बाराबंकीः जिले में महाराजा सुहेलदेव की जयंती बड़े ही धूमधाम से मनाई गई. इस मौके पर जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजनों और पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया. शहर के शहीद उद्यान में आयोजित इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सांसद ने भाग लिया. कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों से आए छात्र और छात्राओं ने देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम पेश किया.
महाराजा सुहेल देव को किया गया याद
शहर के बस स्टेशन के नजदीक स्थित शहीद उद्यान में महाराजा सुहेल देव की याद में कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में भाजपा सांसद उपेंद्र सिंह रावत बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. जिला प्रशासन ने आयोजित इस कार्यक्रम में प्रशासनिक और पुलिस विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए. शहर के कई स्कूलों के छात्र-छात्राओं ने इस कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुतियां दी.
शहीदों के परिजनों को किया गया सम्मानित
इस मौके पर शहीद परिवारों को सांसद उपेंद्र रावत ने सम्मानित किया. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय रामचन्द्र वर्मा की पत्नी रमाकांती देवी और स्वर्गीय वेदनाथ मौर्य की पत्नी पार्वती देवी को संसद ने सम्मानित किया. इसके अलावा पूर्व सैनिक शिवकरन सिंह को भी सम्मानित किया गया. इससे पहले शहीद स्तम्भ पर और महाराजा सुहेल देव के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया.
कौन थे महाराजा सुहेलदेव
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा सुहेलदेव श्रावस्ती के राजा के सबसे बड़े पुत्र थे. बाद में ये खुद भी राजा बने. बहराइच को इन्होंने अपनी राजधानी बनाया था. इन्होंने ग्यारहवीं शताब्दी की शुरुआत में बहराइच में गजनवी सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी को पराजित कर मौत के घाट उतार दिया था. कहा जाता है कि महमूद गजनवी के भतीजे सैयद सालार मसूद गाजी ने हिंदुस्तान पर आक्रमण कर मुल्तान, दिल्ली, मेरठ और फिर बाराबंकी के सतरिख पर विजय प्राप्त की.
सतरिख को ही उसने मुख्यालय बनाया. यहीं से वो अपने आसपास के स्थानीय राजाओं को हराकर उन पर कब्जा किया. बहराइच के राजा को भी हराने के लिए उसने सेना भेजी, लेकिन बहराइच और आसपास के दूसरे हिंदू राजाओं ने संघ बनाकर इनका मुकाबला किया, लेकिन सैयद सालार साहू गाजी के नेतृत्व में सेना ने उन्हें हरा दिया. सुहेलदेव के आगमन तक मसूद ने अपने दुश्मनों को कई बार हराया, लेकिन सन 1034 ई. में सुहेलदेव ने मसूद को हरा दिया.