बाराबंकी: बाजार में बिक रहे धान के मानक विहीन बीजों ने कृषि विभाग की चिंता बढ़ा दी है. बीज परीक्षण प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजे गए धान के बीज के कई नमूने फेल पाए गए. टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद विभाग सतर्क हो गया है.
किसानों द्वारा धान की नर्सरी तैयार करने का काम शुरू हो गया है. नर्सरी के लिए किसानों को ऐसे बीजों की आवश्यकता होती है, जिनका ज्यादा से ज्यादा जर्मीनेशन (Germination) यानी अंकुरण हो सके. बाजार में और बीज विक्रय केंद्रों पर कई किस्मों के धान के बीज बिक रहे हैं. किसानों को अच्छी फसल के लिए मानक के अनुरूप धान के बीज उपलब्ध हो सकें. इसके लिए कृषि विभाग लगातार मॉनिटरिंग करता है और बीजों की प्रमाणिकता के लिए नमूने भरकर उनको जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजता है.
बाराबंकी स्थित बीज परीक्षण प्रयोगशाला में 9 जिलों के बीजों का परीक्षण किया जाता है. अब तक यहां विभिन्न जिलों से 350 नमूने जांच के लिए आ चुके हैं. जिनमें 108 का परीक्षण हो चुका है. परीक्षण में 5 नमूने फेल पाए गए हैं. धान की अच्छी पैदावार के लिए अच्छे अंकुरण वाला बीज होना चाहिए. जिस बीज का जितना अच्छा जर्मीनेशन (germination) होगा वो उतनी अच्छी पैदावार देगा.
कृषि वैज्ञानिकों (Scientist) के मुताबिक धान के केस में 80 फीसदी से अधिक जर्मीनेशन होना चाहिए. अगर 80 फीसदी या उससे कम जर्मीनेशन होता है तो वो बीज अमानक माना जाता है यानी ये बीज घटिया कहा जा सकता है और इसे बाजार में बेचे जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इसी के चलते विभाग नमूने को लेकर बीजों की जांच कराकर उनके जर्मीनेशन स्टेटस को देखता है. दरअसल, विभाग का मानना है कि कुछ लोग अधिक पैसा कमाने के चक्कर में सामान्य ग्रेन्स (grains) या दाना को बीज कहकर बेच सकते हैं. नमूने फेल होने के बाद अब विभाग ऐसे दुकानदारों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. बाराबंकी स्थित प्रयोगशाला में 09 जिलों के बीजों का होता है परीक्षण- बाराबंकी, अयोध्या, अम्बेडकर नगर, सुल्तानपुर, अमेठी, गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर.
कैसे होती है जांच
सबसे पहले धान के नमूनों को बीज परीक्षण प्रयोगशाला में भेजा जाता है. हर बीज के नमूने भेजे जाने का अलग-अलग वजन होता है. धान के नमूने का मानक वजन 400 ग्राम है. उसके बाद उस धान के नमूने की नमी चेक की जाती है फिर उसमें से 100 दाने निकाले जाते हैं. इसके बाद पेटीडिश प्लेट में नीचे जर्मीनेशन पेपर बिछाकर उस पर उन दानों को दूर-दूर रख दिया जाता है. फिर इस पेटीडिश को ढककर उसे जेरमिरेटर मशीन में 15 दिनों के लिए रख दिया जाता है. 15 दिन बाद उस पेटीडिश को निकाला जाता है अगर उन 100 दानों में 80 दाने अंकुरित हुए तो नमूना सही माना जाएगा, वरना उसे फेल माना जाएगा.
इसे भी पढे़ं- फिरोजाबाद में 200 मृतक किसानों के खाते में जा रही सम्मान निधि की राशि, वारिसों से होगी वसूली