बाराबंकी: जिले में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पीएम मोदी की आत्मनिर्भर बनने की मंशा को साकार कर रही हैं. स्कूली बच्चों की ड्रेस तैयार कर रही ये महिलाएं न केवल खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत कर रही हैं बल्कि खुद को स्वावलंबी भी बना रही हैं.
पीएम मोदी की "आत्मनिर्भर" बनने की मंशा को साकार कर रहीं बाराबंकी की महिलाएं - atmanirbhar india
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं परिषदीय स्कूलों के बच्चों की ड्रेस तैयार कर खुद को न सिर्फ आर्थिक तौर पर मजबूत कर रही हैं बल्कि स्वावलंबी भी बन रही हैं. बंकी ब्लॉक में 450 समूह हैं, जिनमें 50 समूह सिलाई के लिए प्रशिक्षित हैं, जिन्हें 15 हजार ड्रेस बनाने का काम दिया गया है.
महिलाओं को मिला रोजगार
बाराबंकी: जिले में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पीएम मोदी की आत्मनिर्भर बनने की मंशा को साकार कर रही हैं. स्कूली बच्चों की ड्रेस तैयार कर रही ये महिलाएं न केवल खुद को आर्थिक तौर पर मजबूत कर रही हैं बल्कि खुद को स्वावलंबी भी बना रही हैं.
बंकी ब्लॉक स्थित नूरपुर गांव की ख्वाजा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं परिषदीय स्कूलों के बच्चों की ड्रेस तैयार कर रही हैं. कोरोना संकट काल में जब रोजगार और अर्थव्यवस्था की दशा खराब चल रही है, ऐसे में राष्ट्रीय ग्रामीण आजिविका मिशन की ओर से दिया गया ये काम इन महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नही है. इससे ये ग्रामीण महिलाएं न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर परिवार का सहारा बन रही हैं बल्कि स्वावलंबी भी हो रही हैं. जिले में सात हजार स्वयं सहायता समूह हैं. इनसे करीब 70 हजार महिलाएं जुड़ी हैं, लेकिन जिले के 6 ब्लॉकों के समूहों को ड्रेस की सिलाई का काम दिया गया है. इन्हें एक लाख 40 हजार ड्रेस तैयार करनी हैं.
बंकी ब्लॉक में 450 समूह हैं, जिनमें 50 समूह सिलाई के लिए प्रशिक्षित हैं, जिन्हें 15 हजार ड्रेस बनाने का काम दिया गया है. एनआरएलएम ने इन समूहों को कपड़ा और सिलाई से सम्बंधित दूसरे मटेरियल दिए गए हैं. इन महिलाओं को केवल सिलकर इन्हें तैयार करना है. विभाग एक जोड़े पर इन्हें 40 रुपये का भुगतान करेगा. विभाग की मंशा है कि कोरोना संकट काल में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए.
बंकी ब्लॉक स्थित नूरपुर गांव की ख्वाजा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं परिषदीय स्कूलों के बच्चों की ड्रेस तैयार कर रही हैं. कोरोना संकट काल में जब रोजगार और अर्थव्यवस्था की दशा खराब चल रही है, ऐसे में राष्ट्रीय ग्रामीण आजिविका मिशन की ओर से दिया गया ये काम इन महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम नही है. इससे ये ग्रामीण महिलाएं न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर परिवार का सहारा बन रही हैं बल्कि स्वावलंबी भी हो रही हैं. जिले में सात हजार स्वयं सहायता समूह हैं. इनसे करीब 70 हजार महिलाएं जुड़ी हैं, लेकिन जिले के 6 ब्लॉकों के समूहों को ड्रेस की सिलाई का काम दिया गया है. इन्हें एक लाख 40 हजार ड्रेस तैयार करनी हैं.
बंकी ब्लॉक में 450 समूह हैं, जिनमें 50 समूह सिलाई के लिए प्रशिक्षित हैं, जिन्हें 15 हजार ड्रेस बनाने का काम दिया गया है. एनआरएलएम ने इन समूहों को कपड़ा और सिलाई से सम्बंधित दूसरे मटेरियल दिए गए हैं. इन महिलाओं को केवल सिलकर इन्हें तैयार करना है. विभाग एक जोड़े पर इन्हें 40 रुपये का भुगतान करेगा. विभाग की मंशा है कि कोरोना संकट काल में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए.