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बाराबंकीः वित्तविहीन शिक्षकों की सीएम योगी से गुहार, 15 हजार रुपये मानदेय दे सरकार

बाराबंकी जिले में शुक्रवार को माध्यमिक विद्यालयों के वित्तविहीन शिक्षकों ने जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पहुंचकर सीएम को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा. शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि उनकी आर्थिक स्थिति खस्ताहल है, लिहाजा उन्हें 15 हजार रुपये मानदेय दिया जाए.

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वित्त विहीन शिक्षक
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Published : Sep 4, 2020, 7:12 PM IST

बाराबंकीः माध्यमिक विद्यालयों के वित्त विहीन शिक्षकों ने कोरोना संकट का हवाला देते हुए सूबे के मुख्यमंत्री योगी से मानदेय दिए जाने की गुहार लगाई है. जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पहुंचकर शिक्षकों ने सीएम को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा. शिक्षकों का कहना है कि कोरोना काल में स्कूल-कॉलेज बंद चल रहे हैं. फीस जमा नहीं हो रही है. कालेज प्रबंधक भी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, लिहाजा उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं दिया जा रहा, ऐसे में उनके सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है. पीड़ित शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें 15 हजार रुपये मानदेय दिया जाए.

वित्तविहीन शिक्षक वर्तमान सरकार से खासे नाराज हैं. इनका आरोप है कि इस कोरोना काल में सरकार उनकी परेशानियों पर जरा भी ध्यान नहीं दे रही. आज तक इनकी कोई सेवा नियमावली तक नहीं बन पाई, जिसके चलते कॉलेज का प्रबंधतंत्र उनके साथ मनमाना रवैया अपना रहा है. कोरोना काल में पिछले कई महीनों से उनको वेतन तक नहीं मिला, जिसके चलते वे भुखमरी के दौर से गुजर रहे हैं.

इन तमाम समस्याओं को लेकर शुक्रवार को वित्तविहीन शिक्षकों ने राजकीय इंटर कॉलेज के ऑडिटोरियम में बैठक कर आंदोलन की रणनीति तैयार की. शिक्षकों ने आरोप लगाया कि पिछली अखिलेश सरकार में उनको मानदेय के रूप में दो सौ करोड़ रुपया दिया गया था. उस समय भाजपा ने इसे अपमानजनक बताते हुए कहा था कि ये रकम कम है. भाजपा ने उस समय वित्तविहीन शिक्षकों से वादा किया था कि उनकी सरकार बनवा दीजिए मानदेय बढ़ जाएगा.

शिक्षकों ने बात मानी, लेकिन सरकार बनने के बाद मानदेय नहीं बढ़ा. वर्तमान समय में तो और बड़ा संकट आ गया है. इस कोरोना काल में उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं मिला है. लिहाजा उनके सामने भुखमरी का संकट है. ऐसे में उन्हें 15 हजार रुपये मानदेय दिलाया जाए.

बाराबंकीः माध्यमिक विद्यालयों के वित्त विहीन शिक्षकों ने कोरोना संकट का हवाला देते हुए सूबे के मुख्यमंत्री योगी से मानदेय दिए जाने की गुहार लगाई है. जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय पहुंचकर शिक्षकों ने सीएम को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा. शिक्षकों का कहना है कि कोरोना काल में स्कूल-कॉलेज बंद चल रहे हैं. फीस जमा नहीं हो रही है. कालेज प्रबंधक भी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं, लिहाजा उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं दिया जा रहा, ऐसे में उनके सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है. पीड़ित शिक्षकों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें 15 हजार रुपये मानदेय दिया जाए.

वित्तविहीन शिक्षक वर्तमान सरकार से खासे नाराज हैं. इनका आरोप है कि इस कोरोना काल में सरकार उनकी परेशानियों पर जरा भी ध्यान नहीं दे रही. आज तक इनकी कोई सेवा नियमावली तक नहीं बन पाई, जिसके चलते कॉलेज का प्रबंधतंत्र उनके साथ मनमाना रवैया अपना रहा है. कोरोना काल में पिछले कई महीनों से उनको वेतन तक नहीं मिला, जिसके चलते वे भुखमरी के दौर से गुजर रहे हैं.

इन तमाम समस्याओं को लेकर शुक्रवार को वित्तविहीन शिक्षकों ने राजकीय इंटर कॉलेज के ऑडिटोरियम में बैठक कर आंदोलन की रणनीति तैयार की. शिक्षकों ने आरोप लगाया कि पिछली अखिलेश सरकार में उनको मानदेय के रूप में दो सौ करोड़ रुपया दिया गया था. उस समय भाजपा ने इसे अपमानजनक बताते हुए कहा था कि ये रकम कम है. भाजपा ने उस समय वित्तविहीन शिक्षकों से वादा किया था कि उनकी सरकार बनवा दीजिए मानदेय बढ़ जाएगा.

शिक्षकों ने बात मानी, लेकिन सरकार बनने के बाद मानदेय नहीं बढ़ा. वर्तमान समय में तो और बड़ा संकट आ गया है. इस कोरोना काल में उन्हें कई महीनों से वेतन नहीं मिला है. लिहाजा उनके सामने भुखमरी का संकट है. ऐसे में उन्हें 15 हजार रुपये मानदेय दिलाया जाए.

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