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बाराबंकी: लघु एवं मध्यम वर्ग के व्यापारी और दुकानदार झेल रहे हैं त्यौहारों के सीजन में मंदी की मार - व्यापारी और दुकानदार

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में लघु और अति लघु दुकानदारों एवं व्यापारियों के ऊपर मंदी का असर दिखाई दे रहा है. कुछ दुकानदार कह रहे हैं कि महंगे सामान तो नहीं लेकिन सस्ते सामान बिक रहे हैं.

व्यापारियों के ऊपर मंदी का असर.
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Published : Oct 17, 2019, 1:53 PM IST

बाराबंकी: बाजारों में मंदी का दौर है, ऐसे में लघु और अति लघु दुकानदारों एवं व्यापारियों के ऊपर इसका असर दिखाई पड़ रहा है. कुछ दुकानदार और व्यापारी इसे सामान्य मान रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि बड़े उद्योगपतियों के व्यापार में वृद्धि के कारण, छोटे व्यापारियों और दुकानदारों का घाटा हो रहा है.

व्यापारियों के ऊपर मंदी का असर.


इसे भी पढ़ें-मथुरा: एक ऐसा गांव जहां करवाचौथ का व्रत रखने से हो जाती है पति की मृत्यु



भारत में मंदी का दौर
जीडीपी ग्रोथ रेट 5% पर है और भारत में मंदी का दौर चल रहा है. मंदी के इस दौर का असर भारत के लघु और सीमांत व्यापारियों एवं दुकानदारों पर ज्यादा पड़ रहा है. बाजारों में सामान तो आ रहा है, लेकिन बाजारों में रौनक नहीं दिखाई पड़ रही है. नौकरी पेशा लोग और मध्यमवर्गीय लोग दुकानों तक पहुंच तो रहे हैं, लेकिन वह भी इतनी उत्सुकता के साथ सामान नहीं खरीद रहे हैं.

बाजारों में कम ही दिखाई पड़ रहे है किसान
ग्रामीण क्षेत्रों के कस्बों में ज्यादातर पहुंच किसानों की होती है. लेकिन किसानों के पास भी पूंजी न होने के कारण वह भी बाजारों में कम ही दिखाई पड़ रहे हैं. त्यौहारों के समय में बाजार में जबरदस्त चहल-पहल देखने को मिलती है. परंतु इस बार बाजार में लोगों की संख्या कम दिखाई दे रही है.

दुकानों पर भी भीड़ कम
सोने चांदी की खरीददारी से लेकर, मिट्टी के दीए, घड़े और बर्तनों की दुकानों पर भी भीड़ नहीं दिखाई दे रही है. सब्जियों की दुकानों पर भी लोगों की उतनी संख्या नहीं आ रही है. कपड़ों की दुकानों पर भी मंदी का बहुत असर तो नहीं है, ऐसा दुकानदारों का कहना है, लेकिन उनका वहीं यह भी मानना है कि लोगों के आने का परसेंटेज घटा है.

मंदी का असर
कुल मिलाकर मंदी का मिलाजुला असर त्यौहारों के समय में दिखाई पड़ रहा है. समय रहते सरकार को इस पर नियंत्रण जरूर पाना चाहिए. यदि मंदी की मार को नियंत्रित करने में देरी होती है तो, निश्चित तौर पर आने वाले समय में यह विकराल रूप भी ले सकती है.

बाराबंकी: बाजारों में मंदी का दौर है, ऐसे में लघु और अति लघु दुकानदारों एवं व्यापारियों के ऊपर इसका असर दिखाई पड़ रहा है. कुछ दुकानदार और व्यापारी इसे सामान्य मान रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि बड़े उद्योगपतियों के व्यापार में वृद्धि के कारण, छोटे व्यापारियों और दुकानदारों का घाटा हो रहा है.

व्यापारियों के ऊपर मंदी का असर.


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भारत में मंदी का दौर
जीडीपी ग्रोथ रेट 5% पर है और भारत में मंदी का दौर चल रहा है. मंदी के इस दौर का असर भारत के लघु और सीमांत व्यापारियों एवं दुकानदारों पर ज्यादा पड़ रहा है. बाजारों में सामान तो आ रहा है, लेकिन बाजारों में रौनक नहीं दिखाई पड़ रही है. नौकरी पेशा लोग और मध्यमवर्गीय लोग दुकानों तक पहुंच तो रहे हैं, लेकिन वह भी इतनी उत्सुकता के साथ सामान नहीं खरीद रहे हैं.

बाजारों में कम ही दिखाई पड़ रहे है किसान
ग्रामीण क्षेत्रों के कस्बों में ज्यादातर पहुंच किसानों की होती है. लेकिन किसानों के पास भी पूंजी न होने के कारण वह भी बाजारों में कम ही दिखाई पड़ रहे हैं. त्यौहारों के समय में बाजार में जबरदस्त चहल-पहल देखने को मिलती है. परंतु इस बार बाजार में लोगों की संख्या कम दिखाई दे रही है.

दुकानों पर भी भीड़ कम
सोने चांदी की खरीददारी से लेकर, मिट्टी के दीए, घड़े और बर्तनों की दुकानों पर भी भीड़ नहीं दिखाई दे रही है. सब्जियों की दुकानों पर भी लोगों की उतनी संख्या नहीं आ रही है. कपड़ों की दुकानों पर भी मंदी का बहुत असर तो नहीं है, ऐसा दुकानदारों का कहना है, लेकिन उनका वहीं यह भी मानना है कि लोगों के आने का परसेंटेज घटा है.

मंदी का असर
कुल मिलाकर मंदी का मिलाजुला असर त्यौहारों के समय में दिखाई पड़ रहा है. समय रहते सरकार को इस पर नियंत्रण जरूर पाना चाहिए. यदि मंदी की मार को नियंत्रित करने में देरी होती है तो, निश्चित तौर पर आने वाले समय में यह विकराल रूप भी ले सकती है.

Intro:बाराबंकी, 15 अक्टूबर। आज बाजारों में मंदी का दौर है, ऐसे में लघु और अति लघु दुकानदारों एवं व्यापारियो के ऊपर है इसका असर. कुछ दुकानदार और व्यापारी इसे सामान्य मान रहे हैं, वहीं कुछ का कहना है कि बड़े उद्योगपतियों के व्यापार में वृद्धि के कारण, छोटे व्यापारियों और दुकानदारों का घाटा हो रहा है. जनता मान रही है सब कुछ है सामान्य. वही कुछ दुकानदार कह रहे हैं मांगे सामान तो नहीं लेकिन सस्ते सामान बिक रहे हैं. छोटे कस्बों के व्यापारी यह मानते हैं कि किसानों की आय ना बढ़ने से उनके व्यापार पर इसका असर पड़ा है. ग्रामीण क्षेत्र के कस्बों में ज्यादातर किसान ही होते हैं खरीददार , उनके पास पैसा ना होने से बाजार सूना-सूना सा लग रहा है.


Body:लगातार यह बताया जा रहा है कि जीडीपी ग्रोथ रेट 5% पर है और भारत में मंदी का दौर चल रहा है. मंदी के इस दौर का असर भारत के लघु और सीमांत व्यापारियों एवं दुकानदारों पर ज्यादा पड़ रहा है. बाजारों में सामान तो आ रहा है, लेकिन बाजारों में रौनक नहीं दिखाई पड़ रही है. नौकरी पेशा लोग और मध्यमवर्गीय लोग दुकानों तक पहुंच तो रहे हैं, लेकिन वह भी इतनी उत्सुकता के साथ सामान नहीं खरीद रहे हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों के कस्बों में ज्यादातर पहुंच किसानों की होती है. लेकिन किसानों के पास भी पूंजी ना होने के कारण, वह भी बाजारों में कम ही दिखाई पड़ रहे हैं. त्यौहारों के समय में बाजार में जबरदस्त चहल-पहल देखने को मिलती है .परंतु इस बार बाजार में लोगों की संख्या कम दिखाई दे रही है.
सोने चांदी की खरीददारी से लेकर , मिट्टी के दीए ,घड़े और बर्तनों की दुकानों पर भी भीड़ नहीं दिखाई दे रही है. सब्जियों की दुकानों पर भी लोगों की उतनी संख्या नहीं आ रही है. कपड़ों की दुकानों पर भी मंदी का बहुत असर तो नहीं है, ऐसा दुकानदारों का कहना है, लेकिन उनका वहीं यह भी मानना है कि लोगों के आने का परसेंटेज घटा है.
कुल मिलाकर मंदी का मिलाजुला असर त्यौहारों के समय में दिखाई पड़ रहा है. समय रहते सरकार को इस पर नियंत्रण जरूर पाना चाहिए. यदि मंदी की मार को नियंत्रित करने में देरी होती है तो, निश्चित तौर पर आने वाले समय में यह विकराल रूप भी ले सकती है.


Conclusion:bite -

1- मोहम्मद रिजवान , दुकानदार

2- मंजू मिश्रा, ग्राहक

3- राजीव गुप्ता, व्यापारी

4- आलोक जायसवाल , मेडिकल स्टोर , दुकानदार

5- जैरून्निशा , मिट्टी के बर्तन की दुकानदार

6- सतीश चंद्र जैन , कपड़े के दुकानदार

7- मोहम्मद रफी, सब्जी वाला ,दुकानदार

8- बद्री प्रसाद गुप्ता ,ज्वेलरी दुकानदार.


रिपोर्ट-  आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर बाराबंकी, 96284 76907
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