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बाराबंकी: 'किसान दिवस कार्यक्रम' में अधिकारी अन्नदाताओं को कर रहे नजरअंदाज! - barabanki news

बाराबंकी जिले में आयोजित होने वाले किसान दिवस कार्यक्रमों में किसानों ने दिलचस्पी लेना कम कर दिया है. किसानों का कहना है कि अधिकारी लोग किसानों को कोई तवज्जो नहीं देते. उनका कहना है कि किसान दिवस में आधे से अधिक अधिकारी नहीं आते.

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'किसान दिवस कार्यक्रम' में किसान नहीं ले रहे कोई दिलचस्पी
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Published : Jan 22, 2020, 10:51 PM IST

बाराबंकी: अन्नदाताओं की समस्याओं के निदान के लिए आयोजित होने वाले किसान दिवस अब महज कागजी बनकर रह गए हैं. अधिकारियों द्वारा गंभीरता न दिखाने के चलते किसान भी अब इससे मुंह मोड़ने लगे हैं. कुछ जागरूक किसान हैं जो इस बैठक में शामिल हो रहे हैं. बैठकों से अधिकारी नदारद रहते हैं. लिहाजा किसानों की समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पा रहा.

'किसान दिवस कार्यक्रम' में किसान ही हो रहे नजरअंदाज!
वर्ष 2014 में शासन ने किसानों की समस्याओं के निदान के लिए हर माह के तीसरे बुधवार को, किसान दिवस आयोजित करने का आदेश जारी किया था. जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी को करनी होती है.

शुरुआत में तो किसान दिवसों का आयोजन ठीक-ठाक हुआ. इन दिवसों में किसानों की जबरदस्त भीड़ उमड़ती थी. कृषि विभाग की अगुवाई में ऊर्जा, उद्यान, सहकारिता, मत्स्य, सिंचाई और पशुपालन समेत तकरीबन 42 विभागों के अधिकारी इसमें शामिल होते थे. किसान अपनी समस्याएं खुलकर रखते थे और उनकी समस्याओं का निराकरण भी होता था.

जिलाधिकारी बैठक में पूरे समय गंभीरता से किसानों की समस्याओं को सुनकर संबंधित विभागों के अधिकारियों से जवाब तलब भी करते थे. वक्त बीता तो इस दिवस के प्रति अधिकारियों ने दिलचस्पी लेनी कम कर दी.


कई विभागों के अधिकारियों ने किसान दिवस में आना भी कम कर दिया. अधिकारियों की बेरुखी से आहत किसानों ने भी बैठक में आना कम कर दिया. कुछ एक जागरूक किसान हैं जो बैठक में आते हैं. इनको दुख है कि अधिकारी इस दिवस को गंभीरता से नहीं ले रहे.

बाराबंकी: अन्नदाताओं की समस्याओं के निदान के लिए आयोजित होने वाले किसान दिवस अब महज कागजी बनकर रह गए हैं. अधिकारियों द्वारा गंभीरता न दिखाने के चलते किसान भी अब इससे मुंह मोड़ने लगे हैं. कुछ जागरूक किसान हैं जो इस बैठक में शामिल हो रहे हैं. बैठकों से अधिकारी नदारद रहते हैं. लिहाजा किसानों की समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पा रहा.

'किसान दिवस कार्यक्रम' में किसान ही हो रहे नजरअंदाज!
वर्ष 2014 में शासन ने किसानों की समस्याओं के निदान के लिए हर माह के तीसरे बुधवार को, किसान दिवस आयोजित करने का आदेश जारी किया था. जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी को करनी होती है.

शुरुआत में तो किसान दिवसों का आयोजन ठीक-ठाक हुआ. इन दिवसों में किसानों की जबरदस्त भीड़ उमड़ती थी. कृषि विभाग की अगुवाई में ऊर्जा, उद्यान, सहकारिता, मत्स्य, सिंचाई और पशुपालन समेत तकरीबन 42 विभागों के अधिकारी इसमें शामिल होते थे. किसान अपनी समस्याएं खुलकर रखते थे और उनकी समस्याओं का निराकरण भी होता था.

जिलाधिकारी बैठक में पूरे समय गंभीरता से किसानों की समस्याओं को सुनकर संबंधित विभागों के अधिकारियों से जवाब तलब भी करते थे. वक्त बीता तो इस दिवस के प्रति अधिकारियों ने दिलचस्पी लेनी कम कर दी.


कई विभागों के अधिकारियों ने किसान दिवस में आना भी कम कर दिया. अधिकारियों की बेरुखी से आहत किसानों ने भी बैठक में आना कम कर दिया. कुछ एक जागरूक किसान हैं जो बैठक में आते हैं. इनको दुख है कि अधिकारी इस दिवस को गंभीरता से नहीं ले रहे.

Intro:बाराबंकी ,22 जनवरी । अन्नदाताओं की समस्याओं के निदान के लिए आयोजित होने वाले किसान दिवस अब महज कागजी बनकर रह गए हैं । अधिकारियों द्वारा गंभीरता न दिखाने के चलते किसान भी अब इससे मुंह मोड़ने लगे हैं । कुछ जागरूक किसान हैं जो इस बैठक में शामिल हो रहे हैं । बैठकों से अधिकारी नदारद रहते हैं लिहाजा किसानों की समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पा रहा । बुधवार को आयोजित किसान दिवस के मौके पर किसानों का यह दर्द खुलकर सामने आ गया ।


Body:वीओ - वर्ष 2014 में शासन ने किसानों की समस्याओं के निदान के लिए हर माह के तीसरे बुधवार को किसान दिवस आयोजित करने का आदेश जारी किया था । जिसकी अध्यक्षता जिलाधिकारी को करनी होती है। शुरुआत में तो किसान दिवसों का आयोजन ठीक-ठाक हुआ । इन दिवसों में किसानों की जबरदस्त भीड़ उमड़ती थी । कृषि विभाग की अगुवाई में ऊर्जा ,उद्यान, सहकारिता ,मत्स्य,सिंचाई और पशुपालन समेत तकरीबन 42 विभागों के अधिकारी इसमें शामिल होते थे । किसान अपनी समस्याएं खुलकर रखते थे और उनकी समस्याओं का निराकरण भी होता था । जिलाधिकारी बैठक में पूरे समय गंभीरता से किसानों की समस्याओं को सुनकर संबंधित विभागों के अधिकारियों से जवाब तलब भी करते थे लेकिन वक्त बीता तो इस दिवस के प्रति अधिकारियों ने दिलचस्पी लेनी कम कर दी । कई विभागों के अधिकारियों ने किसान दिवस में आना भी कम कर दिया और तो और जिलाधिकारी भी थोड़ी देर रुक कर दूसरे कामों के लिए निकल जाने लगे । अधिकारियों की बेरुखी से आहत किसानों ने भी बैठक में आना कम कर दिया । कुछ एक जागरूक किसान हैं जो बैठक में आ जाते हैं । इनको दुख है कि अधिकारी इस दिवस को गंभीरता से नहीं ले रहे और शासन की मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही ।
बाईट - राम किशोर पटेल, प्रगतिशील किसान

वीओ - अधिकारियों की बैठक से गैरहाजिरी पर नोटिसें तो जारी की जाती हैं लेकिन ठोस कार्यवाही न होने से इन अधिकारियों की आदतों में बदलाव नहीं हो पा रहा । किसानों की कम उपस्थिति को लेकर अधिकारियों का जवाब हैरान करने वाला है । इनकी मानें तो किसानों के पास समस्याये ही नहीं है ।
बाईट - अनिल कुमार सागर , उप कृषि निदेशक बाराबंकी


Conclusion:रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
9454661740
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