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इस गांव में अंग्रेज अफसर को पहना दी गई थी जूतों की माला

बाराबंकी के हरख गांव का स्वतंत्रता आंदोलन में अहम योगदान रहा है. चलिए जानते हैं इस गांव के स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा देश की आजादी में दिए गए योगदान के बारे में.

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हरख गांव
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Published : Aug 14, 2022, 8:45 PM IST

बाराबंकी: देश को आजाद कराने में जहां तमाम वीरों ने अपने जान की बाजी लगा दी. वहीं, आजादी के अनगिनत मतवालों ने जेल की पीड़ादायी यातनाएं भी सहीं. बाराबंकी जिले में ऐसा ही एक गांव हरख है. इस गांव में 24 से ज्यादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे है, जिन्होंने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ बगावत की, बागी बने और जेल की सलाखों के पीछे रहे. अंग्रेजी सरकार से गुस्सा इस कदर कि एक अंग्रेज अफसर को जूतों की माला तक पहना डाली. आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर राष्ट्रवाद के प्रति जोश और जुनून पैदा करने वाली पेश है ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट...


बाराबंकी जिला मुख्यालय से 08 किमी दूर है हरख गांव. यूं तो पूरे जिले में आजादी के दीवानों को अंग्रेजी सरकार की तमाम यातनाएं झेलनी पड़ीं, लेकिन इस गांव का शायद ही कोई घर ऐसा हो जिसने आजादी के लिए अंग्रेजी सरकार का कहर न झेला हो. इस गांव के लोग अंग्रेजी सरकार के बागी माने गए और उन्होंने तमाम यातनाएं झेलीं.

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तामपत्र
वर्ष 1930 में महात्मा गांधी के दांडी मार्च के बाद उनसे प्रभावित होकर हरख गाव में भी आंदोलन किया गया, तो गांव के कई लोग बंदी बना लिए गए.उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया लेकिन आजादी के लिए लड़ने वालों में जोश कम नहीं हुआ. वर्ष 1942 में जब भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर देश मे मुहिम छिड़ी तो यहां के लोग इस आंदोलन में भी कूद पड़े.
स्वतंत्रता सेनानियों का गांव
वर्ष 1942 में एक अंग्रेज एवी हार्डी जिले का डीएम था. अंग्रेजी सरकार के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान गांव वालों ने हार्डी को सबक सिखाने के लिए एक ड्रामा करने की योजना बनाई. इस नाटक को देखने के लिए हार्डी को भी आमंत्रित किया. आजादी के मतवालों ने नाटक में अलग-अलग रोल किये. गांव के ही एक व्यक्ति ने हार्डी का रोल किया. एक सीन में हार्डी बने व्यक्ति को जूतों की माला पहनाई गई. अवधी भाषा मे खेले गए इस नाटक कोअंग्रेज डीएम हार्डी समझ नहीं पाया, लेकिन अगले दिन जब उसे असलियत पता चली तो उसने अंग्रेजी पुलिस के जरिये गांव में कोहराम मचा दिया. कइयों को जेल हुई और जबरन पूरे गांव से जुर्माना वसूला गया.
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स्वतंत्रता सेनानियों के नाम की सूची
वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कमला पति त्रिपाठी ने कल्लूदास, कालीचरण, द्वारिका मास्टर, प्यारेलाल, पुत्तूलाल वर्मा, बच्चूलाल, बिपत, बैजनाथ प्रसाद, रामगोपाल, रामकिशुन, रामनरायन, शिवनरायन, श्रीकृष्ण, श्रीराम वर्मा, सर्वजीत, श्रीराम, रामचन्दर और कामता प्रसाद समेत 18 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया था.
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स्वतंत्रता सेनानी के परिजन
आजादी के दीवाने रहे रामचन्दर के पुत्र ने अपने पिता की यादों को साझा करते हुए बताया कि वो दो बार जेल गए.अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उन्होंने अपने साथियों के साथ डाक लूटी और बिंदौरा रेलवे स्टेशन को आग के हवाले किया. आजादी हासिल करने को लेकर उनमें एक दीवानगी थी.
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स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम की सूची
देश आजाद हुआ और अंग्रेज देश छोड़कर चले गए. उस समय हरख गांव में एक आयुर्वेदिक अस्पताल संचालित हो रहा था. गांव वालों ने इसकी स्थिति सुधारने की सोची और अपने जुर्माने को वापस कराने की लड़ाई लड़ी. आखिरकार उनका 05 हजार रुपये जुर्माना उस वक्त की सरकार ने वापस किया. फिर उसी पैसे से नए आयुर्वेदिक अस्पताल का निर्माण हुआ.
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गांव का द्वार


यह भी पढ़ें:सुनिए, 103 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की जुबानी आजादी की कहानी

आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर गांव में जबरदस्त उत्साह
आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर इस गांव के लोगों में जबरदस्त उत्साह है. हर घर तिरंगा लहरा रहा है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजन इस बात को लेकर गौरवान्वित हैं कि उनके बाप-दादाओं ने आजादी के लिए कुर्बानियां दी थी. निश्चय ही आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर आज जहां पूरे देश का बच्चा-बच्चा उत्साहित है. ऐसे में उन लोगों का अपने ऊपर फख्र करना लाजिमी है. जिनके परिवार के लोगों ने इस आजादी के लिए यातनाएं झेली थी.

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बाराबंकी: देश को आजाद कराने में जहां तमाम वीरों ने अपने जान की बाजी लगा दी. वहीं, आजादी के अनगिनत मतवालों ने जेल की पीड़ादायी यातनाएं भी सहीं. बाराबंकी जिले में ऐसा ही एक गांव हरख है. इस गांव में 24 से ज्यादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे है, जिन्होंने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ बगावत की, बागी बने और जेल की सलाखों के पीछे रहे. अंग्रेजी सरकार से गुस्सा इस कदर कि एक अंग्रेज अफसर को जूतों की माला तक पहना डाली. आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर राष्ट्रवाद के प्रति जोश और जुनून पैदा करने वाली पेश है ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट...


बाराबंकी जिला मुख्यालय से 08 किमी दूर है हरख गांव. यूं तो पूरे जिले में आजादी के दीवानों को अंग्रेजी सरकार की तमाम यातनाएं झेलनी पड़ीं, लेकिन इस गांव का शायद ही कोई घर ऐसा हो जिसने आजादी के लिए अंग्रेजी सरकार का कहर न झेला हो. इस गांव के लोग अंग्रेजी सरकार के बागी माने गए और उन्होंने तमाम यातनाएं झेलीं.

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तामपत्र
वर्ष 1930 में महात्मा गांधी के दांडी मार्च के बाद उनसे प्रभावित होकर हरख गाव में भी आंदोलन किया गया, तो गांव के कई लोग बंदी बना लिए गए.उन्हें जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया लेकिन आजादी के लिए लड़ने वालों में जोश कम नहीं हुआ. वर्ष 1942 में जब भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर देश मे मुहिम छिड़ी तो यहां के लोग इस आंदोलन में भी कूद पड़े.
स्वतंत्रता सेनानियों का गांव
वर्ष 1942 में एक अंग्रेज एवी हार्डी जिले का डीएम था. अंग्रेजी सरकार के खिलाफ चल रहे आंदोलन के दौरान गांव वालों ने हार्डी को सबक सिखाने के लिए एक ड्रामा करने की योजना बनाई. इस नाटक को देखने के लिए हार्डी को भी आमंत्रित किया. आजादी के मतवालों ने नाटक में अलग-अलग रोल किये. गांव के ही एक व्यक्ति ने हार्डी का रोल किया. एक सीन में हार्डी बने व्यक्ति को जूतों की माला पहनाई गई. अवधी भाषा मे खेले गए इस नाटक कोअंग्रेज डीएम हार्डी समझ नहीं पाया, लेकिन अगले दिन जब उसे असलियत पता चली तो उसने अंग्रेजी पुलिस के जरिये गांव में कोहराम मचा दिया. कइयों को जेल हुई और जबरन पूरे गांव से जुर्माना वसूला गया.
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स्वतंत्रता सेनानियों के नाम की सूची
वर्ष 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कमला पति त्रिपाठी ने कल्लूदास, कालीचरण, द्वारिका मास्टर, प्यारेलाल, पुत्तूलाल वर्मा, बच्चूलाल, बिपत, बैजनाथ प्रसाद, रामगोपाल, रामकिशुन, रामनरायन, शिवनरायन, श्रीकृष्ण, श्रीराम वर्मा, सर्वजीत, श्रीराम, रामचन्दर और कामता प्रसाद समेत 18 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया था.
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स्वतंत्रता सेनानी के परिजन
आजादी के दीवाने रहे रामचन्दर के पुत्र ने अपने पिता की यादों को साझा करते हुए बताया कि वो दो बार जेल गए.अंग्रेजी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उन्होंने अपने साथियों के साथ डाक लूटी और बिंदौरा रेलवे स्टेशन को आग के हवाले किया. आजादी हासिल करने को लेकर उनमें एक दीवानगी थी.
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स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम की सूची
देश आजाद हुआ और अंग्रेज देश छोड़कर चले गए. उस समय हरख गांव में एक आयुर्वेदिक अस्पताल संचालित हो रहा था. गांव वालों ने इसकी स्थिति सुधारने की सोची और अपने जुर्माने को वापस कराने की लड़ाई लड़ी. आखिरकार उनका 05 हजार रुपये जुर्माना उस वक्त की सरकार ने वापस किया. फिर उसी पैसे से नए आयुर्वेदिक अस्पताल का निर्माण हुआ.
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गांव का द्वार


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आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर गांव में जबरदस्त उत्साह
आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर इस गांव के लोगों में जबरदस्त उत्साह है. हर घर तिरंगा लहरा रहा है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजन इस बात को लेकर गौरवान्वित हैं कि उनके बाप-दादाओं ने आजादी के लिए कुर्बानियां दी थी. निश्चय ही आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर आज जहां पूरे देश का बच्चा-बच्चा उत्साहित है. ऐसे में उन लोगों का अपने ऊपर फख्र करना लाजिमी है. जिनके परिवार के लोगों ने इस आजादी के लिए यातनाएं झेली थी.

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