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महज 1390 रुपये न होने के कारण सजा पूरी होने के बाद भी जेल में था कैदी, संस्था ने दिखाई दरियादिली - सजा पूरी होने के बाद भी बाराबंकी जेल में कैदी

बाराबंकी में दो कैदियों को सजा पूरी होने के बाद भी जेल में रहना पड़ रहा था. उनमें से एक केवल इसलिए रिहा नहीं हो पाया, क्योंकि उसके पास 1390 रुपये नहीं (Man in jail even after completion of sentence) थे. एक संस्था ने शुक्रवार को उनकी मदद की.

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arabanki News in Hindi Mans in jail even after completion of sentence सजा पूरी होने के बाद भी बाराबंकी जेल में कैदी संस्था ने दिखाई दरियादिली
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Published : Jul 22, 2023, 7:35 AM IST

बाराबंकी: यूपी के बाराबंकी में जुर्माना अदा करने के लिए रुपये न होने से सजा पूरी होने के बाद (Man in jail even after completion of sentence) भी जेल में रहने को मजबूर दो बंदियों पर मानवीय संवेदना दिखाते हुए एक सामाजिक संस्था आगे आई और उसने इन दोनों की जुर्माना रकम जमा कर दी. इसमें से एक बंदी तो महज 1390 रुपये न होने के कारण सजा पूरी होने के बाद भी सजा काट रहा था. शुक्रवार को जेल प्रशासन ने इन दोनों को रिहा कर दिया. जेल से छूटने के बाद दोनों के चेहरों पर न केवल खुशियां नजर आई, बल्कि दोनों ने अमन और शांति से बाकी की जिंदगी गुजारने का वादा भी किया.


बताते चलें कि रामसनेहीघाट थाना क्षेत्र के सियाराम भट्ठा गांव निवासी रंजीत पुत्र राजकुमार को 354,324,506 आईपीसी और पॉक्सो ऐक्ट के मुकदमे में न्यायालय द्वारा कठोर कारावास और 30 हजार 120 रुपये जुर्माने की सजा हुई थी. रंजीत की सजा पूरी हो चुकी थी, लेकिन गरीबी के चलते वह जुर्माने की रकम अदा नहीं कर पा रहा था. इसके चलते वह जेल में था. वहीं सिरताज उर्फ कुट्टी पुत्र मोहियादीन निवासी रानीमऊ तराई थाना टिकैतनगर, इतना गरीब था कि उसकी हैसियत इतनी भी नहीं थी कि वह महज 1390 रुपये जुर्माना अदा कर सके.

सिरताज को एनडीपीएस एक्ट में कठोर कारावास और 1390 रुपये जुर्माने की सजा दी गई थी. यह जानकारी गरीबों के हित के लिए काम करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था "आल इंडिया पयामे इंसानियत फोरम" के प्रतिनिधियों को लगी. इसके बाद संस्था के प्रतिनिधि मो. आसिम नदवी, नईम अख्तर नदवी और शफीक चौधरी समेत कई सदस्य जेल पहुंचे. उन्होंने ऐसे सिद्धदोष बंदियों के बारे में जेल प्रशासन से बात की, जो जुर्माना अदा न कर पाने की वजह सजा काट रहे हैं. जेल प्रशासन ने नाम बताए. फिर संस्था के सदस्यों ने इन दो सिद्ध दोष बंदियों का जुर्माना 31 हजार 510 रुपया सम्बंधित न्यायालयों में जमा कराया और कानूनी प्रक्रिया पूरी की. शुक्रवार को दोनों बंदियों को जेल प्रशासन ने रिहा कर दिया.


जेल अधीक्षक कुंदन कुमार ने बताया कि दोनों बंदियों ने कारागार में निरुद्ध रहने के दौरान कौशल विकास कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त किया गया. इन बंदियों ने रिहा होते समय वादा किया कि वे बाहर जाकर अपना स्वयं का कार्य शुरू कर अपना तथा अपने परिवार का भरण पोषण करेंगे तथा शांति से जीवन व्यतीत करेंगे. इस मौके पर जेलर आलोक कुमार शुक्ला, डिप्टी जेलर रंजू शुक्ला, मनीष कुमार सिंह समेत तमाम कर्मचारियों ने बंदियों को शांति और खुशहाली से जीवन बसर करने करने के लिए प्रेरित किया. (Barabanki News in Hindi)

ये भी पढ़ें- बुजुर्ग के पैरों में फटे जूते देखकर सिपाही का पसीजा दिल, खरीदकर पहनाए नए जूते

बाराबंकी: यूपी के बाराबंकी में जुर्माना अदा करने के लिए रुपये न होने से सजा पूरी होने के बाद (Man in jail even after completion of sentence) भी जेल में रहने को मजबूर दो बंदियों पर मानवीय संवेदना दिखाते हुए एक सामाजिक संस्था आगे आई और उसने इन दोनों की जुर्माना रकम जमा कर दी. इसमें से एक बंदी तो महज 1390 रुपये न होने के कारण सजा पूरी होने के बाद भी सजा काट रहा था. शुक्रवार को जेल प्रशासन ने इन दोनों को रिहा कर दिया. जेल से छूटने के बाद दोनों के चेहरों पर न केवल खुशियां नजर आई, बल्कि दोनों ने अमन और शांति से बाकी की जिंदगी गुजारने का वादा भी किया.


बताते चलें कि रामसनेहीघाट थाना क्षेत्र के सियाराम भट्ठा गांव निवासी रंजीत पुत्र राजकुमार को 354,324,506 आईपीसी और पॉक्सो ऐक्ट के मुकदमे में न्यायालय द्वारा कठोर कारावास और 30 हजार 120 रुपये जुर्माने की सजा हुई थी. रंजीत की सजा पूरी हो चुकी थी, लेकिन गरीबी के चलते वह जुर्माने की रकम अदा नहीं कर पा रहा था. इसके चलते वह जेल में था. वहीं सिरताज उर्फ कुट्टी पुत्र मोहियादीन निवासी रानीमऊ तराई थाना टिकैतनगर, इतना गरीब था कि उसकी हैसियत इतनी भी नहीं थी कि वह महज 1390 रुपये जुर्माना अदा कर सके.

सिरताज को एनडीपीएस एक्ट में कठोर कारावास और 1390 रुपये जुर्माने की सजा दी गई थी. यह जानकारी गरीबों के हित के लिए काम करने वाली एक स्वयंसेवी संस्था "आल इंडिया पयामे इंसानियत फोरम" के प्रतिनिधियों को लगी. इसके बाद संस्था के प्रतिनिधि मो. आसिम नदवी, नईम अख्तर नदवी और शफीक चौधरी समेत कई सदस्य जेल पहुंचे. उन्होंने ऐसे सिद्धदोष बंदियों के बारे में जेल प्रशासन से बात की, जो जुर्माना अदा न कर पाने की वजह सजा काट रहे हैं. जेल प्रशासन ने नाम बताए. फिर संस्था के सदस्यों ने इन दो सिद्ध दोष बंदियों का जुर्माना 31 हजार 510 रुपया सम्बंधित न्यायालयों में जमा कराया और कानूनी प्रक्रिया पूरी की. शुक्रवार को दोनों बंदियों को जेल प्रशासन ने रिहा कर दिया.


जेल अधीक्षक कुंदन कुमार ने बताया कि दोनों बंदियों ने कारागार में निरुद्ध रहने के दौरान कौशल विकास कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त किया गया. इन बंदियों ने रिहा होते समय वादा किया कि वे बाहर जाकर अपना स्वयं का कार्य शुरू कर अपना तथा अपने परिवार का भरण पोषण करेंगे तथा शांति से जीवन व्यतीत करेंगे. इस मौके पर जेलर आलोक कुमार शुक्ला, डिप्टी जेलर रंजू शुक्ला, मनीष कुमार सिंह समेत तमाम कर्मचारियों ने बंदियों को शांति और खुशहाली से जीवन बसर करने करने के लिए प्रेरित किया. (Barabanki News in Hindi)

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