बाराबंकी: आरोपियों को सजा दिलाने के मामले में बाराबंकी के अभियोजन विभाग को प्रदेश में छठवां स्थान हासिल हुआ है. सरकार की मंशा के अनुरूप दूसरे विभागों की तरह अभियोजन विभाग भी 100 दिन की विशेष कार्य योजना पर काम कर रहा है. प्रभावी पैरवी कर अधिकतम मामलों में सजा कराने का लक्ष्य रखा गया है. बालिकाओं और महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के मामलों पर खास फोकस है. अभियोजन विभाग द्वारा 45 ऐसे खास मामलों को चिन्हित किया गया है, जिनका 100 दिवस की इस कार्ययोजना में निस्तारण कराना है. लेकिन बचाव पक्ष द्वारा इन मामलों को जान बूझकर लिंगर ऑन किया जा रहा है. ऐसे में अभियोजन विभाग ने इन मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए जनपद न्यायाधीश से मदद मांगी है.
प्रदेश में जिले को मिला छठवां स्थान
शासन द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार, अभियोजन के द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा के लिए 'मिशन शक्ति' विशेष अभियान के संचालन में बलात्कार सहित हत्या, यौन उत्पीड़न, अश्लीलता और पॉक्सो के मामलों में सजा के आधार पर शासन द्वारा मूल्यांकन कराया गया, जिसमें बाराबंकी के अभियोजन विभाग को छठवां स्थान हासिल हुआ है.
100 दिवस के लक्ष्य में अप्रैल में हुई सजा
मिली जानकारी के अनुसार, पॉक्सो एक्ट के 7 मामलों में सजा हुई है, जिनमें 2 मामलों में आजीवन कारावास, एक मामले में 20 वर्ष का कठोर कारावास, बाकी चार मामलों में 12, 11, 10 और 03 वर्षों के कठोर कारावास की सजा कराई गई है. अश्लीलता की धारा 294 आईपीसी के 08 मामलों में 11 अभियुक्तों को सजा कराई गई है. इसके अलावा दोषमुक्त हुए 06 मामले ऐसे हैं, जिनमें समीक्षा करने के बाद 3 मामलों में उच्च न्यायालय में अपील की गई है. इसके साथ ही, आर्म्स एक्ट के 4 मामलों में अभियुक्तों को तलब कर चार्ज बनवाया गया है. इसमें गैंगेस्टर के 03 मामलों में सजा कराई गई है.
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45 गम्भीर मामलों को किया गया चिन्हित
अभियोजन विभाग ने इन 100 दिनों की विशेष कार्य योजना के लिए 45 ऐसे मामलों का चयन किया है जो गम्भीर प्रकृति के हैं. इसमें मुख्य रूप से वर्ष 2020 में राम सनेही घाट थाने के सामने क्लिनिक चलाने वाले हरियाणा निवासी दो लोगों की दिनदहाड़े हत्या, सतरिख थाने के सेठमऊ में खेत में 18 वर्षीय युवती की रेप के बाद हत्या, जैदपुर थाने के बीबीपुर में निशक्त किशोरी के सगे भाई और पिता के द्वारा की गई हत्या और हैदरगढ़ में युवती की रेप के बाद हत्या के मामले शामिल हैं. इन सभी केसों के विचारण अंतिम दौर में है.
ज्यादातर मामलों में बहस और बचाव पक्ष द्वारा बार-बार मौका लिए जाने के कारण ये मामले लंबित हैं. कुछ मामलों में तो पुलिस के कर्मचारीगण का साक्ष्य होना शेष है, जिनकी उपस्थिति के लिए जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पुलिस विभाग को निर्देशित भी किया गया है. इन सभी मामलों का निस्तारण इन 100 दिवस की कार्य योजना में पूरा करना है. लिहाजा इनके शीघ्र निस्तारण के लिए जनपद न्यायाधीश को सूची सौंपकर अभियोजन द्वारा मदद मांगी गई है.
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