लिया. योजना के मुताबिक घटना वाली रात जब धर्मेंद्र खाना खाकर खेत की रखवाली के लिए चला गया, तो देर रात हरिओम खेत पहुंचा और वहीं पास पड़े एक ईंट के अद्धे को उठाया और बेखबर सो रहे पिता के सिर पर कई वार करके हत्या कर दी. आरोपी बेटे हरिओम ने बताया कि उसे अपने किए पर जरा भी पछतावा नहीं है.
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