बाराबंकी: जिले में 1,526 किलोमीटर के लगभग नहरों का परिक्षेत्र है. नियमानुसार हर वर्ष एक तिहाई अर्थात करीब 500 से 600 किलोमीटर नहर के सिल्ट की सफाई की जाती है. जिन नहरों में ज्यादा समस्या होती है, कोशिश की जाती है कि उनकी सफाई कर ली जाए.
इस बार 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर के बीच नहरों की सफाई कराई जा रही है. प्रयास यह है कि अधिक से अधिक नहरों की सफाई हो. किसानों को आने वाले समय में सिंचाई को लेकर किसी भी प्रकार की समस्या न हो, इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है.
बाराबंकी जिला खेती-किसानी के लिए जाना जाता है. यहां हर प्रकार की खेती की जाती है. साथ ही साथ बाराबंकी की धरती को नए-नए प्रकार के खेती में होने वाले प्रयोगों के लिए भी जाना जाता है. यहां पर दलहन, तिलहन, खरीफ और रबी की फसल के साथ-साथ नकदी फसलों का भी चलन है और फल एवं सब्जियों की भी पर्याप्त मात्रा में खेती होती है.
खेती में नए प्रकार के इनोवेशन और तकनीकी के प्रयोग यहां पर किए जाते हैं. जिले के किसानों को उत्कृष्ट खेती के लिए जाना जाता है. यहां की मिट्टी भी उपजाऊ है. यहीं के रामशरण वर्मा को उनके उन्नत खेती और तकनीकी से युक्त खेती करने के कारण पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है.
जनपद में फैला है नहरों का जाल
सभी प्रकार की खेती को करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी सिंचाई व्यवस्था का होना होता है. लगभग 80% क्षेत्र में यहां 1,526 किलोमीटर नहर उपलब्ध है, जिसमें से सिंचाई विभाग हर साल एक तिहाई नहरों की सिल्ट सफाई करता है. कहीं-कहीं पर समस्याएं होती हैं, जहां बरसात के कारण और लहरों से बालू आने के कारण रुकावटें पैदा होती है.
वहां पर सिंचाई विभाग की यह कोशिश होती है कि सफाई कम से कम ऊपरी क्षेत्र में करा दिया जाए. इस बार 15 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक नहरों की सफाई कराई जा रही है. अधिक से अधिक सफाई करवाने की व्यवस्था की जा रही है, जिससे किसानों को आने वाले फसलों की बुवाई में कोई समस्या न हो.