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सरकार ने पोस्ता खेती की नीति में किया बदलाव, जल्द ही बन्द हो जाएगा अफीम का उत्पादन - बाराबंकी समाचार

आने वाले कुछ दिनों में देश में अफीम का उत्पादन (opium production) बन्द हो जाएगा.भारत सरकार(government of india) ने पोस्ता की खेती (poppy farming) की नई नीति (new policy) में बड़े बदलाव करते हुए इसकी शुरुआत कर दी है.

पोस्ता खेती की नीति में किया बदलाव
पोस्ता खेती की नीति में किया बदलाव
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Published : Oct 30, 2021, 11:04 PM IST

बाराबंकी: भारत सरकार के वित्त मंत्रालय (ministry of finance) ने सत्र 2021-22 के लिए पोस्ता खेती की नीति में बड़ा बदलाव किया है. पोस्ता की खेती करने वाले किसानों को पहली बार दो प्रकार के लाइसेंस (license)जारी किए जा रहे हैं. एक लाइसेंस के तहत किसान पोस्ता में चीरा लगाकर अफीम(opium) निकाल सकेंगे और उसे सरकार को जमा करेंगे. वहीं दूसरे प्रकार के लाइसेंस के तहत किसानों से सरकार बगैर रस निकले सीधे इस डोडा को खरीद लेगी.

अफीम की जगह लेगा डोडा
दरअसल, पोस्ता के पौधे में निकले फल से निकलने वाला दूध जब जमकर पेस्ट बन जाता है तो उसे अफीम कहते हैं. अभी तक अफीम में कुछ रसायन मिलाकर उससे परंपरागत ढंग से एल्केलाइड्स (alkaloids) निकाले जाते हैं, जिनसे जीवन रक्षक दवाइयां (life saving drugs) बनाई जाती हैं. अब नई तकनीक के आ जाने से डोडा यानी पॉपीस्ट्रा (poppy straw) से एल्केलाइड्स निकाल लिए जाएंगे. इसके लिए अफीम की आवश्यकता नहीं होगी.

पोस्ता खेती की नीति में किया बदलाव
तस्करी पर लगेगी लगाम
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस नई नीति से अफीम या उससे जुड़े उत्पादों जैसे हेरोइन(heroine),मार्फीन (morphine) और निकोटीन (nicotine) की तस्करी (smuggling) रुकेगी. साथ ही ये किसानों के लिए भी आसान होगा.उन्हें अफीम की रखवाली का जोखिम भी नहीं उठाना होगा.अधिकारियों का कहना है कि नई तकनीक के जरिये डोडा से एल्केलाइड्स निकालने में आसानी के साथ खर्च भी कम आएगा.जिससे जीवन रक्षक दवाइयां सस्ती होंगी.

सूबे के केवल 9 जिलों में होती है अफीम की खेती
पोस्ता की खेती के लिए सूबे में 9 जिले प्रमुख हैं जिनमे पश्चिम के तीन जिलों के लाइसेंस बरेली यूनिट से जारी किए जाते हैं जबकि पूर्वी उत्तरप्रदेश के 6 जिलों के लिए लाइसेंस बाराबंकी यूनिट से जारी होते हैं. उत्तरप्रदेश के 9 जिलों बरेली ,बंदायू,शाहजहांपुर, लखनऊ ,बाराबंकी, फैजाबाद, रायबरेली,मऊ और गाजीपुर में ही पोस्ता की खेती की जाती है.इसमें बदायूं,बरेली और शाहजहांपुर जिलों के किसानों को बरेली यूनिट लाइसेंस जारी करती है जबकि लखनऊ,बाराबंकी, फैज़ाबाद, रायबरेली, मऊ और गाजीपुर जिलों के किसानों को बाराबंकी कार्यालय लाइसेंस जारी करता है. बाराबंकी यूनिट ने इस बार 602 गांवों के करीब 2700 किसानों को लाइसेंस के लिए बुलाया है.लाइसेंस वितरण का कार्य 20 अक्टूबर से शुरू होकर 31 अक्टूबर तक चलेगा. पिछले वर्ष 750 किसानों ने अपनी अफीम जमा की थी.

चार केटेगरी के किसानों को जारी होंगे लाइसेंस
जिला अफीम अधिकारी डीएस सिंह ने बताया कि चार केटेगरी के किसानों को लाइसेंस जारी किए जाएंगे.
  • 3.7 से ज्यादा और 4.2 स्ट्रेंथ वालों को 5 एरी.
  • 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से अधिक किंतु 5.0 से कम मार्फीन स्ट्रेंथ वालों को 6एरी यानी 0.06 हेक्टेयर.
  • 5.0 से 5.9 किग्रा प्रति हेक्टेयर स्ट्रेंथ वालों को 10 एरी यानी 0.10हेक्टेयर.
  • 5.9 किग्रा प्रति हेक्टेयर और उससे अधिक मार्फीन स्ट्रेंथ वालों को 12 एरी यानी 0.12 हेक्टेयर
  • इसके साथ ही उन किसानों को भी लाइसेंस जारी किए जाएंगे जिनकी फसल खराब हो गई थी और जिन्होंने लगातार 4 वर्षों तक अपनी फसल नहीं जुतवाई थी. उन्हें भी 5 एरी का लाइसेंस मिलेगा.

किसानों का कहना है कि हर वर्ष नारकोटिक्स उत्पादों की तस्करी में लिप्त होकर जहां तमाम लोग समाज को खोखला बना रहे हैं. वहीं नशे की लत में लिप्त होकर तमाम युवाओं का जीवन भी बर्बाद हो रहा है, ऐसे में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ये नई नीति सराहनीय है.

इसे भी पढ़ें- बिजली विभाग ने मजदूर को थमाया 19 करोड़ 19 लाख 9 हज़ार 993 रुपये का बिल, प्रियंका बोलीं- हम खत्म करेंगे लूट

बाराबंकी: भारत सरकार के वित्त मंत्रालय (ministry of finance) ने सत्र 2021-22 के लिए पोस्ता खेती की नीति में बड़ा बदलाव किया है. पोस्ता की खेती करने वाले किसानों को पहली बार दो प्रकार के लाइसेंस (license)जारी किए जा रहे हैं. एक लाइसेंस के तहत किसान पोस्ता में चीरा लगाकर अफीम(opium) निकाल सकेंगे और उसे सरकार को जमा करेंगे. वहीं दूसरे प्रकार के लाइसेंस के तहत किसानों से सरकार बगैर रस निकले सीधे इस डोडा को खरीद लेगी.

अफीम की जगह लेगा डोडा
दरअसल, पोस्ता के पौधे में निकले फल से निकलने वाला दूध जब जमकर पेस्ट बन जाता है तो उसे अफीम कहते हैं. अभी तक अफीम में कुछ रसायन मिलाकर उससे परंपरागत ढंग से एल्केलाइड्स (alkaloids) निकाले जाते हैं, जिनसे जीवन रक्षक दवाइयां (life saving drugs) बनाई जाती हैं. अब नई तकनीक के आ जाने से डोडा यानी पॉपीस्ट्रा (poppy straw) से एल्केलाइड्स निकाल लिए जाएंगे. इसके लिए अफीम की आवश्यकता नहीं होगी.

पोस्ता खेती की नीति में किया बदलाव
तस्करी पर लगेगी लगाम
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस नई नीति से अफीम या उससे जुड़े उत्पादों जैसे हेरोइन(heroine),मार्फीन (morphine) और निकोटीन (nicotine) की तस्करी (smuggling) रुकेगी. साथ ही ये किसानों के लिए भी आसान होगा.उन्हें अफीम की रखवाली का जोखिम भी नहीं उठाना होगा.अधिकारियों का कहना है कि नई तकनीक के जरिये डोडा से एल्केलाइड्स निकालने में आसानी के साथ खर्च भी कम आएगा.जिससे जीवन रक्षक दवाइयां सस्ती होंगी.

सूबे के केवल 9 जिलों में होती है अफीम की खेती
पोस्ता की खेती के लिए सूबे में 9 जिले प्रमुख हैं जिनमे पश्चिम के तीन जिलों के लाइसेंस बरेली यूनिट से जारी किए जाते हैं जबकि पूर्वी उत्तरप्रदेश के 6 जिलों के लिए लाइसेंस बाराबंकी यूनिट से जारी होते हैं. उत्तरप्रदेश के 9 जिलों बरेली ,बंदायू,शाहजहांपुर, लखनऊ ,बाराबंकी, फैजाबाद, रायबरेली,मऊ और गाजीपुर में ही पोस्ता की खेती की जाती है.इसमें बदायूं,बरेली और शाहजहांपुर जिलों के किसानों को बरेली यूनिट लाइसेंस जारी करती है जबकि लखनऊ,बाराबंकी, फैज़ाबाद, रायबरेली, मऊ और गाजीपुर जिलों के किसानों को बाराबंकी कार्यालय लाइसेंस जारी करता है. बाराबंकी यूनिट ने इस बार 602 गांवों के करीब 2700 किसानों को लाइसेंस के लिए बुलाया है.लाइसेंस वितरण का कार्य 20 अक्टूबर से शुरू होकर 31 अक्टूबर तक चलेगा. पिछले वर्ष 750 किसानों ने अपनी अफीम जमा की थी.

चार केटेगरी के किसानों को जारी होंगे लाइसेंस
जिला अफीम अधिकारी डीएस सिंह ने बताया कि चार केटेगरी के किसानों को लाइसेंस जारी किए जाएंगे.
  • 3.7 से ज्यादा और 4.2 स्ट्रेंथ वालों को 5 एरी.
  • 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से अधिक किंतु 5.0 से कम मार्फीन स्ट्रेंथ वालों को 6एरी यानी 0.06 हेक्टेयर.
  • 5.0 से 5.9 किग्रा प्रति हेक्टेयर स्ट्रेंथ वालों को 10 एरी यानी 0.10हेक्टेयर.
  • 5.9 किग्रा प्रति हेक्टेयर और उससे अधिक मार्फीन स्ट्रेंथ वालों को 12 एरी यानी 0.12 हेक्टेयर
  • इसके साथ ही उन किसानों को भी लाइसेंस जारी किए जाएंगे जिनकी फसल खराब हो गई थी और जिन्होंने लगातार 4 वर्षों तक अपनी फसल नहीं जुतवाई थी. उन्हें भी 5 एरी का लाइसेंस मिलेगा.

किसानों का कहना है कि हर वर्ष नारकोटिक्स उत्पादों की तस्करी में लिप्त होकर जहां तमाम लोग समाज को खोखला बना रहे हैं. वहीं नशे की लत में लिप्त होकर तमाम युवाओं का जीवन भी बर्बाद हो रहा है, ऐसे में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ये नई नीति सराहनीय है.

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