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बाराबंकी: कब्र खोदने वालों पर भी पड़ी कोरोना संकट की मार

यूपी के बाराबंकी में कोरोना वायरस का असर कब्र खोदने वालों पर पड़ा है. शब-ए-बारात के मौके पर कब्रों की रंगाई-पुताई कर इनकी खासी आमदनी हो जाती थी, लेकिन इस बार इस कोरोना ने इनको खासा नुकसान पहुंचाया है.

कब्र खोदने वालों पर भी पड़ी कोरोना संकट की मार.
कब्र खोदने वालों पर भी पड़ी कोरोना संकट की मार.
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Published : Apr 9, 2020, 7:29 AM IST

बाराबंकी: कोरोना संकट का असर कब्र खोदने वालों पर भी दिखाई दे रहा है. शब-ए-बारात के मौके पर कब्रों की रंगाई-पुताई कर इनकी खासी आमदनी हो जाती थी, लेकिन इस बार इस महामारी ने इनको खासा नुकसान पहुंचाया है.

लोगों ने अपने करीबियों की कब्रों की रंगाई-पुताई करने से मना कर दिया है. दरअसल, इस बार लॉकडाउन के चलते लोग कब्रिस्तान न जाकर अपने अपने घरों पर रहकर ही दुआएं करेंगे.

शब-ए-बारात की शाम मुस्लिम समुदाय द्वारा कब्रिस्तानों में जाकर दुनिया से जा चुके लोगों के लिए दुआएं करने की परंपरा रही है. इस दिन कब्रिस्तानों पर लाइटिंग कर उसे सजाया जाता है. कब्रों की साफ-सफाई कर उसकी पुताई की जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है.

कब्र खोदने वालों पर भी पड़ी कोरोना संकट की मार.
कब्र खोदने वालों पर भी पड़ी कोरोना संकट की मार.

शब-ए-बारात के आने से तकरीबन एक हफ्ता पहले से ही लोगों की मांग पर कब्र खोदने वाले कब्रों की साफ-सफाई और रंगाई पुताई में जुट जाते थे. इसके बदले में लोग इनको मेहनताना देते थे. अपने करीबियों की साफ कब्रें देख लोग इनको अलग से भी नजराना देते थे, लेकिन इस बार बिल्कुल सन्नाटा है. कब्र खोदने वालों की मानें तो इन्हें खासा नुकसान हुआ है.

इसे भी पढ़ें-सुल्तान टेलर ने निःशुल्क मास्क बनाकर बांटने की छेड़ी मुहिम, देखें वीडियो

बाराबंकी: कोरोना संकट का असर कब्र खोदने वालों पर भी दिखाई दे रहा है. शब-ए-बारात के मौके पर कब्रों की रंगाई-पुताई कर इनकी खासी आमदनी हो जाती थी, लेकिन इस बार इस महामारी ने इनको खासा नुकसान पहुंचाया है.

लोगों ने अपने करीबियों की कब्रों की रंगाई-पुताई करने से मना कर दिया है. दरअसल, इस बार लॉकडाउन के चलते लोग कब्रिस्तान न जाकर अपने अपने घरों पर रहकर ही दुआएं करेंगे.

शब-ए-बारात की शाम मुस्लिम समुदाय द्वारा कब्रिस्तानों में जाकर दुनिया से जा चुके लोगों के लिए दुआएं करने की परंपरा रही है. इस दिन कब्रिस्तानों पर लाइटिंग कर उसे सजाया जाता है. कब्रों की साफ-सफाई कर उसकी पुताई की जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है.

कब्र खोदने वालों पर भी पड़ी कोरोना संकट की मार.
कब्र खोदने वालों पर भी पड़ी कोरोना संकट की मार.

शब-ए-बारात के आने से तकरीबन एक हफ्ता पहले से ही लोगों की मांग पर कब्र खोदने वाले कब्रों की साफ-सफाई और रंगाई पुताई में जुट जाते थे. इसके बदले में लोग इनको मेहनताना देते थे. अपने करीबियों की साफ कब्रें देख लोग इनको अलग से भी नजराना देते थे, लेकिन इस बार बिल्कुल सन्नाटा है. कब्र खोदने वालों की मानें तो इन्हें खासा नुकसान हुआ है.

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