बाराबंकीः जिले में एक कानूनगो के निजी मुंशी ने खुद को आग ली थी. मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम ने सख्त आदेश पारित करते हुए किसी भी कार्यालय में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों द्वारा प्राइवेट मुंशियों से कार्य कराने पर प्रतिबंध लगा दिया है. एसडीएम ने आदेश जारी किया है कि किसी भी कर्मचारी ने प्राइवेट मुंशियों से यदि सरकारी कार्य में सहयोग लिया, तो संबंधित कर्मचारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली- 1956 की सुसंगत धाराओं के अनुरूप कठोर कार्रवाई की जाएगी.
इस आदेश के बाद कानूनगो और लेखपालों में हड़कंप मचा है. उधर इस आदेश के बाद कानूनगो संघ के जिलाध्यक्ष ने एसडीएम के इस आदेश का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने मांग की है कि काम के बोझ को देखते हुए सरकार को चाहिए कि चेनमैन की सरकारी तौर पर नियुक्ति हो या फिर संविदा के रूप में ही नियुक्ति की जाय वरना राजस्व कार्य प्रभावित होगा.
दरअसल, शनिवार को हैदरगढ़ तहसील में तहसील दिवस के दौरान सभागार के बाहर एक कानूनगो के निजी मुंशी सुरजीत सिंह उर्फ डींगा सिंह ने किसी ज्वलनशील पदार्थ को अपने ऊपर डालकर आग लगा ली थी. उसकी पत्नी ने आरोप लगाया था कि तहसीलदार की प्रताड़ना के चलते उसने यह कदम उठाया. झुलसे सुरजीत का लखनऊ के अस्पताल में इलाज चल रहा है. सुरजीत ने ब्लॉक के प्रमुख प्रतिनिधि को फोन कर एक बैनामा की बाबत पूछा था, जिससे नाराज होकर ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि ने तहसीलदार से शिकायत कर दी थी.
आरोप है कि तहसीलदार ने उसको डांटते हुए कहा था कि तहसील में दिखाई दिए तो उस पर मुकदमा लिखा देंगे. शनिवार को जब वो तहसील में आया तो तहसीलदार ने उसे फिर धमकी दी, जिससे परेशान होकर उसने खुद को आग लगा ली. ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि ने मुंशी पर पैसे मांगने और अभद्रता करने का आरोप लगाकर तहसीलदार से शिकायत की थी. फिलहाल मामले की जांच जारी है.
सरकारी कर्मचारियों द्वारा निजी मुंशी या सहयोगियों को अपने साथ रखने का कोई नया मामला नहीं है. तमाम कर्मचारी अपने मुंशी रखते हैं और इनकी कार्यप्रणाली से कर्मचारियों की बदनामी होती है. यही वजह है कि एसडीएम सुमित राजेश महाजन ने सोमवार को आदेश जारी कर दिया कि कोई भी कर्मचारी निजी मुंशी या सहायक नहीं रखेगा.
उधर कानूनगो संघ के जिलाध्यक्ष सुनील कुमार शुक्ला ने एसडीएम के इस आदेश का स्वागत किया है, लेकिन उन्होंने चेनमैन की नियुक्ति की भी मांग की. उन्होंने कहा कि जिले में 70 कानूनगो तैनात हैं. प्रत्येक कानूनगो 10 लेखपालों के कार्यों का संपादन करता है. एक कानूनगो के साथ एक चैनमैन रखने का प्रावधान है. ये चैनमैन राजस्व के तमाम कार्य करते हैं. इनकी नियुक्ति सरकारी होती है और ये चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी होते हैं.
सुनील शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में जिले में महज 2 चैनमैन ही नियुक्त हैं. उन्होंने बताया कि पिछले कई वर्षों से राजस्व कार्य बढ़ गया है. चैनमैन न होने से कानूनगो पर काम का तमाम दबाव रहता है. उन्होंने बताया कि काम के दबाव के चलते कई कानूनगो गंभीर रोगों से पीड़ित हो गए हैं. वह प्राइवेट व्यक्ति रखने का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन यह भी देखा जाना चाहिए कि चैनमैन न होने से काम कैसे होगा. उन्होंने कहा कि चैनमैन की सरकारी या संविदा पर ही नियुक्ति की जाय वरना राजस्व का काम खासा प्रभावित होगा.