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पहली बार बाराबंकी में रावण का पुतला न बनने से दुखी ये मुस्लिम परिवार

यूपी के बाराबंकी में पिछले पांच दशकों से रावण के पुतले बनाने वाला मुस्लिम परिवार इस बार दुखी है. दरअसल कोरोना के कारण इस बार बाराबंकी में रावण वध के लिए आयोजकों ने रावण और मेघनाथ के पुतले बनाने के ऑर्डर नहीं दिए. इस कारण से यह मुस्लिम परिवार मायूस है.

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Published : Oct 25, 2020, 4:56 PM IST

बाराबंकी में रावण का पुतला न बनने से मुस्लिम परिवार दुखी है.
बाराबंकी में रावण का पुतला न बनने से मुस्लिम परिवार दुखी है.

बाराबंकी: जिले में पिछले पांच दशकों से रावण के पुतले बनाकर समाज से बुराई खत्म करने में लगा मुस्लिम परिवार इस बार दुखी है. दरअसल पहली बार ऐसा हो रहा है कि जिले में रावण के पुतले नहीं बन रहे हैं. कोविड गाइडलाइंस के अनुपालन में इस बार आयोजकों ने रावण और मेघनाथ के पुतले बनाने के ऑर्डर नहीं दिए. रावण बनाने के पुश्तैनी काम में लगे इस परिवार को हर वर्ष खासी आमदनी हो जाती थी, जिससे करीब 6 महीनों तक इनके घर का खर्च चल जाता था, लेकिन इस बार कोरोना ने इन्हें संकट में डाल दिया है.

रावण का पुतला न बनने से दुखी है मुस्लिम परिवार .
जिले के पीरबटावन मोहल्ले में किराए के मकान में रहने वाले अहमद हुसैन पिछले तीन दशकों से बुराई के प्रतीक रावण और मेघनाथ के पुतलों को बनाते रहे हैं. अहमद अपने पुश्तैनी काम को करते चले आ रहे हैं. पहले रावण और मेघनाद के विशालकाय पुतले इनके दादा बनाते थे, जिसके बाद इनके पिता हनीफ ने ये काम संभाला और फिर अहमद हुसैन इस परंपरा को निभा रहे हैं.

अहमद हुसैन बताया कि उन्होंने जब से होश संभाला पहली बार ऐसा है, जब वे पुतले नहीं बना रहे हैं. कोरोना के चलते इस बार रामलीला कमेटी के लोगों ने ऑर्डर नहीं दिया. अहमद बताते हैं कि कोरोना ने उन्हें ये बड़ी मार दी है. हर साल पुतले बनाकर उन्हें 20 से 25 हजार रुपये बच जाते थे, जिससे उनके घर का साल भर का खर्च चल जाता था.

बाराबंकी के दशहरे की पूरे यूपी में धूम रहती है, जहां दशहरे के दिन दशहरा बाग मैदान में हजारों की भीड़ उमड़ती थी. रामलीला मंचन के साथ रावण और मेघनाथ के विशाल पुतले दहन किए जाते थे, लेकिन इस बार कोविड गाइडलाइंस के अनुपालन के चलते ये आयोजन नहीं हो रहे हैं.

बाराबंकी: जिले में पिछले पांच दशकों से रावण के पुतले बनाकर समाज से बुराई खत्म करने में लगा मुस्लिम परिवार इस बार दुखी है. दरअसल पहली बार ऐसा हो रहा है कि जिले में रावण के पुतले नहीं बन रहे हैं. कोविड गाइडलाइंस के अनुपालन में इस बार आयोजकों ने रावण और मेघनाथ के पुतले बनाने के ऑर्डर नहीं दिए. रावण बनाने के पुश्तैनी काम में लगे इस परिवार को हर वर्ष खासी आमदनी हो जाती थी, जिससे करीब 6 महीनों तक इनके घर का खर्च चल जाता था, लेकिन इस बार कोरोना ने इन्हें संकट में डाल दिया है.

रावण का पुतला न बनने से दुखी है मुस्लिम परिवार .
जिले के पीरबटावन मोहल्ले में किराए के मकान में रहने वाले अहमद हुसैन पिछले तीन दशकों से बुराई के प्रतीक रावण और मेघनाथ के पुतलों को बनाते रहे हैं. अहमद अपने पुश्तैनी काम को करते चले आ रहे हैं. पहले रावण और मेघनाद के विशालकाय पुतले इनके दादा बनाते थे, जिसके बाद इनके पिता हनीफ ने ये काम संभाला और फिर अहमद हुसैन इस परंपरा को निभा रहे हैं.

अहमद हुसैन बताया कि उन्होंने जब से होश संभाला पहली बार ऐसा है, जब वे पुतले नहीं बना रहे हैं. कोरोना के चलते इस बार रामलीला कमेटी के लोगों ने ऑर्डर नहीं दिया. अहमद बताते हैं कि कोरोना ने उन्हें ये बड़ी मार दी है. हर साल पुतले बनाकर उन्हें 20 से 25 हजार रुपये बच जाते थे, जिससे उनके घर का साल भर का खर्च चल जाता था.

बाराबंकी के दशहरे की पूरे यूपी में धूम रहती है, जहां दशहरे के दिन दशहरा बाग मैदान में हजारों की भीड़ उमड़ती थी. रामलीला मंचन के साथ रावण और मेघनाथ के विशाल पुतले दहन किए जाते थे, लेकिन इस बार कोविड गाइडलाइंस के अनुपालन के चलते ये आयोजन नहीं हो रहे हैं.

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