बाराबंकीः किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) बनवाने और ऋण लेने के लिए अब किसानों को न तो कार्यालयों के चक्कर लगाने होंगे और न ही किसी को कोई सुविधा शुल्क देना होगा. शासन ने किसान क्रेडिट कार्ड को डिजिटलाइज्ड करने का फैसला किया है. जल्द ही सूबे के किसानों के किसान क्रेडिट कार्ड डिजिटल (Digital KCC) नजर आएंगे. बाराबंकी जिले से इसकी शुरुआत होने जा रही है. बाराबंकी को पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है. शासन का यह प्रयोग अगर सफल हुआ तो इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा. सोमवार को प्रदेश के मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिलाधिकारी समेत तमाम संबंधित अधिकारियों को इस प्रोजेक्ट के शुरू किए जाने के निर्देश दिए.
जिला कृषि अधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि डिजिटल क्रेडिट कार्ड बनने से किसानों को अनावश्यक बैंकों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. पारदर्शिता के साथ किसानों को केसीसी कार्ड की सुविधा प्राप्त हो जाएगी. कृषि अधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि पहले चरण में भारतीय स्टेट बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और एचडीएफसी बैंक में डिजिटल केसीसी बनाने का कार्य शुरू होगा.
डिजिटल किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) द्वारा डिजिटल केसीसी के लिए एक खास किस्म का ऐप तैयार किया जाएगा. इस ऐप पर किसान अपनी सारी इंट्रीज भरेंगे. जैसे कितनी भूमि है, क्या फसल बोई गई है इत्यादि. ऐप को इस तरह तैयार किया जाएगा जो राजस्व विभाग से लिंक रहेगा. राजस्व विभाग में किसान की भूमि अपडेट होती रहती है. लिहाजा ऐप पर अपने आप डेटा अपडेट होते रहेंगे और किसान की भूमि की पूरी जानकारी रहेगी. जैसे ही किसान ऋण के लिए ऑनलाइन आवेदन करेगा उसके एक घंटे के अंदर ही यह ऐप किसान के पात्र या अपात्र होने को वेरिफाई कर देगा. पात्र होने पर डिजिटल रूप से किसान क्रेडिट कार्ड जनरेट हो जाएगा और किसान के खाते में धनराशि पहुंच जाएगी.
क्या है केसीसीः किसान क्रेडिट कार्ड किसानों के लिए जारी होने वाला ऐसा कार्ड है. जिसके जरिए किसानों को सरकारी ऋण मिलता है. इस ऋण की ब्याज दर बहुत कम होती है. किसान क्रेडिट कार्ड की शुरुआत 1998 में मध्यम एव लघु वर्ग के किसानों को आर्थिक रूप से मदद पहुंचाने के लिए की गई थी. केसीसी के जरिए किसान अपनी फसल का बीमा भी करा सकते हैं. इसकी अवधि 5 वर्ष की होती है. उसके बाद इसका रेन्युवल कराया जाता है. इसके बनवाने में किसानों को काफी मशक्कत झेलनी होती थी. कई जगह तो किसान बिचौलियों के चंगुल में भी फंस जाते थे, जिससे उनको मिलने वाला ऋण पूरा नहीं मिल पाता था.
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