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ऐसे बढ़ेगा ऑक्सीजन लेवल, वन विभाग ने तैयार किया ये प्लान

ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए बाराबंकी में 24 झीलों को इको पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा. झीलों के सुंदरीकरण का कार्य नमामि गंगे योजना से होगा. वन विभाग ने इसकी योजना तैयार कर परियोजना निदेशक नमामि गंगे को भेजी है

इको पार्क
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Published : May 24, 2021, 4:11 PM IST

बाराबंकी: कार्बनडाई ऑक्साइड कम कर ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए वन विभाग जल्द ही जिले की 24 झीलों और करीब 200 तालाबों को जैव विविधता के रूप में विकसित करने जा रहा है. नमामि गंगे योजना के तहत तकरीबन 9 करोड़ रुपये खर्च कर इन झीलों और तालाबों को इको टूरिज्म पार्क बनाया जाएगा. इससे न केवल पर्यावरण और जल का संरक्षण होगा, बल्कि तमाम लोगों को रोजगार भी मिलेगा. वन विभाग ने एक वृहद कार्य योजना बनाकर परियोजना निदेशक नमामि गंगे को भेजी है.

ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने की कवायद
झीलों और तालाबों का होगा पुनरुद्धार

जिले में छोटे-बड़े 2631 जलस्रोत हैं. ये राजस्व अभिलेखों में जलमग्न या तालाब दर्ज हैं. इनमें 199 ऐसे तालाब हैं, जिनके क्षेत्रफल करीब ढाई हेक्टेयर से ऊपर के हैं. ये भी राजस्व अभिलेखों में जलमग्न तालाब के रूप में दर्ज हैं. इन 199 तालाबों के पुनरुद्धार के लिए वन विभाग ने कार्ययोजना बनाकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी है. इसके अलावा जिले की 13 झीलों के भी पुनरुद्धार करने की योजना बनाई गई है. पुनरुद्धार होने वाली झीलों में भगहर झील, बेना टीकहार, सलारपुर, बनगवां, उदवतनगर, खुर्दमऊ, कमरावां, सरायबराई, सराही, भिटारी, चकौरा, नरौली निरहूमऊ, बमहौरा शामिल हैं.


यहां आकर अध्ययन कर सकेंगे लोग

सुंदरीकरण के लिए विभाग इन झीलों और तालाबों से पहले इसकी तलहटी को साफ कराएगा. चेक डैम बनाए जाएंगे, हार्वेस्टिंग के जरिए बरसात का पानी इनमें लाया जाएगा. इनके चारों ओर ग्रीन बेल्ट बनाई जाएगी. पक्षियों के विचरण के लिए विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाए जाएंगे. इनके चारों ओर ग्रीन कॉरिडोर बनेगा जिसके जरिए लोग यहां आकर न केवल सुकून महसूस कर सकें, बल्कि अध्धयन भी कर सकें. इन झीलों और तालाबों को इको पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि पर्यटन को भी बढ़ावा मिले. जलीय जीवों और पक्षियों का संरक्षण कर इन्हें आकर्षक बनाया जाएगा.

लोगों को रोजगार भी मिलेगा

जैव विविधता पार्क के विकसित हो जाने पर यहां लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इनके आसपास के ग्रामीणों को ईको गाइड के रूप में चयन कर उन्हें यहां तैनात किया जाएगा जो यहां पशु-पक्षियों और जलीय जीवों की देख-रेख के साथ यहां आने वाले पर्यटकों को इनकी विस्तृत जानकारी भी देंगे. इसके अलावा इसके पानी से किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर अपनी आय भी बढ़ा सकेंगे.

इसे भी पढ़ें- 100 बेड का अस्पताल बनाने के लिए मेनका गांधी ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र

करीब-करीब हर ब्लॉक के बड़े तालाबों और झीलों का चयन किया गया है. इनको इको पार्क के रूप में विकसित कर पर्यावरण और जल संरक्षण को बढ़ाया जाएगा, इससे जिले के ऑक्सीजन का लेवल भी बढ़ेगा.

-डॉ. एनके सिंह, डीएफओ

बाराबंकी: कार्बनडाई ऑक्साइड कम कर ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए वन विभाग जल्द ही जिले की 24 झीलों और करीब 200 तालाबों को जैव विविधता के रूप में विकसित करने जा रहा है. नमामि गंगे योजना के तहत तकरीबन 9 करोड़ रुपये खर्च कर इन झीलों और तालाबों को इको टूरिज्म पार्क बनाया जाएगा. इससे न केवल पर्यावरण और जल का संरक्षण होगा, बल्कि तमाम लोगों को रोजगार भी मिलेगा. वन विभाग ने एक वृहद कार्य योजना बनाकर परियोजना निदेशक नमामि गंगे को भेजी है.

ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने की कवायद
झीलों और तालाबों का होगा पुनरुद्धार

जिले में छोटे-बड़े 2631 जलस्रोत हैं. ये राजस्व अभिलेखों में जलमग्न या तालाब दर्ज हैं. इनमें 199 ऐसे तालाब हैं, जिनके क्षेत्रफल करीब ढाई हेक्टेयर से ऊपर के हैं. ये भी राजस्व अभिलेखों में जलमग्न तालाब के रूप में दर्ज हैं. इन 199 तालाबों के पुनरुद्धार के लिए वन विभाग ने कार्ययोजना बनाकर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजी है. इसके अलावा जिले की 13 झीलों के भी पुनरुद्धार करने की योजना बनाई गई है. पुनरुद्धार होने वाली झीलों में भगहर झील, बेना टीकहार, सलारपुर, बनगवां, उदवतनगर, खुर्दमऊ, कमरावां, सरायबराई, सराही, भिटारी, चकौरा, नरौली निरहूमऊ, बमहौरा शामिल हैं.


यहां आकर अध्ययन कर सकेंगे लोग

सुंदरीकरण के लिए विभाग इन झीलों और तालाबों से पहले इसकी तलहटी को साफ कराएगा. चेक डैम बनाए जाएंगे, हार्वेस्टिंग के जरिए बरसात का पानी इनमें लाया जाएगा. इनके चारों ओर ग्रीन बेल्ट बनाई जाएगी. पक्षियों के विचरण के लिए विभिन्न प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाए जाएंगे. इनके चारों ओर ग्रीन कॉरिडोर बनेगा जिसके जरिए लोग यहां आकर न केवल सुकून महसूस कर सकें, बल्कि अध्धयन भी कर सकें. इन झीलों और तालाबों को इको पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि पर्यटन को भी बढ़ावा मिले. जलीय जीवों और पक्षियों का संरक्षण कर इन्हें आकर्षक बनाया जाएगा.

लोगों को रोजगार भी मिलेगा

जैव विविधता पार्क के विकसित हो जाने पर यहां लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इनके आसपास के ग्रामीणों को ईको गाइड के रूप में चयन कर उन्हें यहां तैनात किया जाएगा जो यहां पशु-पक्षियों और जलीय जीवों की देख-रेख के साथ यहां आने वाले पर्यटकों को इनकी विस्तृत जानकारी भी देंगे. इसके अलावा इसके पानी से किसान अपनी फसलों की सिंचाई कर अपनी आय भी बढ़ा सकेंगे.

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करीब-करीब हर ब्लॉक के बड़े तालाबों और झीलों का चयन किया गया है. इनको इको पार्क के रूप में विकसित कर पर्यावरण और जल संरक्षण को बढ़ाया जाएगा, इससे जिले के ऑक्सीजन का लेवल भी बढ़ेगा.

-डॉ. एनके सिंह, डीएफओ

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