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बाराबंकी में क्वारंटाइन किए गए लोगों को नहीं मिल रहा खाना, व्यवस्था पर उठे सवाल

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Published : Apr 3, 2020, 7:43 PM IST

यूपी के बारांबकी में जिला प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. रामनगर विधानसभा में बने एक क्वारंटाइन सेंटर में लोगों को 24 घंटे बीत जाने के बावजूद अभी तक न तो खाना मिला है और न ही कोई डॉक्टर उनका इलाज करने के लिए आया.

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बाराबंकी में क्वारंटाइन किए गए लोगों को नहीं मिल रहा खाना.

बाराबंकी: रामनगर विधानसभा के न्याय पंचायत गोबराहा के प्राइमरी स्कूल में लगभग 28 व्यक्तियों को क्वारंटाइन किया गया है. इस दौरान उन्हें न खाना मिला है और न ही कोई डॉक्टर इलाज करने आया. जब ग्रामीणों से क्वारंटाइन किए गए लोगों ने मदद की गुहार लगाई तो ग्रामीणों ने बिस्कुट देकर उनकी भूख मिटाई.

व्यवस्था पर उठे सवाल.

दरअसल, क्वारंटाइन किए गए लोगों की शिकायत है कि प्रशासन ने उन्हें यह कह कर स्कूल में लाया था कि भोजन, पानी की व्यवस्था कर दी गई है और बाकी सारी व्यवस्थाएं ग्राम प्रधान करेंगे. क्वारंटाइन किए गए मोहम्मद रईस का कहना है कि न तो डॉक्टर आए और न ही कोई खाने की व्यवस्था की गई. उन्होंने बताया कि हम लोग यहां पास के ही गांव के रहने वाले हैं. शिकायत करने पर प्रधान ने कहा कि हमारे यहां कोई भंडारा नहीं है. इससे हम लोगों की समस्याएं बढ़ती गईं.

मोहम्मद रईस ने कहा कि ग्राम प्रधान के इनकार करने के बाद हमने ग्रामीणों से मदद मांगना शुरू किया कि हम लोग यहां पर भूखे प्यासे ही मर जाएंगे. हम लोगों की समस्याओं की शिकायत प्रशासन तक पहुंचाने में मदद करें.

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इस पर ग्रामीणों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, लेकिन प्रशासन का कोई भी सक्षम अधिकारी क्वारंटाइन सेंटर तक नहीं पहुंचा. निराश लोगों को कहना है कि जांच से पहले हम लोग भूखे और प्यासे ही मर जाएंगे.

बाराबंकी: रामनगर विधानसभा के न्याय पंचायत गोबराहा के प्राइमरी स्कूल में लगभग 28 व्यक्तियों को क्वारंटाइन किया गया है. इस दौरान उन्हें न खाना मिला है और न ही कोई डॉक्टर इलाज करने आया. जब ग्रामीणों से क्वारंटाइन किए गए लोगों ने मदद की गुहार लगाई तो ग्रामीणों ने बिस्कुट देकर उनकी भूख मिटाई.

व्यवस्था पर उठे सवाल.

दरअसल, क्वारंटाइन किए गए लोगों की शिकायत है कि प्रशासन ने उन्हें यह कह कर स्कूल में लाया था कि भोजन, पानी की व्यवस्था कर दी गई है और बाकी सारी व्यवस्थाएं ग्राम प्रधान करेंगे. क्वारंटाइन किए गए मोहम्मद रईस का कहना है कि न तो डॉक्टर आए और न ही कोई खाने की व्यवस्था की गई. उन्होंने बताया कि हम लोग यहां पास के ही गांव के रहने वाले हैं. शिकायत करने पर प्रधान ने कहा कि हमारे यहां कोई भंडारा नहीं है. इससे हम लोगों की समस्याएं बढ़ती गईं.

मोहम्मद रईस ने कहा कि ग्राम प्रधान के इनकार करने के बाद हमने ग्रामीणों से मदद मांगना शुरू किया कि हम लोग यहां पर भूखे प्यासे ही मर जाएंगे. हम लोगों की समस्याओं की शिकायत प्रशासन तक पहुंचाने में मदद करें.

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इस पर ग्रामीणों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, लेकिन प्रशासन का कोई भी सक्षम अधिकारी क्वारंटाइन सेंटर तक नहीं पहुंचा. निराश लोगों को कहना है कि जांच से पहले हम लोग भूखे और प्यासे ही मर जाएंगे.

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