बाराबंकी: समाज की आधी आबादी अब सिर्फ चूल्हा-चौका तक सीमित नहीं है. इसकी नजीर जिले की प्रमिला श्रीवास्तव पेश कर रही हैं. उन्होंने फल संवर्धन कर अचार बनाया. फिर वे खुद तो स्वावलंबी बनी हीं. साथ ही साथ 11 सालों में 15 हजार महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उनको रोजगार से जोड़ा. आज वह महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं. प्रमिला श्रीवास्तव को लगातार 2012 से 16 तक राज्यपाल की ओर से सम्मानित भी किया जाता रहा है.
फल संवर्धन कर अचार बनाने का कार्य
प्रमिला ने दिया कई महिलाओं को रोजगार
प्रमिला ने फल संवर्धित कर अचार बनाने का कार्य शुरू किया. इसके बाद मुरब्बा, टमाटर, आंवला, मिर्च के अचार और चटनी के अलावा, चिली सॉस के कई प्रकार के खाद्य सामग्री बनाने में शहर और ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को जोड़ा. इसमें गरीब तबके की महिलाओं को प्रमिला ने प्रमुखता दी. प्रशिक्षण के दौरान अचार बनाने से लेकर, फल संरक्षित करने के उपाय के बारे में प्रमिला ने महिलाओं को विधिवत जानकारी दी. सर्वश्रेष्ठ उत्कृष्ट उत्पादकता के लिए प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिताओं में पूर्व में प्रमिला श्रीवास्तव सम्मानित भी हो चुकी हैं.
प्रमिला को किया जा चुका है "चल वैजयंती पुरस्कार" से पुरस्कृत
वर्ष 2011, 2012, 2013 और 2014 में फल, शाक, भाजी प्रदर्शनी में तत्कालीन राज्यपाल बीएल जोशी की ओर से शील्ड और प्रशस्ति पत्र देकर इन्हें सम्मानित भी किया जा चुका है. इसके अलावा प्रमिला श्रीवास्तव को लगातार 2012 से 2016 तक राज्यपाल की ओर से "चल वैजयंती पुरस्कार" से भी सम्मानित किया जा चुका है. प्रमिला श्रीवास्तव को जिले के के.डी. सिंह बाबू स्टेडियम में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम ने भी प्रोत्साहित किया था. प्रमिला श्रीवास्तव प्रशिक्षण में इस बात पर खास जोर देती हैं कि कैसे सीजनल फल संरक्षित किया जाए. साथ ही खेतों में जो सब्जी बर्बाद हो जाती है उसे भी उपयोगी कैसे बनाया जाए.
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