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हर छोटी औद्योगिक इकाई को पटरी पर लाने में जुटा MSME विभाग: भानू प्रताप सिंह वर्मा - भानू प्रताप सिंह वर्मा राज्यमंत्री

बाराबंकी में क्षेत्रीय श्रीगांधी आश्रम में संचालित हो रही इकाइयों का निरीक्षण करने आए राज्यमंत्री भानू प्रताप सिंह वर्मा ने कहा कि सरकार कोविड महामारी के चलते बन्द हो चुकी तमाम औद्योगिक इकाइयों को पटरी पर लाने के लिए प्रयास कर रही है.

राज्यमंत्री भानू प्रताप सिंह वर्मा
राज्यमंत्री भानू प्रताप सिंह वर्मा
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Published : Oct 4, 2021, 10:23 PM IST

बाराबंकी: कोविड महामारी के चलते बन्द हो चुकी तमाम औद्योगिक इकाइयों को पटरी पर लाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. केंद्र सरकार ने आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (emergency credit line guarantee scheme) के तहत सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम यानी एमएसएमई (micro small medium enterprises) विभाग को 3 लाख करोड़ रुपये दिए थे, ताकि छोटी इकाइयों को बंद होने से रोका जा सके. अब एक बार फिर केंद्र सरकार ने डेढ़ लाख करोड़ रुपये दिए हैं, ताकि छोटी औद्योगिक इकाइयों का संचालन सुचारू रूप से होता रहे. इतना ही नहीं ईसीएलजी स्कीम का समय भी बढ़ा दिया गया है. ये कहना है एमएसएमई विभाग के भारत सरकार के राज्यमंत्री भानू प्रताप सिंह वर्मा का. राज्यमंत्री भारत सरकार सोमवार को बाराबंकी में क्षेत्रीय श्रीगांधी आश्रम में संचालित हो रही इकाइयों का निरीक्षण करने आए थे.

संचालित इकाइयों का किया निरीक्षण

क्षेत्रीय श्रीगांधी आश्रम में साबुन उद्योग, अगरबत्ती उद्योग, कताई, रंगाई और छपाई जैसी दर्जनों छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां संचालित हो रही हैं. कोविड महामारी के दौरान इन इकाइयों पर भी खासा असर पड़ा. सोमवार को भारत सरकार के एमएसएमई विभाग के राज्यमंत्री इन इकाइयों की स्थिति जानने आए थे. इन इकाइयों का निरीक्षण कर राज्यमंत्री काफी संतुष्ट दिखे, हालांकि उन्होंने कहा कि इन इकाइयों के संचालन में जो भी दिक्कतें होंगी उन्हें दूर किया जाएगा.

राज्यमंत्री भानू प्रताप सिंह वर्मा

40 वर्षों में कई उतार-चढ़ाव से गुजरा है गांधी आश्रम

19 एकड़ में फैले इस आश्रम की स्थापना 1980 में अकबरपुर क्षेत्र से विकेंद्रित होकर हुई थी. इन 40 वर्षों में संस्था ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. वर्ष 98 तक गांधी आश्रम की यूनिट पीक पर थी लेकिन, नीतियों में जब तब हुए परिवर्तन ने खादी संस्थाओं में खासा असर डाला. ऐसे में यह संस्था भी काफी प्रभावित हुई, हालात यह हुए कि संस्था लाखों के घाटे में चली गई.

वर्ष 2014 में मिला नेशनल एवार्ड

वर्ष 2010 से पहले इस गांधी आश्रम की स्थिति बहुत ही खराब थी लेकिन, 2010 में इसके उत्थान के लिए किए गए प्रयास रंग लाए और यहां रंगाई छपाई जैसे कई प्लांट लगाए गए. काम बढ़ा तो संस्था की आमदनी भी बढ़ गई. जिसका नतीजा यह हुआ कि संस्था न केवल घाटे से उबर कर मुनाफे में आ गई बल्कि, 2014 में इस संस्था को नेशनल अवार्ड से भी नवाजा गया.

यहां के लिहाफ की है धूम

यहां खादी उत्पादन, पोली उत्पादन, रंगाई छपाई, साबुन उत्पादन और अगरबत्ती उत्पादन जैसे तमाम काम संचालित किए जा रहे हैं. मोटी खादी और रंगाई छपाई के लिए तो इसकी एक खास पहचान है, साथ ही यहां की बनी रजाई की धूम तो पूरे देश में हैं.

हर हाथ को काम देने में लगी संस्था

संस्था में 1000 कामगार विभिन्न योजनाओं से जुड़कर काम कर रहे हैं, जिसमें 700 से ज्यादा कत्तिन बुनकर हैं. तमाम चुनौतियों के बावजूद ये संस्था हर हाथ को काम देने में लगी है. राज्यमंत्री भानू प्रताप सिंह वर्मा ने कहा कि एमएसएमई विभाग हर छोटी बड़ी इकाइयों को ठीक ढंग से संचालित कराने की दिशा में काम कर रहा है ताकि, ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके.

बाराबंकी: कोविड महामारी के चलते बन्द हो चुकी तमाम औद्योगिक इकाइयों को पटरी पर लाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. केंद्र सरकार ने आपातकालीन ऋण सुविधा गारंटी योजना (emergency credit line guarantee scheme) के तहत सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्यम यानी एमएसएमई (micro small medium enterprises) विभाग को 3 लाख करोड़ रुपये दिए थे, ताकि छोटी इकाइयों को बंद होने से रोका जा सके. अब एक बार फिर केंद्र सरकार ने डेढ़ लाख करोड़ रुपये दिए हैं, ताकि छोटी औद्योगिक इकाइयों का संचालन सुचारू रूप से होता रहे. इतना ही नहीं ईसीएलजी स्कीम का समय भी बढ़ा दिया गया है. ये कहना है एमएसएमई विभाग के भारत सरकार के राज्यमंत्री भानू प्रताप सिंह वर्मा का. राज्यमंत्री भारत सरकार सोमवार को बाराबंकी में क्षेत्रीय श्रीगांधी आश्रम में संचालित हो रही इकाइयों का निरीक्षण करने आए थे.

संचालित इकाइयों का किया निरीक्षण

क्षेत्रीय श्रीगांधी आश्रम में साबुन उद्योग, अगरबत्ती उद्योग, कताई, रंगाई और छपाई जैसी दर्जनों छोटी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां संचालित हो रही हैं. कोविड महामारी के दौरान इन इकाइयों पर भी खासा असर पड़ा. सोमवार को भारत सरकार के एमएसएमई विभाग के राज्यमंत्री इन इकाइयों की स्थिति जानने आए थे. इन इकाइयों का निरीक्षण कर राज्यमंत्री काफी संतुष्ट दिखे, हालांकि उन्होंने कहा कि इन इकाइयों के संचालन में जो भी दिक्कतें होंगी उन्हें दूर किया जाएगा.

राज्यमंत्री भानू प्रताप सिंह वर्मा

40 वर्षों में कई उतार-चढ़ाव से गुजरा है गांधी आश्रम

19 एकड़ में फैले इस आश्रम की स्थापना 1980 में अकबरपुर क्षेत्र से विकेंद्रित होकर हुई थी. इन 40 वर्षों में संस्था ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. वर्ष 98 तक गांधी आश्रम की यूनिट पीक पर थी लेकिन, नीतियों में जब तब हुए परिवर्तन ने खादी संस्थाओं में खासा असर डाला. ऐसे में यह संस्था भी काफी प्रभावित हुई, हालात यह हुए कि संस्था लाखों के घाटे में चली गई.

वर्ष 2014 में मिला नेशनल एवार्ड

वर्ष 2010 से पहले इस गांधी आश्रम की स्थिति बहुत ही खराब थी लेकिन, 2010 में इसके उत्थान के लिए किए गए प्रयास रंग लाए और यहां रंगाई छपाई जैसे कई प्लांट लगाए गए. काम बढ़ा तो संस्था की आमदनी भी बढ़ गई. जिसका नतीजा यह हुआ कि संस्था न केवल घाटे से उबर कर मुनाफे में आ गई बल्कि, 2014 में इस संस्था को नेशनल अवार्ड से भी नवाजा गया.

यहां के लिहाफ की है धूम

यहां खादी उत्पादन, पोली उत्पादन, रंगाई छपाई, साबुन उत्पादन और अगरबत्ती उत्पादन जैसे तमाम काम संचालित किए जा रहे हैं. मोटी खादी और रंगाई छपाई के लिए तो इसकी एक खास पहचान है, साथ ही यहां की बनी रजाई की धूम तो पूरे देश में हैं.

हर हाथ को काम देने में लगी संस्था

संस्था में 1000 कामगार विभिन्न योजनाओं से जुड़कर काम कर रहे हैं, जिसमें 700 से ज्यादा कत्तिन बुनकर हैं. तमाम चुनौतियों के बावजूद ये संस्था हर हाथ को काम देने में लगी है. राज्यमंत्री भानू प्रताप सिंह वर्मा ने कहा कि एमएसएमई विभाग हर छोटी बड़ी इकाइयों को ठीक ढंग से संचालित कराने की दिशा में काम कर रहा है ताकि, ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार से जोड़ा जा सके.

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