बाराबंकी: पवित्र धाम देवा, महादेवा, शायर खुमार, हाकी खिलाड़ी केडी सिंह बाबू के अलावा बाराबंकी की पहचान एक और चीज से होती है. यहां की स्पेशल मिठाई चंद्रकला की पहचान दूर-दूर तक है. यहां के लोग अपने रिश्तेदारों और खास मेहमानों को चंद्रकला खिलाना नहीं भूलते. तकरीबन छह दशक से चंद्रकला यहां दूसरी मिठाइयों पर भारी है शायद यही वजह है कि पहले जहां ये चुनिंदा दुकानों पर ही बना करता था वहीं अब इसके कारीगर बढ़ने लगे हैं.
ऐसे बनाई जाती है 'चंद्रकला' मिठाई
- पहले मैदा में पानी और घी मिलाकर उसे देर तक गूंथा जाता है.
- फिर उसकी छोटी छोटी टिकिया बना ली जाती हैं.
- एक टिकिया में पहले से ही तैयार खोया, मेवा और इलायची के मिश्रण को रखा जाता है.
- ऊपर से दूसरी टिकिया रखकर इसको बंद कर दिया जाता है.
- उसके बाद इसको किनारे-किनारे बड़े ही खास ढंग से तैयार कर डिजाइन दी जाती है.
- इन कच्चे चंद्रकला को कढ़ाई में डालकर तेल या घी में फ्राई किया जाता है.
- आंच तेज न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाता है और इसे सुनहरा होने तक तला जाता है.
- फिर इनको निकालकर पहले से ही तैयार शक्कर की गाढ़ी चाशनी में डाल दिया जाता है.
- 10 से 15 मिनट बाद इसे चाशनी से निकाल लिया जाता है.
- इस तरह चंद्रकला बनकर तैयार हो जाती है.
तीन पीढ़ियों पहले चंद्रकला बनाने की शुरुआत सफदरगंज से हुई थी. फिर हमारा परिवार मसौली आ गया और तब से यहीं पर दुकान है. चंद्रकला जैसे मिठाई दूसरी जगह कहीं नहीं बनती लेकिन इसकी डिमांड देखकर अब तमाम दुकानें खुल गई हैं.
विवेकानंद, दुकान के मालिक