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ट्रिपल तलाक बिल: जानिए बाराबंकी के मुस्लिम समाज की प्रतिक्रियाएं

यूपी के बाराबंकी में तीन तलाक बिल पास होने के बाद मुस्लिम समाज की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. जहां मुस्लिम महिलाएं इससे खुश हैं वहीं मुस्लिम पुरुष वर्ग इसे धर्म में हस्तक्षेप बता रहे हैं.

ट्रिपल तलाक बिल पर मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया.
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Published : Jul 31, 2019, 5:39 PM IST

बाराबंकी: लंबे समय से लटका पड़ा तीन तलाक बिल पहले लोकसभा और फिर आज राज्यसभा में पारित हो गया. इसको लेकर प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई है. मुस्लिम महिलाएं जहां इसे अपने पक्ष में मान रही है. वहीं मुस्लिम पुरुष वर्ग इसे भाजपा का उनके धर्म में हस्तक्षेप मान रहे है. ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य और महिला वकील ने 3 साल की सजा को लेकर तीन प्रश्न भी रखे हैं. वह तीन तलाक बिल का समर्थन करते हुए इसमें संशोधन को जरूरी मान रही है.

ट्रिपल तलाक बिल पर मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया.

लंबे समय से चर्चा-परिचर्चा होते हुए ,कड़ी मशक्कत के बाद इस बार पहले लोकसभा, और फिर आज राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास हो गया. अब इसके कानून बनने का रास्ता भी साफ हो गया है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून की शक्ल अख्तियार कर लेगा. वहीं बाराबंकी जिले में तीन तलाक के कई मामले हाल-फिलहाल के दिनों में पाए गए हैं. जिन पर काफी बहस भी हुई. जब ईटीवी भारत ने तीन तलाक बिल के पास होने पर मुस्लिमों से इस बाबत जानकारी करनी चाही तो, मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई...

मुस्लिम महिला सायरा बानो का मानना है कि, यह सरकार के द्वारा किया गया बहुत ही अच्छा कार्य है. इससे उनके जीवन में पुरुषों द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों में कमी आएगी और इससे से वह काफी खुश नजर आ रही है.

वहीं मोहम्मद हनीफ एक बुजुर्ग हैं, जो इसे मोदी सरकार के द्वारा धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मान रहे हैं. वह पुरानी प्रक्रिया का समर्थन भी कर रहे हैं. साथ ही साथ उनके मन में इसके दुरुपयोग होने की भी संभावनाएं हैं.

मोहम्मद बाबू खान का कहना है कि, यह बिल मुस्लिम महिलाओं के समर्थन में है. मोदी सरकार के द्वारा यह अच्छा कार्य किया गया है.

ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य कुरैशा खातून जो पेशे से वकील हैं और मुस्लिम महिलाओं के लिए लड़ती हैं. उन्होंने ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में पारित होने पर समर्थन किया है. लेकिन उनका मानना है कि महिला को तीन तलाक देने वाले पति को अगर..
1-अगर जेल में डाल दिया जाएगा तो गुजारा भत्ता कहां से मिलेगा ?
2- महिला को शौहर द्वारा दिया गया तीन तलाक अवैध घोषित रहेगा तो वह किसके घर पर रहेगी ?
3- जब महिला को तीन तलाक दिया जा चुका होगा तो तीन-साढे तीन वर्ष वह किसका इंतजार करेगी?
इसलिए सरकार को इस बिल में संशोधन करना चाहिए ,और 3 साल की सजा की जगह पर तलाक देने वाले शौहर पर उसकी हैसियत के हिसाब से जुर्माना लगाना चाहिए. जिससे उसे सबक मिले और वह दोबारा इस तरह का कार्य न करें.इस प्रकार तीन तलाक बिल पास होने के साथ ही प्रतिक्रियाओं का बाजार भी गर्म हो गया है. देखने वाली बात यह होगी कि मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी में तीन तलाक से निजात पाने के लिए लाया गया यह बिल, उनके लिए कितना कारगर साबित होता है.



बाराबंकी: लंबे समय से लटका पड़ा तीन तलाक बिल पहले लोकसभा और फिर आज राज्यसभा में पारित हो गया. इसको लेकर प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई है. मुस्लिम महिलाएं जहां इसे अपने पक्ष में मान रही है. वहीं मुस्लिम पुरुष वर्ग इसे भाजपा का उनके धर्म में हस्तक्षेप मान रहे है. ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य और महिला वकील ने 3 साल की सजा को लेकर तीन प्रश्न भी रखे हैं. वह तीन तलाक बिल का समर्थन करते हुए इसमें संशोधन को जरूरी मान रही है.

ट्रिपल तलाक बिल पर मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया.

लंबे समय से चर्चा-परिचर्चा होते हुए ,कड़ी मशक्कत के बाद इस बार पहले लोकसभा, और फिर आज राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास हो गया. अब इसके कानून बनने का रास्ता भी साफ हो गया है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून की शक्ल अख्तियार कर लेगा. वहीं बाराबंकी जिले में तीन तलाक के कई मामले हाल-फिलहाल के दिनों में पाए गए हैं. जिन पर काफी बहस भी हुई. जब ईटीवी भारत ने तीन तलाक बिल के पास होने पर मुस्लिमों से इस बाबत जानकारी करनी चाही तो, मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई...

मुस्लिम महिला सायरा बानो का मानना है कि, यह सरकार के द्वारा किया गया बहुत ही अच्छा कार्य है. इससे उनके जीवन में पुरुषों द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों में कमी आएगी और इससे से वह काफी खुश नजर आ रही है.

वहीं मोहम्मद हनीफ एक बुजुर्ग हैं, जो इसे मोदी सरकार के द्वारा धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मान रहे हैं. वह पुरानी प्रक्रिया का समर्थन भी कर रहे हैं. साथ ही साथ उनके मन में इसके दुरुपयोग होने की भी संभावनाएं हैं.

मोहम्मद बाबू खान का कहना है कि, यह बिल मुस्लिम महिलाओं के समर्थन में है. मोदी सरकार के द्वारा यह अच्छा कार्य किया गया है.

ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य कुरैशा खातून जो पेशे से वकील हैं और मुस्लिम महिलाओं के लिए लड़ती हैं. उन्होंने ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में पारित होने पर समर्थन किया है. लेकिन उनका मानना है कि महिला को तीन तलाक देने वाले पति को अगर..
1-अगर जेल में डाल दिया जाएगा तो गुजारा भत्ता कहां से मिलेगा ?
2- महिला को शौहर द्वारा दिया गया तीन तलाक अवैध घोषित रहेगा तो वह किसके घर पर रहेगी ?
3- जब महिला को तीन तलाक दिया जा चुका होगा तो तीन-साढे तीन वर्ष वह किसका इंतजार करेगी?
इसलिए सरकार को इस बिल में संशोधन करना चाहिए ,और 3 साल की सजा की जगह पर तलाक देने वाले शौहर पर उसकी हैसियत के हिसाब से जुर्माना लगाना चाहिए. जिससे उसे सबक मिले और वह दोबारा इस तरह का कार्य न करें.इस प्रकार तीन तलाक बिल पास होने के साथ ही प्रतिक्रियाओं का बाजार भी गर्म हो गया है. देखने वाली बात यह होगी कि मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी में तीन तलाक से निजात पाने के लिए लाया गया यह बिल, उनके लिए कितना कारगर साबित होता है.



Intro: बाराबंकी, 30 जुलाई । लंबे समय से लटका पड़ा तीन तलाक बिल पहले लोकसभा और फिर आज राज्यसभा में पारित हो गया. इसको लेकर प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई है. मुस्लिम महिलाएं जहां इसे उनके फेवर में मान रही है. वहीं मुस्लिम पुरुष वर्ग इसे भाजपा का उनके धर्म में हस्तक्षेप मान रहे है. ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य और महिला वकील के , 3 साल की सजा को लेकर उनके तीन प्रश्न भी हैं ,और तीन तलाक बिल का समर्थन करते हुए इसमें संशोधन को जरूरी मान रही है.


Body: लंबे समय से चर्चा पर परिचर्चा होते हुए ,कड़ी मशक्कत के बाद इस बार पहले लोकसभा, और फिर आज राज्यसभा में तीन तलाक बिल पास होने के साथ ही ,इसके कानून बनने का रास्ता भी साफ हो गया है. अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून की शक्ल अख्तियार कर लेगा.वहीं बाराबंकी जिले में कई मामले तीन तलाक के अभी हाल फिलहाल के दिनों में पाए गए हैं. जिस पर काफी बहस भी हुई. जब हमने तीन तलाक बिल के पास होने पर मुस्लिमों से इस बाबत जानकारी करनी चाही तो, मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई.
मुस्लिम महिला सायरा बानो का मानना है कि, यह सरकार के द्वारा किया गया बहुत ही जबरदस्त कार्य है.इससे उनके जीवन में पुरुषों द्वारा किए जाने वाले अत्याचार के प्रति कमी आएगी ,और इस प्रकार से वह काफी खुश नजर आ रही है.
वही मोहम्मद हनीफ एक बुजुर्ग है, जो इसे मोदी सरकार के द्वारा धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मान रहे हैं, और पुरानी प्रक्रिया का समर्थन भी कर रहे हैं. साथ ही साथ उनके मन में इसके दुरुपयोग होने की भी भावनाएं हैं.
मोहम्मद बाबू खान का कहना है कि, यह बिल मुस्लिम महिलाओं के समर्थन में है ,और मोदी सरकार के द्वारा यह अच्छा कार्य किया गया है.
ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्य और कुरैशा खातून जो पेशे से वकील है ,और मुस्लिम महिलाओं के लिए लड़ती हैं. उन्होंने ट्रिपल तलाक बिल राज्यसभा में पारित होने पर समर्थन किया है. लेकिन उनका मानना है कि महिला को तीन तलाक देने वाले पति को ,
1-अगर जेल में डाल दिया जाएगा तो गुजारा भत्ता कहां से मिलेगा ?
2- महिला को शहर द्वारा दिया गया तीन तलाक अवैध घोषित रहेगा तो, वह किसके घर पर रहेगी ?
3- जब महिला को तीन तलाक दिया जा चुका होगा तो, तीन- साढे तीन वर्ष वह किसका इंतजार करेगी?
इसलिए सरकार को इस बिल में संशोधन करना चाहिए ,और 3 साल की सजा की जगह पर तलाक देने वाले शौहर पर , उसकी हैसियत के हिसाब से जुर्माना लगाना चाहिए. जिससे उसे सबक मिले और वह दोबारा इस तरह का कार्य न करें.



Conclusion: इस प्रकार से तीन तलाक बिल पास होने के साथ ही प्रतिक्रियाओं का बाजार गर्म है. अब यह देखने वाली बात होगी कि, मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी में तीन तलाक से निजात पाने के लिए लाया गया यह बिल, उनके लिए कितना कारगर साबित होता है !



bite -

1- जायरा बानो, मुस्लिम महिला, बाराबंकी

2- मोहम्मद हनीफ, बुजुर्ग, निवासी बाराबंकी

3- मोहम्मद बाबू खान ,बाराबंकी

4- कुरैशा खातून ,सदस्य ऑल इंडिया महिला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड एवं वकील, बाराबंकी.


रिपोर्ट-  आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर बाराबंकी, 96284 76907
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