बाराबंकीः यूं तो घाघरा नदी के तेज बहाव से होने वाले कटान को रोक पाना मुश्किल होता है. फिर भी इस कटान को रोकने की तमाम कोशिशें की जाती हैं. इसके लिए नदी के किनारे-किनारे कटर लगाए जाते हैं. नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीण कटान से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए कटर का निर्माण करते हैं.
कैसे तैयार होता है कटर-
- कटर एक जाल नुमा ढांचा होता है.
- इसको बांस से बनाया जाता है.
- पहले एक बड़ा फ्रेम तैयार किया जाता है फिर उसको जाल नुमा बनाया जाता है.
- जाल इस तरह तैयार किया जाता है कि अगर कोई भरी हुई बोरी इसमें रख दी जाए तो वह गिरे नहीं.
- जाल को नदी के किनारे रख देते है फिर जाल में ईंट और बजरी से भरी बोरियां रख दी जाती हैं.
- इस तरह से नदी के किनारे कई कटर रख दिए जाते हैं, जो नदी के कटान को रोकते हैं.
बता दें कि इस खण्ड में हर वर्ष कटर बनवाने का काम होता है, जिसमें लाखों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन इसी बीच बाढ़ इन कटर को बहा ले जाती है. हालांकि इस बार अभी जलस्तर नहीं बढ़ा है, जिससे ये कटर कटान को रोकने में सहायक हो रहे हैं.