बाराबंकी: जिले में पिछले पांच दशकों से रावण के पुतले बनाकर समाज से बुराई खत्म करने में लगा मुस्लिम परिवार इस बार दुखी है. दरअसल पहली बार ऐसा हो रहा है कि जिले में रावण के पुतले नहीं बन रहे हैं. कोविड गाइडलाइंस के अनुपालन में इस बार आयोजकों ने रावण और मेघनाथ के पुतले बनाने के ऑर्डर नहीं दिए. रावण बनाने के पुश्तैनी काम में लगे इस परिवार को हर वर्ष खासी आमदनी हो जाती थी, जिससे करीब 6 महीनों तक इनके घर का खर्च चल जाता था, लेकिन इस बार कोरोना ने इन्हें संकट में डाल दिया है.
अहमद हुसैन बताया कि उन्होंने जब से होश संभाला पहली बार ऐसा है, जब वे पुतले नहीं बना रहे हैं. कोरोना के चलते इस बार रामलीला कमेटी के लोगों ने ऑर्डर नहीं दिया. अहमद बताते हैं कि कोरोना ने उन्हें ये बड़ी मार दी है. हर साल पुतले बनाकर उन्हें 20 से 25 हजार रुपये बच जाते थे, जिससे उनके घर का साल भर का खर्च चल जाता था.
बाराबंकी के दशहरे की पूरे यूपी में धूम रहती है, जहां दशहरे के दिन दशहरा बाग मैदान में हजारों की भीड़ उमड़ती थी. रामलीला मंचन के साथ रावण और मेघनाथ के विशाल पुतले दहन किए जाते थे, लेकिन इस बार कोविड गाइडलाइंस के अनुपालन के चलते ये आयोजन नहीं हो रहे हैं.