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बाराबंकी: सांपों का हो खौफ तो इस मंदिर में जाइए "बेखौफ"

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में मजीठा धाम से प्रचलित नागदेवता का मंदिर है. इस मंदिर में सावन और नागपंचमी के दिन भव्य मेला लगता हैं जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी मुरादें की दुआएं मांगने आते हैं. जिस व्यक्ति को सांपो से भय रहता है यहां आने के बाद भय समाप्त हो जाती है.

नागदेवता मंदिर की जानकारी देते मंदिर के कर्मचारी.
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Published : Aug 5, 2019, 11:51 PM IST

बाराबंकी: बाराबंकी नगर मुख्यालय से छह किमी दूरी पर मजीठा धाम है. जंहा हर वर्ष सावन के महीने में भव्य मेला लगता है और नागपंचमी के दिन तो आसपास के जिलों के हजारों श्रद्धालु आते है. यहां के मंदिर में श्रद्धालु नागदेवता को दूध और चावल से भरी मठिया चढ़ाते हैं. मान्यता है कि जिनके घर मे सांप आते हैं या जिनको सांपों से डर लगता है वो यहां मठिया चढ़ाकर सांपो से छुटकारा पा जाते हैं.

मजीठा धाम से प्रचलित नागदेवता का मंदिर.

नागदेवता के प्रति श्रद्धालुओं की दिखती आस्था और श्रद्धा-

  • बाराबंकी जिले से 6 किमी की दूर पर नागदेवता मंदिर है जिसे मजीठा धाम के नाम से जाना जाता हैं.
  • नागदेवता के इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और मंदिर के इतिहास के बारे में बाबत लोगों का अलग-अलग मत है.
  • यहां पूरे वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है और हर वर्ष सावन के महीने में यहां भव्य मेला लगता है.
  • नागपंचमी के दिन यहां आसपास के जिलों के हजारों श्रद्धालु पहुंचते है.
  • श्रद्धालु दूध और चावल से भरी मठिया चढ़ाते हैं और अपनी मुरादें पाते हैं.
  • मान्यता है कि जिनको सांपों से डर लगता है वो यहां मठिया चढ़ाकर इससे छुटकारा पा जाते हैं.
  • अगर किसी को सांप ने डस लिया है और वो जिंदा यहां आ जाता है तो उसको कोई नुकसान नही होता.
  • कुछ लोगो का कहना है कि इधर से महात्मा बुद्ध गुजरे थे और कुछ का मानना है कि महात्मा बुद्ध के शिष्य ने यहां तपस्या किए थे.
  • तमाम श्रद्धालु यहां बीमारियों और कष्टों के निवारण की मन्नत लेकर आते है और तमाम अपनी गरीबी दूर करने आते है.
  • आस्था और श्रद्धा के इस केंद्र पर सैकड़ों वर्षों से दूरदराज से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता ही जा रहा है.

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बाराबंकी: बाराबंकी नगर मुख्यालय से छह किमी दूरी पर मजीठा धाम है. जंहा हर वर्ष सावन के महीने में भव्य मेला लगता है और नागपंचमी के दिन तो आसपास के जिलों के हजारों श्रद्धालु आते है. यहां के मंदिर में श्रद्धालु नागदेवता को दूध और चावल से भरी मठिया चढ़ाते हैं. मान्यता है कि जिनके घर मे सांप आते हैं या जिनको सांपों से डर लगता है वो यहां मठिया चढ़ाकर सांपो से छुटकारा पा जाते हैं.

मजीठा धाम से प्रचलित नागदेवता का मंदिर.

नागदेवता के प्रति श्रद्धालुओं की दिखती आस्था और श्रद्धा-

  • बाराबंकी जिले से 6 किमी की दूर पर नागदेवता मंदिर है जिसे मजीठा धाम के नाम से जाना जाता हैं.
  • नागदेवता के इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है और मंदिर के इतिहास के बारे में बाबत लोगों का अलग-अलग मत है.
  • यहां पूरे वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है और हर वर्ष सावन के महीने में यहां भव्य मेला लगता है.
  • नागपंचमी के दिन यहां आसपास के जिलों के हजारों श्रद्धालु पहुंचते है.
  • श्रद्धालु दूध और चावल से भरी मठिया चढ़ाते हैं और अपनी मुरादें पाते हैं.
  • मान्यता है कि जिनको सांपों से डर लगता है वो यहां मठिया चढ़ाकर इससे छुटकारा पा जाते हैं.
  • अगर किसी को सांप ने डस लिया है और वो जिंदा यहां आ जाता है तो उसको कोई नुकसान नही होता.
  • कुछ लोगो का कहना है कि इधर से महात्मा बुद्ध गुजरे थे और कुछ का मानना है कि महात्मा बुद्ध के शिष्य ने यहां तपस्या किए थे.
  • तमाम श्रद्धालु यहां बीमारियों और कष्टों के निवारण की मन्नत लेकर आते है और तमाम अपनी गरीबी दूर करने आते है.
  • आस्था और श्रद्धा के इस केंद्र पर सैकड़ों वर्षों से दूरदराज से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता ही जा रहा है.

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Intro:बाराबंकी ,05 अगस्त । अगर आपके घर मे सांप आते हैं या आपको सांप से डर बना रहता है तो बाराबंकी के मजीठा धाम आइए । जी हां, यहां के नागदेवता मंदिर में दूध और चावल से भरी मठिया चढ़ाकर आपको इससे निजात मिल जाएगी । सैकड़ों वर्षों से यहां दूर दराज से श्रद्धालु आकर मिट्टी की मठिया चढ़ाते है और अपनी मुरादें पाते हैं ।


Body:वीओ - बाराबंकी नगर मुख्यालय से 6 किमी दूर ये है मजीठा धाम ।वैसे तो यहां पूरे वर्ष भर श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है लेकिन हर वर्ष सावन के महीने में यहां भव्य मेला लगता है । नागपंचमी के दिन तो यहां आसपास के जिलों के हजारों श्रद्धालु पहुंचते है । दूध और चावल से भरी मठिया चढ़ाते हैं और अपनी मुरादें पाते हैं । मान्यता है कि जिनके घर मे सांप आते हैं या जिनको सांपों से डर लगता है वो यहां मठिया चढ़ाकर इससे छुटकारा पा जाते हैं । यही नही अगर किसी को सांप ने डस लिया है और वो जिंदा यहां आ जाता है तो उसको कोई नुकसान नही होता ।
बाईट - अशोक वर्मा , ग्राम वासी

वीओ - यहां के नागदेवता मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है । मंदिर के इतिहास की बाबत लोगों का अलग अलग मत है । कुछ लोगो का कहना है कि इधर से महात्मा बुद्ध गुजरे थे कुछ का मानना है के महात्मा बुद्ध के शिष्य ने यहाँ तपस्या की थी । तपस्या के दौरान उन्हें भगवान ने सर्प रूप में दर्शन दिया था । तपस्वी ने नाग देवता को देखा तो उनको दूध और चावल दिया । दूध और चावल खाकर नागदेवता वहीं पर बैठे रहे । उसी स्थान पर मंदिर बनवाया गया और तभी से मिट्टी की मठिया में दूध और चावल चढ़ाने की परंपरा पड़ी ।
बाईट - राजबहादुर , मंदिर की देखरेख करने वाले

वीओ - इसके अलावा अगर किसी के मस्से हैं, छोटी बड़ी फोड़े फुंसियां है , शरीर पर चकत्ते हैं वो भी यहां से दूर हो जाते हैं ।
नागपंचमी के दिन यहां सँपेरों की भी भीड़ जुटती है । श्रद्धालु इन सँपेरों के सांपों को भी पूजते हैं । तमाम श्रद्धालु जहाँ बीमारियों और कष्टों से निवारण की मन्नत लेकर आते है तो तमाम अपनी गरीबी दूर करने आते है ।
बाईट- गिरजाशंकर , श्रद्धालु
बाईट- रामावती , श्रद्धालु
बाईट- मालती , लखनऊ से आयी महिला


Conclusion:आस्था और श्रद्धा के इस केंद्र पर सैकड़ों वर्षों से दूरदराज से श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है । महत्ता इतनी कि साल दर साल ये जनसैलाब बढ़ता ही जा रहा है ।

रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9454661740
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