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बाराबंकी में नौनिहालों के लिए वरदान बना पोषण पुनर्वास केंद्र

जिले में कुपोषित बच्चों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र वरदान साबित हो रहा है. इसकी स्थापना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा साल 2015 में की गई थी. दस बेड के इस केंद्र में कुपोषित बच्चों को 14 से 22 दिनों तक भर्ती रखा जाता है.

पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों का हो रहा इलाज.
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Published : Jun 6, 2019, 10:25 AM IST

बाराबंकी: अगर आपके बच्चे का उम्र के हिसाब से शारीरिक विकास नहीं हो रहा हो या लगातार वजन घट रहा हो तो समझ लीजिये आपका नौनिहाल कुपोषण की श्रेणी में है. ऐसे माता पिता को घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि जिला अस्पताल में बना पोषण पुनर्वास केंद्र आपके नौनिहालों की सेहत सुधारने का काम कर रहा है. अब तक 500 से ज्यादा बच्चों की सेहत सुधार चुका यह केंद्र नौनिहालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों का हो रहा इलाज.

...इस तरह बच्चों को किया जाता है कुपोषण से मुक्त

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा मार्च 2015 में स्थापित पोषण पुनर्वास केंद्र जिले में बच्चो की सेहत का आधार बन चुका है.
  • गरीबी और खान पान की कमी से हर वर्ष तमाम बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं.
  • कुपोषित बच्चों की सेहत सुधारने के लिए शुरू किए गए इस केंद्र में पहले बच्चों का वजन और लम्बाई-चौड़ाई नापी जाती है.
  • बीमार होने पर उन्हें यहां भर्ती किया जाता है.
  • दस बेड के इस केंद्र में कुपोषित बच्चों को 14 से 22 दिन तक भर्ती रखा जाता है.

कुपोषित बच्चों को दिया जाता है यह भोजन

  • भर्ती बच्चों को पौष्टिक हलवा, खिचड़ी और एफ-100 डाइट दी जाती है.
  • इसमें 90 एमएल दूध, साढ़े सात ग्राम चीनी, 2 ग्राम आयल का मिश्रण तैयार कर हर 4 घंटे पर फीड दी जाती है.
  • जो बच्चे डायरिया या दूसरी बीमारियों से कुपोषित हो जाते हैं, उन्हें एफ-75 डाइट दी जाती है.
  • यहां तैनात स्टाफ नर्स, कुक, काउंसलर और डॉक्टर इन बच्चों की सेहत सुधारते हैं.
  • कुपोषण से बचाव के लिए आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए थे, जहां 0 से 6 वर्ष के बच्चों का पंजीकरण होता है.
  • आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इन बच्चों की नियमित मॉनिटरिंग करनी होती है,
  • इनमें कुपोषण पाए जाने पर इन्हें तुरन्त इस पुनर्वास केंद्र में लाए जाने का प्रावधान है.

ओपीडी में आने वाले बच्चों में कुपोषण के लक्षण पाए जाने पर डॉक्टर उन्हें यहां रेफर करते हैं. इसके अलावा हम लोगों को जो भी बच्चा कुपोषित दिखता है, उसे यहां भर्ती किया जाता है.
-मंजू सिंह, काउंसलर

आंगनबाड़ी और आशाओं का अपेक्षित सहयोग न मिलने से बीमार बच्चे इस केंद्र तक पहुंच नही पा रहे. जो भी बच्चे यहां आ रहे है उनकी सेहत सुधार कर उन्हें भेजा जाता है लेकिन अभी भी तमाम लोग ऐसे हैं जिनको केंद्र की जानकारी न होने से इसका लाभ उनके बच्चों को नही मिल पा रहा ।
-संदीप कौर , नर्स एजुकेटर

बाराबंकी: अगर आपके बच्चे का उम्र के हिसाब से शारीरिक विकास नहीं हो रहा हो या लगातार वजन घट रहा हो तो समझ लीजिये आपका नौनिहाल कुपोषण की श्रेणी में है. ऐसे माता पिता को घबराने की जरूरत नहीं, क्योंकि जिला अस्पताल में बना पोषण पुनर्वास केंद्र आपके नौनिहालों की सेहत सुधारने का काम कर रहा है. अब तक 500 से ज्यादा बच्चों की सेहत सुधार चुका यह केंद्र नौनिहालों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों का हो रहा इलाज.

...इस तरह बच्चों को किया जाता है कुपोषण से मुक्त

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा मार्च 2015 में स्थापित पोषण पुनर्वास केंद्र जिले में बच्चो की सेहत का आधार बन चुका है.
  • गरीबी और खान पान की कमी से हर वर्ष तमाम बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं.
  • कुपोषित बच्चों की सेहत सुधारने के लिए शुरू किए गए इस केंद्र में पहले बच्चों का वजन और लम्बाई-चौड़ाई नापी जाती है.
  • बीमार होने पर उन्हें यहां भर्ती किया जाता है.
  • दस बेड के इस केंद्र में कुपोषित बच्चों को 14 से 22 दिन तक भर्ती रखा जाता है.

कुपोषित बच्चों को दिया जाता है यह भोजन

  • भर्ती बच्चों को पौष्टिक हलवा, खिचड़ी और एफ-100 डाइट दी जाती है.
  • इसमें 90 एमएल दूध, साढ़े सात ग्राम चीनी, 2 ग्राम आयल का मिश्रण तैयार कर हर 4 घंटे पर फीड दी जाती है.
  • जो बच्चे डायरिया या दूसरी बीमारियों से कुपोषित हो जाते हैं, उन्हें एफ-75 डाइट दी जाती है.
  • यहां तैनात स्टाफ नर्स, कुक, काउंसलर और डॉक्टर इन बच्चों की सेहत सुधारते हैं.
  • कुपोषण से बचाव के लिए आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए थे, जहां 0 से 6 वर्ष के बच्चों का पंजीकरण होता है.
  • आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इन बच्चों की नियमित मॉनिटरिंग करनी होती है,
  • इनमें कुपोषण पाए जाने पर इन्हें तुरन्त इस पुनर्वास केंद्र में लाए जाने का प्रावधान है.

ओपीडी में आने वाले बच्चों में कुपोषण के लक्षण पाए जाने पर डॉक्टर उन्हें यहां रेफर करते हैं. इसके अलावा हम लोगों को जो भी बच्चा कुपोषित दिखता है, उसे यहां भर्ती किया जाता है.
-मंजू सिंह, काउंसलर

आंगनबाड़ी और आशाओं का अपेक्षित सहयोग न मिलने से बीमार बच्चे इस केंद्र तक पहुंच नही पा रहे. जो भी बच्चे यहां आ रहे है उनकी सेहत सुधार कर उन्हें भेजा जाता है लेकिन अभी भी तमाम लोग ऐसे हैं जिनको केंद्र की जानकारी न होने से इसका लाभ उनके बच्चों को नही मिल पा रहा ।
-संदीप कौर , नर्स एजुकेटर

Intro:बाराबंकी, 06 जून । अगर आपके बच्चे का उम्र के हिसाब से शारीरिक विकास नही हो रहा हो या लगातार वजन घट रहा हो तो समझ लीजिये आपका नौनिहाल कुपोषण की श्रेणी में है । ऐसे माता पिता को घबराने की जरूरत नही क्योंकि जिला अस्पताल में बना पोषण पुनर्वास केंद्र आपके नौनिहालों की सेहत सुधारने का काम कर रहा है ।अब तक 5 सौ से ज्यादा बच्चों की सेहत सुधार चुका ये केंद्र नौनिहालों के लिए किसी वरदान से कम नही । पेश है बाराबंकी से अलीम शेख की ये खास रिपोर्ट....


Body:वीओ - ये है बाराबंकी जिला अस्पताल का पोषण पुनर्वास केंद्र । राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा मार्च 15 में स्थापित ये केंद्र बच्चो की सेहत का आधार बन चुका है । गरीबी और खान पान की कमी से हर वर्ष तमाम बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं । कुपोषित बच्चों की सेहत सुधारने के लिए शुरू किए गए इस केंद्र में पहले बच्चो का वजन और लम्बाई चौड़ाई नापी जाती है । बीमार होने पर उन्हें यहां भर्ती किया जाता है । दस बेड के इस केंद्र में कुपोषित बच्चों को 14 से 22 दिन तक भर्ती रखा जाता है । भर्ती बच्चों को पौष्टिक हलवा, खिचड़ी और एफ-100 डायट दी जाती है । इसमें 90 एमएल दूध, साढ़े सात ग्राम चीनी, 2 ग्राम आयल का मिश्रण तैयार कर हर 4 घंटे पर फीड दी जाती है। वही जो बच्चे डायरिया या दूसरी बीमारियों से कुपोषित हो जाते हैं उन्हें एफ-75 डाइट दी जाती है । यहां तैनात स्टाफ नर्स, कुक, काउंसलर और डॉक्टर इन बच्चों की सेहत सुधारते हैं । कुपोषण से बचाव के लिए आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए थे । आंगनबाड़ी केंद्रों पर 0 से 6 वर्ष के बच्चों का पंजीकरण होता है । आंगनबाड़ी कार्यकत्री को इन बच्चों की नियमित मॉनिटरिंग करना होता है । इनमे कुपोषण पाए जाने पर इन्हें तुरन्त इस पुनर्वास केंद्र में लाये जाने का प्रावधान है लेकिन ज्यादातर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां इसमें सहयोग नही कर रही । वहीं आशाओं को भी अपने क्षेत्र के बीमार बच्चों को यहाँ भेजना होता है लेकिन इनका भी अपेक्षित सहयोग केंद्र को नही मिल रहा । यहां तैनात काउंसलर मंजू सिंह का कहना है कि ओपीडी में आने वाले बच्चों में कुपोषण के लक्षण पाए जाने पर डॉक्टर उन्हें यहां रेफर करते हैं । इसके अलावा हम लोगों को जो भी बच्चा कुपोषित दिखता है उसे यहां भर्ती किया जाता है । केंद्र की मॉनिटरिंग के लिए तैनात संदीप कौर का कहना है कि आंगनबाड़ी और आशाओं का अपेक्षित सहयोग न मिलने से बीमार बच्चे इस केंद्र तक पहुंच नही पा रहे । इनका कहना है कि जो भी बच्चे यहां आ रहे है उनकी सेहत सुधार कर उन्हें भेजा जाता है लेकिन अभी भी तमाम लोग ऐसे हैं जिनको केंद्र की जानकारी न होने से इसका लाभ उनके बच्चों को नही मिल पा रहा ।
बाईट- मंजू सिंह , काउंसलर
बाईट- संदीप कौर , नर्स एजुकेटर


Conclusion:रिपोर्ट- अलीम शेख बाराबंकी
9839421515
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