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बाराबंकी: जान जोखिम में डालकर डग्गामार वाहनों में यात्रा करने को मजबूर हैं लोग

जिले में डग्गामार वाहन आए दिन अनियंत्रित होकर पलट जाते हैं या फिर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. इससे जान-माल की काफी क्षति होती है. पर्याप्त संख्या में बसें उपलब्ध न होने के कारण यात्री भी मजबूर होकर ऐसे ही वाहनों में बैठते हैं.

डग्गामार वाहन बन रहे यात्रियों की सुरक्षा के लिए चुनौती.
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Published : May 13, 2019, 10:41 AM IST

बाराबंकी: जिले में डग्गामार वाहन लोगों की सुरक्षा के लिए चुनौती बन रहे हैं. ये वाहन नियमों के विरुद्ध चल रहे हैं. वाहन चालक अनुमति से ज्यादा लोगों को बैठाकर उनके जीवन से खेल रहे हैं. जनता ऐसे वाहनों में आने के लिए मजबूर है, जिससे उनकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है.

डग्गामार वाहन बन रहे यात्रियों की सुरक्षा के लिए चुनौती.

बसों की कमी है मुख्य कारण

  • जिले में आए दिन अनियंत्रित होकर डग्गामार वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं और इससे जानमाल का काफी नुकसान होता है.
  • डग्गामार वाहन सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए यात्रियों को ले जाने का काम करते हैं.
  • पर्याप्त संख्या में बसें उपलब्ध न होने पर यात्री इन वाहनों में यात्रा करने को मजबूर हैं.
  • वाहन चालक अनिल कुमार का कहना है कि सात लोगों के परमिट पर 13 लोगों को बैठाया जाता है और ऐसा मालिक का दबाव होता है. सभी वाहन चालक ऐसा करते हैं, इसीलिए वह भी ऐसा करता है.
  • यात्रा कर रहे युवक अजीत सिंह का कहना है कि उन्हें जल्दी पहुंचना है और कोई वाहन नहीं मिल रहा है, जिसके कारण यात्रा करना मजबूरी है.

सभी वाहनों में यही स्थिति है. हम जाएं तो जाएं कहां हमारी मजबूरी है, कि हम ऐसे ही वाहन में यात्रा करने के लिए मजबूर है.

-निशा, महिला यात्री

जब 12 नंबर की बस चलती थी, तो इस प्रकार की असुविधा नहीं होती थी, लेकिन जब से वह बंद हुई है, तब से मजूबरी में डग्गामार वाहनों में ही यात्रा करनी पड़ रही है.

-सुमनलता, महिला यात्री

मैं और मेरी पूरी टीम जिले में अब तक 89 वाहनों पर कार्रवाई कर चुकी है और प्रत्येक महीने लगभग 50 वाहनों पर कार्रवाई की जाती है.

-पंकज सिंह, एआरटीओ, बाराबंकी

बाराबंकी: जिले में डग्गामार वाहन लोगों की सुरक्षा के लिए चुनौती बन रहे हैं. ये वाहन नियमों के विरुद्ध चल रहे हैं. वाहन चालक अनुमति से ज्यादा लोगों को बैठाकर उनके जीवन से खेल रहे हैं. जनता ऐसे वाहनों में आने के लिए मजबूर है, जिससे उनकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है.

डग्गामार वाहन बन रहे यात्रियों की सुरक्षा के लिए चुनौती.

बसों की कमी है मुख्य कारण

  • जिले में आए दिन अनियंत्रित होकर डग्गामार वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं और इससे जानमाल का काफी नुकसान होता है.
  • डग्गामार वाहन सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए यात्रियों को ले जाने का काम करते हैं.
  • पर्याप्त संख्या में बसें उपलब्ध न होने पर यात्री इन वाहनों में यात्रा करने को मजबूर हैं.
  • वाहन चालक अनिल कुमार का कहना है कि सात लोगों के परमिट पर 13 लोगों को बैठाया जाता है और ऐसा मालिक का दबाव होता है. सभी वाहन चालक ऐसा करते हैं, इसीलिए वह भी ऐसा करता है.
  • यात्रा कर रहे युवक अजीत सिंह का कहना है कि उन्हें जल्दी पहुंचना है और कोई वाहन नहीं मिल रहा है, जिसके कारण यात्रा करना मजबूरी है.

सभी वाहनों में यही स्थिति है. हम जाएं तो जाएं कहां हमारी मजबूरी है, कि हम ऐसे ही वाहन में यात्रा करने के लिए मजबूर है.

-निशा, महिला यात्री

जब 12 नंबर की बस चलती थी, तो इस प्रकार की असुविधा नहीं होती थी, लेकिन जब से वह बंद हुई है, तब से मजूबरी में डग्गामार वाहनों में ही यात्रा करनी पड़ रही है.

-सुमनलता, महिला यात्री

मैं और मेरी पूरी टीम जिले में अब तक 89 वाहनों पर कार्रवाई कर चुकी है और प्रत्येक महीने लगभग 50 वाहनों पर कार्रवाई की जाती है.

-पंकज सिंह, एआरटीओ, बाराबंकी

Intro: बाराबंकी, 09 मई । जिले में डग्गामार वाहन बन रहे हैं लोगों की सुरक्षा के लिए चुनौती. नियमों के विरुद्ध चल रहे वाहन ,परमिट से ज्यादा लोगों को बैठाकर, उनके जीवन से खेल रहे हैं. जनता मजबूर है ऐसे वाहनों में आने जाने के लिए ,जिसमें उनकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है. जिले में आए दिन अनियंत्रित होकर डग्गामार वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं, और इसमें जानमाल का नुकसान होता है. लेकिन फिर भी यह व्यवस्था बरकरार है. निर्धारित मानकों का ध्यान न दिए जाने से हो रही है समस्या.


Body:जिले में जिस प्रकार से लोगों का आवागमन और यात्रा हो रही है, वह भी सुरक्षा मानकों की अनदेखी करते हुए ,यह स्थिति वास्तव में भयावह है. क्योंकि डग्गामार वाहन आए दिन अनियंत्रित होकर पलट जाते हैं ,या दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. जिससे लोगों को जान-माल की क्षति हो जाती है. लेकिन आखिर आने जाने के लिए जनता करे तो क्या करें ? मजबूर होकर ऐसे ही वाहनों में बैठती है. क्योंकि ऐसी भीषण गर्मी में वह ज्यादा देर खड़े भी तो नहीं रह सकते. क्योंकि पर्याप्त संख्या में बसें उपलब्ध नहीं है, जिससे वह मजबूर हैं, ऐसे डग्गामार वाहनों में बैठने के लिए, और अपनी जान को जोखिम में डालने के लिए.
वाहन चालक अनिल कुमार का कहना है कि 7 लोगों के परमिट पर तेरा लोगों को बैठाया जाता है और ऐसा मालिक का दबाव होता है. क्योंकि सभी लोग बैठ आते हैं इसलिए वह भी बैठा लेते हैं. वहीं यात्रा कर रहे युवक अजीत सिंह का कहना है कि उन्हें जल्दी पहुंचना है और कोई वाहन नहीं मिल रहा है, जिसके कारण बैठना और यात्रा करना मजबूरी है. यात्रा कर रही महिला यात्री निशा का कहना है, कि सभी वाहनों में यही स्थिति है हम जाएं तो जाएं कहां हमारी मजबूरी है, कि हम ऐसे ही वाहन में यात्रा करने के लिए मजबूर है. यात्री सुमनलता का कहना है कि जब 12 नंबर की बस चलती थी, तो इस प्रकार की असुविधा नहीं होती थी लेकिन जब से वह बंद हुई है, तब से डग्गामार वाहनों में ही यात्रा करनी पड़ रही है, और मजबूरी में आवागमन के लिए मजबूर है.

जिले के एआरटीओ पंकज सिंह का कहना है ,कि वह और उनकी पूरी टीम जिले में अब तक 89 वाहनों पर कार्रवाई कर चुकी है. और प्रत्येक महीने लगभग 50 वाहनों पर कार्रवाई की जाती है. लेकिन अब सवाल यह उठता है ,कि जब इतनी कार्रवाई होती है तो फिर परिस्थिति में सुधार क्यों नहीं आ रहा है ? जनता की सुरक्षा और व्यवस्था को ठीक रखने के लिए ,वह और भी कड़े कदम उठाएंगे. जिससे इस प्रकार के वाहन जो सुरक्षा मानकों पर खरे नहीं है उन्हें इस व्यवस्था से बाहर निकाला जाए.


Conclusion:यह बात तो तय है कि प्रशासन कार्रवाई करता है, लेकिन फिर से डग्गामार वाहन हर बार चलने शुरू हो जाते हैं. अब इसके लिए जिम्मेदार कौन है ? यह तय कर पाना तो मुश्किल है. लेकिन फिर भी अगर इतनी कार्रवाई होने के बाद भी . परिस्थिति में परिवर्तन नहीं आ रहा है, तो इसका अर्थ यह है कि प्रशासनिक अमला काम करवाने में असफल है और इसी वजह से लोगों की सुरक्षा ताक पर समझी जाए.



bite -

1- अनिल कुमार ,ड्राइवर डग्गामार वाहन , बाराबंकी
2- अजीत सिंह, युवक यात्री, बाराबंकी
3- निशा ,यात्री बाराबंकी
4- सुमनलता , यात्री, बाराबंकी
5- पंकज सिंह, एआरटीओ ,बाराबंकी

रिपोर्ट- आलोक कुमार शुक्ला , रिपोर्टर बाराबंकी 9628 4769 07


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