बाराबंकी: भारत सरकार के वित्त मंत्रालय (ministry of finance) ने सत्र 2021-22 के लिए पोस्ता खेती की नीति में बड़ा बदलाव किया है. पोस्ता की खेती करने वाले किसानों को पहली बार दो प्रकार के लाइसेंस (license)जारी किए जा रहे हैं. एक लाइसेंस के तहत किसान पोस्ता में चीरा लगाकर अफीम(opium) निकाल सकेंगे और उसे सरकार को जमा करेंगे. वहीं दूसरे प्रकार के लाइसेंस के तहत किसानों से सरकार बगैर रस निकले सीधे इस डोडा को खरीद लेगी.
अफीम की जगह लेगा डोडा
दरअसल, पोस्ता के पौधे में निकले फल से निकलने वाला दूध जब जमकर पेस्ट बन जाता है तो उसे अफीम कहते हैं. अभी तक अफीम में कुछ रसायन मिलाकर उससे परंपरागत ढंग से एल्केलाइड्स (alkaloids) निकाले जाते हैं, जिनसे जीवन रक्षक दवाइयां (life saving drugs) बनाई जाती हैं. अब नई तकनीक के आ जाने से डोडा यानी पॉपीस्ट्रा (poppy straw) से एल्केलाइड्स निकाल लिए जाएंगे. इसके लिए अफीम की आवश्यकता नहीं होगी.
- 3.7 से ज्यादा और 4.2 स्ट्रेंथ वालों को 5 एरी.
- 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से अधिक किंतु 5.0 से कम मार्फीन स्ट्रेंथ वालों को 6एरी यानी 0.06 हेक्टेयर.
- 5.0 से 5.9 किग्रा प्रति हेक्टेयर स्ट्रेंथ वालों को 10 एरी यानी 0.10हेक्टेयर.
- 5.9 किग्रा प्रति हेक्टेयर और उससे अधिक मार्फीन स्ट्रेंथ वालों को 12 एरी यानी 0.12 हेक्टेयर
- इसके साथ ही उन किसानों को भी लाइसेंस जारी किए जाएंगे जिनकी फसल खराब हो गई थी और जिन्होंने लगातार 4 वर्षों तक अपनी फसल नहीं जुतवाई थी. उन्हें भी 5 एरी का लाइसेंस मिलेगा.
किसानों का कहना है कि हर वर्ष नारकोटिक्स उत्पादों की तस्करी में लिप्त होकर जहां तमाम लोग समाज को खोखला बना रहे हैं. वहीं नशे की लत में लिप्त होकर तमाम युवाओं का जीवन भी बर्बाद हो रहा है, ऐसे में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ये नई नीति सराहनीय है.
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