बाराबंकी : जिले में पुलिस ने एटीएम कार्ड और डेबिड कार्ड के जरिए धोखाधड़ी कर रुपये निकाल लेने वाले अन्तरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने गिरोह के हरियाणा और राजस्थान निवासी चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है. गिरोह का मास्टरमाइंड अभी भी फरार है. पकड़े गए जालसाजों के पास से 87 एटीएम कार्ड, एक स्वैप मशीन और घटना में प्रयुक्त होने वाली एक कार बरामद की गई है. इस गिरोह ने अब तक यूपी समेत, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और पश्चिमी बंगाल में तमाम वारदातों रको अंजाम दिया हैं.
ऐसे हुए गिरफ्तार
रामसनेहीघाट थाना क्षेत्र के कोटवा सड़क के रहने वाले रमाकांत बीते 2 जुलाई को कोटवासडक स्थित एसबीआई एटीएम से रुपये निकालने गए थे. केबिन के अंदर जब रमाकांत रुपये निकालने की प्रक्रिया में थे उसी समय पीछे से एक अज्ञात युवक ने आकर मदद करने के बहाने धोखे से एटीएम कार्ड बदल लिया. थोड़ी देर बाद मैसेज आया कि खाते से 49 हजार रुपये निकाल लिए गए हैं. परेशान रमाकांत ने थाने पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराया. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस कप्तान यमुना प्रसाद ने इस गिरोह के पर्दाफाश के लिए टीमों का गठन किया. मंगलवार को मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने कोटवा सड़क से चार युवकों को गिरफ्तार कर लिया. पकड़े गए तीन युवक हरियाणा प्रदेश के रहने वाले हैं, जबकि एक राजस्थान का निवासी है.
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गैर प्रांतों के रहने वाले हैं अभियुक्त
पूछताछ में इन युवकों ने अपने नाम साजिद निवासी बामनी थाना जुरहरा जनपद भरतपुर राजस्थान, अनीस निवासी धौलाहाट, थाना कैंप, जनपद पलवल हरियाणा, इरशाद निवासी घंघोट, थाना चांदहट जनपद पलवल हरियाणा और चौथे ने अपना नाम शाहरूख निवासी लखनका थाना हथीन जनपद पलवल हरियाणा बताया.
संगठित गिरोह चलाते हैं अभियुक्त
पकड़े गए अभियुक्तों ने कुबूल किया कि उनका एक गिरोह है, जिसका सरगना साजिद है. इनके काम करने का ढंग अनोखा है. ये पहले किसी एटीएम पर नजर रखते हैं फिर उसके केबिन में जाकर उसके नम्बरों को मिसमैच कर देते हैं और जब कोई भी रुपये निकालने के लिए आता है तो नम्बर मिस मैच होने के कारण कार्ड काम नहीं करता है. बस इसी मौके का फायदा उठाकर केबिन में घुसे युवक की मदद करने के बहाने कार्ड बदल देता है साथ ही पिन जान लेता है. इसके बाद ये युवक अपने साथियों के साथ मिलकर स्वैप मशीन से रुपये अपने एक और साथी आजाद के खाते में ट्रांसफर कर देते हैं. ट्रांसफर किए गए रुपयों को आजाद निकाल लेता है और फिर बाद में ये पांचों रुपयों का बंटवारा कर लेते हैं.