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हर वर्ष शमशान घाट में आयोजित होता है शांति हवन, जानिए पिछले दो दशकों से क्यों जारी है यह परंपरा - शमशान घाट में शांति हवन

बाराबंकी शहर निवासी सतीश पिछले 20 वर्षों से नागेश्वर नाथ धाम के रेलवे लाइन के उस पार स्थित श्मशान में मृत आत्माओं की शांति के लिए सामूहिक यज्ञ और हवन कराते हैं. इस यज्ञ में शहर के तमाम लोग शिरकत करते हैं.

हर वर्ष शमशान घाट में आयोजित होता है शांति हवन, जानिए पिछले दो दशकों से क्यों जारी है यह परंपरा
हर वर्ष शमशान घाट में आयोजित होता है शांति हवन, जानिए पिछले दो दशकों से क्यों जारी है यह परंपरा
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Published : Dec 26, 2021, 9:24 PM IST

Updated : Dec 26, 2021, 10:19 PM IST

बाराबंकी : जिंदगी की इस भागमभाग में जहां लोग अपने पूर्वजों को भूलते जा रहे हैं, वहीं बाराबंकी निवासी सतीश ने न केवल अपने बल्कि समाज के सभी वर्गों के पूर्वजों को याद करने की मुहिम चला रखी है. हर वर्ष वे श्मशान घाट में सामूहिक रूप से पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए हवन-पूजन कराते हैं.

ये हैं बाराबंकी शहर निवासी सतीश जो पिछले 20 वर्षों से नागेश्वर नाथ धाम के रेलवे लाइन के उस पार स्थित श्मशान में मृत आत्माओं की शांति के लिए सामूहिक यज्ञ और हवन कराते हैं. इस यज्ञ में शहर के तमाम लोग शिरकत करते हैं. बाकायदा पूरे विधि-विधान से पुजारी हवन करते हैं और मृत आत्माओं की शांति के लिए श्लोक पढ़े जाते हैं.

हर वर्ष शमशान घाट में आयोजित होता है शांति हवन, जानिए पिछले दो दशकों से क्यों जारी है यह परंपरा

इस दौरान उपस्थित लोग हवन में आहुति देते हैं. बताते चलें कि नगर का ये प्राचीन श्मशान स्थल है. यहां सुविधाओं का अभाव है. पूजन और हवन के बहाने लोग इसके सुंदरीकरण और देखरेख पर चर्चा भी करते हैं.

यह भी पढ़ें : संस्कृत विद्यालय के पैसों को कब्रिस्तान के नाम पर बांटते थे अखिलेश, कानपुर में निकल रही 'लूट' की रकम : योगी

वैसे तो अपने पितरों यानी पूर्वजों को पितृ पक्ष में याद करने की परंपरा रही है. पितृ विसर्जन में लोग दान करते हैं. गरीबों को भोजन कराते हैं. माना जाता है कि इससे पितरों को शांति मिलती है. लोग हर वर्ष पितृपक्ष में अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध या तर्पण करते हैं लेकिन सामूहिक रूप से कोई आयोजन नहीं होता.

यहां के रहने वाले सतीश ने करीब दो दशक पहले इसकी शुरुआत की. उन्होंने अपने कुछ लोगों के साथ मिलकर श्मशान में सामूहिक हवन पूजन शुरू किया. तब से वे हर वर्ष इसका आयोजन करते हैं. बीते दो सालों से कोरोना के चलते ये आयोजन नहीं हो रहा था.

यज्ञ और हवन कराने के पीछे सतीश का मानना है कि हम सबको भी एक दिन अंतिम यात्रा पर यहीं पर आना है. ऐसे में अपने पूर्वजों को याद करके उनका सम्मान किया जाय ताकि आने वाली पीढ़ी उन्हें भी याद रखे.

हवन पूजन कराने वाले पुरोहित वेद प्रकाश मिश्र का कहना है कि लोग घरों में यज्ञ और हवन तो करते हैं लेकिन मृत आत्माओं को सामूहिक रूप से कोई नही याद करता. ऐसे में कुछ लोगों की इस पहल से मृत आत्माओं को शांति जरूर मिलती होगी.

बाराबंकी : जिंदगी की इस भागमभाग में जहां लोग अपने पूर्वजों को भूलते जा रहे हैं, वहीं बाराबंकी निवासी सतीश ने न केवल अपने बल्कि समाज के सभी वर्गों के पूर्वजों को याद करने की मुहिम चला रखी है. हर वर्ष वे श्मशान घाट में सामूहिक रूप से पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए हवन-पूजन कराते हैं.

ये हैं बाराबंकी शहर निवासी सतीश जो पिछले 20 वर्षों से नागेश्वर नाथ धाम के रेलवे लाइन के उस पार स्थित श्मशान में मृत आत्माओं की शांति के लिए सामूहिक यज्ञ और हवन कराते हैं. इस यज्ञ में शहर के तमाम लोग शिरकत करते हैं. बाकायदा पूरे विधि-विधान से पुजारी हवन करते हैं और मृत आत्माओं की शांति के लिए श्लोक पढ़े जाते हैं.

हर वर्ष शमशान घाट में आयोजित होता है शांति हवन, जानिए पिछले दो दशकों से क्यों जारी है यह परंपरा

इस दौरान उपस्थित लोग हवन में आहुति देते हैं. बताते चलें कि नगर का ये प्राचीन श्मशान स्थल है. यहां सुविधाओं का अभाव है. पूजन और हवन के बहाने लोग इसके सुंदरीकरण और देखरेख पर चर्चा भी करते हैं.

यह भी पढ़ें : संस्कृत विद्यालय के पैसों को कब्रिस्तान के नाम पर बांटते थे अखिलेश, कानपुर में निकल रही 'लूट' की रकम : योगी

वैसे तो अपने पितरों यानी पूर्वजों को पितृ पक्ष में याद करने की परंपरा रही है. पितृ विसर्जन में लोग दान करते हैं. गरीबों को भोजन कराते हैं. माना जाता है कि इससे पितरों को शांति मिलती है. लोग हर वर्ष पितृपक्ष में अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध या तर्पण करते हैं लेकिन सामूहिक रूप से कोई आयोजन नहीं होता.

यहां के रहने वाले सतीश ने करीब दो दशक पहले इसकी शुरुआत की. उन्होंने अपने कुछ लोगों के साथ मिलकर श्मशान में सामूहिक हवन पूजन शुरू किया. तब से वे हर वर्ष इसका आयोजन करते हैं. बीते दो सालों से कोरोना के चलते ये आयोजन नहीं हो रहा था.

यज्ञ और हवन कराने के पीछे सतीश का मानना है कि हम सबको भी एक दिन अंतिम यात्रा पर यहीं पर आना है. ऐसे में अपने पूर्वजों को याद करके उनका सम्मान किया जाय ताकि आने वाली पीढ़ी उन्हें भी याद रखे.

हवन पूजन कराने वाले पुरोहित वेद प्रकाश मिश्र का कहना है कि लोग घरों में यज्ञ और हवन तो करते हैं लेकिन मृत आत्माओं को सामूहिक रूप से कोई नही याद करता. ऐसे में कुछ लोगों की इस पहल से मृत आत्माओं को शांति जरूर मिलती होगी.

Last Updated : Dec 26, 2021, 10:19 PM IST
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