बाराबंकी: पीएम मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के तहत अब जल्द ही सभी गांवों को आदर्श गांव के रूप में विकसित किया जाएगा. गांव साफ और सुंदर हों, इसके लिए गांवों से कूड़ा कचरा हटाकर इसे उपयोगी बनाया जाएगा. गांव के सॉलिड लिक्विड वेस्ट का प्रबंधन कैसे किया जाए, इसके लिए सभी ब्लॉकों के खंड विकास अधिकारियों और एडीओ पंचायत को बाकायदा प्रशिक्षित किया जा रहा है.
बता दें कि 15 ब्लॉकों वाले बाराबंकी जिले के 73 गांवों को पहले चरण के लिए चयनित किया गया है. हर ब्लॉक के खंड विकास अधिकारियों, एडीओ पंचायत, खण्ड प्रेरक और तकनीकी सहायकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. यूनिसेफ (UNICEF) के विशेष ट्रेनर इन अधिकारियों और कर्मचारियों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित कर रहे हैं. पहले चरण में जिले के 73 गांवों को चिन्हित किया गया है. ट्रेनिंग के बाद ये अधिकारी और कर्मचारी ग्रामीणों से सहयोग लेकर गांवों से सूखे और गीले कचरे का निस्तारण कर गांव को सुंदर बनाएंगे.
- इसके तहत गांवों के सूखे और गीले कचरे को इकट्ठा किया जाएगा.
- इस कचरे से पॉलीथिन अलग कर उसे अलग किया जाएगा, फिर पॉलीथिन को नष्ट किया जाएगा.
- कचरे से मेडिकल वेस्ट को छांटकर उसे बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाएगा.
- फसल और पशुपालन अपशिष्ट को अलग कर उसे कम्पोस्ट पिट में डाला जाएगा. ताकि उसकी खाद बनाई जा सके.
- नाले-नालियों के पानी को इकट्ठा कर उसको सोकपिट में भेजा जाएगा.
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अधिकारियों का कहना है कि शासन की मंशा है कि गांवों को ऐसा बना दिया जाए कि वहां का जल भी शुद्ध रहे और गांव भी साफ और सुंदर नजर आए. निश्चत ही किसी भी देश की प्रगति के लिए वहां के गांवों का विकसित होना जरूरी है. गांवों के विकास के लिए गांव का साफ-सुथरा होना बेहद जरूरी है. ऐसे में शासन की तरफ से गांवों को सुंदर बनाने के लिए शुरू हुई यह पहल काबिले तारीफ है.
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