बाराबंकीः नगर कोतवाली के देवां रोड स्थित आनंद नगर निवासी डॉ. नवनीत कुमार वर्मा ने स्थायी लोक अदालत अधिकरण में दावा दाखिल किया था कि वर्ष 2003 में सागर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में बतौर प्रवक्ता उसकी नियुक्ति हुई थी. दो वर्ष बाद वो यहां नौकरी छोड़कर पीएसआईटी कानपुर में बतौर सहायक प्रवक्ता नौकरी करने लगा. उसके बाद सागर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की निर्देशक मधु अग्रवाल से फोन पर बात होने के बाद उसने फिर से सितम्बर 2013 से सागर इंस्टीट्यूट में नौकरी शुरू कर दी.
इस बार उसे 85000 रुपये मासिक वेतन पर प्रोफेसर पद पर नियुक्त किया गया था. सितम्बर 2013 से अगस्त 2017 तक उसे महज 55000 रुपये प्रतिमाह वेतन के रूप में दिए गए जो प्रतिमाह तीस हजार रुपये कम था. कम वेतन दिये जाने की बात जब नवनीत ने प्रबंधन से कही तो उससे कहा गया कि प्रोबेशन पीरियड पूर्ण हो जाने पर पूरा वेतन भुगतान किया जाएगा. नवनीत ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि उसे संस्थान की ओर से नियुक्ति पत्र तक नहीं दिया गया था. यहां तक कि उससे केंद्र अधीक्षक का भी काम लिया गया. अक्सर संस्थान में बाहरी तत्वों द्वारा काम में दखल दिए जाने पर जब-जब वो आवाज उठाता, उसके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता था.
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इस उत्पीड़नात्मक कार्रवाई के कारण डॉ. नवनीत हृदय और मधुमेह रोग का मरीज हो गया. जिसके चलते पचासों हजार रुपये उसका इलाज में लग गया. बकाया वेतन न देना पड़े और सारे कारनामों की पोल न खुले लिहाजा, बिना कोई नोटिस दिए उसे 06 मार्च 2020 को नौकरी से निकाल दिया गया. मजबूरन नवनीत ने स्थायी लोक अदालत का सहारा लिया. याची डॉ. नवनीत ने 58 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन, उत्पीड़न हेतु 10 लाख रुपये, अपमान हेतु 30 लाख रुपये, वाद व्यय हेतु 20 हजार रुपये यानी कुल 46 लाख 72 हजार 52 रुपये क्षतिपूर्ति दिलाए जाने का परिवाद स्थायी लोक अदालत में दाखिल किया. इसके अलावा नवनीत ने कार्यमुक्त प्रमाण पत्र, नियुक्ति पत्र और वेतन प्रमाण पत्र की भी मांग की.
सागर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट की ओर से संस्थान के अधिवक्ता ने अधिकरण को बताया कि शासन द्वारा छात्रों की फीस 80400 रुपये निर्धारण के बाद 55 हजार रुपये कर दिया गया है. इसी कारण शिक्षकों का वेतन कम कर दिया गया था. याची ने संस्थान को बदनाम करने के लिए याचिका दाखिल की है. स्थायी लोक अदालत अधिकरण के अध्यक्ष धर्मराज मिश्रा, सदस्य जज दिनेश पांडे, सदस्या जज डॉ. रश्मि रस्तोगी ने एक मत से आदेश दिया कि सागर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट 03 लाख 22 हजार रुपये का भुगतान डॉ. नवनीत को 02 माह के अंदर करे. यदि समय सीमा में भुगतान नहीं किया जाता है तो याची को याचिका दाखिल करने की तिथि से 06 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करना होगा. साथ ही वांछित अभिलेख भी डॉ. नवनीत को सागर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट प्रदान करे.