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बाराबंकी: 17 लाख रुपये हड़पने के लिए बनाई थी फर्जी लूट की कहानी - बाराबंकी लूट

यूपी के बाराबंकी में पुलिस ने फर्जी लूट की साजिश रचने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही इनकी निशानदेही पर पुलिस ने कन्स्ट्रक्शन कम्पनी के 17 लाख रुपये भी बरामद कर लिए हैं.

barabanki loot.
बाराबंकी लूट.
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Published : Aug 10, 2020, 4:14 AM IST

बाराबंकी: कन्स्ट्रक्शन कम्पनी का 17 लाख रुपये हड़पने की नीयत से युवक ने फर्जी लूट की ऐसी कहानी गढ़ी कि खुद ही अपने जाल में फंस गया. पुलिस ने युवक को उसके एक साथी के साथ गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने इसकी निशानदेही पर लखनऊ स्थित एक फार्म हाउस में खड़ी कार से 17 लाख रुपये भी बरामद कर लिए हैं.

सात अगस्त की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे निहाल ने यूपी-112 पर सूचना दी कि अपने बिजनेस से संबंधित 17 लाख रुपये लेकर अपनी कार से लखनऊ से गोरखपुर जा रहा था. रास्ते में नगर कोतवाली के हाई-वे पर स्थित दारापुर गांव के पास एक काले रंग की स्कार्पियो ने उसकी गाड़ी को ओवरटेक कर उसे रोक लिया. इसके बाद गाड़ी पर फायर करते हुए डंडे से उसकी गाड़ी का शीशा तोड़ दिया और 17 लाख रुपये लूट लिए. हाई-वे पर हुई इस लूट की सूचना पर पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. आनन-फानन घटनास्थल पर पहुंचकर पुलिस अधिकारियों ने घटना की पड़ताल शुरू की.

बनाई गईं तीन विशेष टीमें
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने इस लूटकांड के खुलासे के लिए तीन स्पेशल टीमों का गठन किया. पहली टीम का काम था कि जहां-जहां से वादी को पैसा प्राप्त हुआ और जहां वारदात हुई उन स्थानों का निरीक्षण कर पूरी जानकारी हासिल करना. दूसरी टीम का काम था कि इस घटना से जुड़े सभी डिजिटल डाटा का कलेक्शन करना और उनका एनालिसिस करना. तीसरी टीम का काम था कि वादी निहाल सिंह और उसके साथी मुन्ना लाल चौहान से लगातार पूछताछ करते हुए उसके मिलने वाले लोगों से बात करना.

यह भी पढ़े:विकास दुबे कांड में नया खुलासा, राज्यपाल की मंजूरी के बिना बेची गई थी सेमी ऑटोमेटिक राइफल

क्या करता था लूट की फर्जी कहानी बनाने वाला
निहाल सिंह ने बताया कि वह गोरखपुर स्थित सिंह कन्स्ट्रक्शन कम्पनी के लिए काम करता है. कम्पनी का प्रोपराइटर अमित सिंह है. कम्पनी ने सीतापुर में बन रहे एक राजकीय महाविद्यालय का ठेका लेने के लिए लखनऊ निवासी लाइजनर संजू मिश्र को लगाया है. इसके लिए संजू मिश्र को लाइजनिंग फीस के रूप में 45 लाख रुपये दिए गए थे. करीब 10 करोड़ की लागत से बनने वाले इस महाविद्यालय में कम्पनी को महज एक करोड़ का ही काम मिला.

संजू मिश्र से 20 लाख रुपये वापस करने को कहा गया. बीती 7 अगस्त की रात संजू मिश्र ने 14 लाख रुपये महानगर स्थित राज्य अभिलेखागार परिसर और तीन लाख रुपये सीएमएस मुख्यालय के सामने दिए थे. निहाल सिंह ने बताया कि वह रुपये लेकर अपने साथी मुन्नालाल के साथ आलमबाग से बाराबंकी होते हुए गोरखपुर के लिए निकला था.

सीसीटीवी में कैद एक्टिविटी ने खोला राज
निहाल ने संजू मिश्र पर लूट का आरोप लगाया था. इस दौरान टीमों ने सक्रियता दिखाई और रात में ही निहाल सिंह को उन सभी स्थानों पर ले जाया गया, जहां पैसों का लेन-देन हुआ था. इस दौरान पड़ताल में लगी टीमें एक विशेष बात देखकर चौंक उठी. दरअसल कई स्थानों पर निहाल हर छोटी से छोटी बात पर सीसीटीवी में नजर आया. निहाल की बात पर भरोसा करके सिंह कन्स्ट्रक्शन कम्पनी के प्रोपराइटर अमित सिंह ने भी संजू मिश्र पर लूट का आरोप लगाया. पुलिस ने अमित सिंह से बात कर निहाल का बैकग्राउंड पता किया तो निहाल पर पुलिस को शक हुआ. पुलिस ने उसके साथी मुन्नालाल चौहान से जब कड़ाई से पूछताछ शुरू की तो सच सामने आ गया.

कैसे बनाई फर्जी लूट की कहानी
संजू से रुपये मिलने के बाद निहाल सिंह और मुन्नालाल दोनों ने यह रुपये गबन करने का प्लान बनाया. योजना के मुताबिक निहाल और मुन्ना रुपये मिलने के बाद पीजीआई के करीब स्थित अपने दोस्त संजू यादव के फार्म हाउस पर पहुंचे. जहां पहले से ही निहाल की खड़ी स्कार्पियो में उसने 17 लाख रुपये रख दिए. फिर निहाल ने कार में सरिया से गाड़ी में गोली के निशान जैसा छेद बनाया फिर एक डंडे से गाड़ी का आगे का शीशा तोड़ा. घटना को सच बनाने के लिए उसने अपनी कमीज फाड़ी और अपने सिर पर एक नुकीली चाभी से घावकर लिया और बाराबंकी पहुंचकर पुलिस को फर्जी लूट की सूचना दी.

बाराबंकी को क्यों चुना
निहाल सिंह ने बताया कि उसने बाराबंकी को इसलिए चुना कि लखनऊ से चलने पर कोई टोल प्लाजा नहीं है, लेकिन आगे जाने पर अहमदपुर के पास टोल प्लाजा है. अगर यह टोल प्लाजा के बाद घटना बताते तो टोल के कैमरों में पहले से ही बनाए गए निशान रिकार्ड हो जाते और उसकी सच्चाई उजागर हो जाती.

बाराबंकी: कन्स्ट्रक्शन कम्पनी का 17 लाख रुपये हड़पने की नीयत से युवक ने फर्जी लूट की ऐसी कहानी गढ़ी कि खुद ही अपने जाल में फंस गया. पुलिस ने युवक को उसके एक साथी के साथ गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने इसकी निशानदेही पर लखनऊ स्थित एक फार्म हाउस में खड़ी कार से 17 लाख रुपये भी बरामद कर लिए हैं.

सात अगस्त की रात करीब साढ़े ग्यारह बजे निहाल ने यूपी-112 पर सूचना दी कि अपने बिजनेस से संबंधित 17 लाख रुपये लेकर अपनी कार से लखनऊ से गोरखपुर जा रहा था. रास्ते में नगर कोतवाली के हाई-वे पर स्थित दारापुर गांव के पास एक काले रंग की स्कार्पियो ने उसकी गाड़ी को ओवरटेक कर उसे रोक लिया. इसके बाद गाड़ी पर फायर करते हुए डंडे से उसकी गाड़ी का शीशा तोड़ दिया और 17 लाख रुपये लूट लिए. हाई-वे पर हुई इस लूट की सूचना पर पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. आनन-फानन घटनास्थल पर पहुंचकर पुलिस अधिकारियों ने घटना की पड़ताल शुरू की.

बनाई गईं तीन विशेष टीमें
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने इस लूटकांड के खुलासे के लिए तीन स्पेशल टीमों का गठन किया. पहली टीम का काम था कि जहां-जहां से वादी को पैसा प्राप्त हुआ और जहां वारदात हुई उन स्थानों का निरीक्षण कर पूरी जानकारी हासिल करना. दूसरी टीम का काम था कि इस घटना से जुड़े सभी डिजिटल डाटा का कलेक्शन करना और उनका एनालिसिस करना. तीसरी टीम का काम था कि वादी निहाल सिंह और उसके साथी मुन्ना लाल चौहान से लगातार पूछताछ करते हुए उसके मिलने वाले लोगों से बात करना.

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क्या करता था लूट की फर्जी कहानी बनाने वाला
निहाल सिंह ने बताया कि वह गोरखपुर स्थित सिंह कन्स्ट्रक्शन कम्पनी के लिए काम करता है. कम्पनी का प्रोपराइटर अमित सिंह है. कम्पनी ने सीतापुर में बन रहे एक राजकीय महाविद्यालय का ठेका लेने के लिए लखनऊ निवासी लाइजनर संजू मिश्र को लगाया है. इसके लिए संजू मिश्र को लाइजनिंग फीस के रूप में 45 लाख रुपये दिए गए थे. करीब 10 करोड़ की लागत से बनने वाले इस महाविद्यालय में कम्पनी को महज एक करोड़ का ही काम मिला.

संजू मिश्र से 20 लाख रुपये वापस करने को कहा गया. बीती 7 अगस्त की रात संजू मिश्र ने 14 लाख रुपये महानगर स्थित राज्य अभिलेखागार परिसर और तीन लाख रुपये सीएमएस मुख्यालय के सामने दिए थे. निहाल सिंह ने बताया कि वह रुपये लेकर अपने साथी मुन्नालाल के साथ आलमबाग से बाराबंकी होते हुए गोरखपुर के लिए निकला था.

सीसीटीवी में कैद एक्टिविटी ने खोला राज
निहाल ने संजू मिश्र पर लूट का आरोप लगाया था. इस दौरान टीमों ने सक्रियता दिखाई और रात में ही निहाल सिंह को उन सभी स्थानों पर ले जाया गया, जहां पैसों का लेन-देन हुआ था. इस दौरान पड़ताल में लगी टीमें एक विशेष बात देखकर चौंक उठी. दरअसल कई स्थानों पर निहाल हर छोटी से छोटी बात पर सीसीटीवी में नजर आया. निहाल की बात पर भरोसा करके सिंह कन्स्ट्रक्शन कम्पनी के प्रोपराइटर अमित सिंह ने भी संजू मिश्र पर लूट का आरोप लगाया. पुलिस ने अमित सिंह से बात कर निहाल का बैकग्राउंड पता किया तो निहाल पर पुलिस को शक हुआ. पुलिस ने उसके साथी मुन्नालाल चौहान से जब कड़ाई से पूछताछ शुरू की तो सच सामने आ गया.

कैसे बनाई फर्जी लूट की कहानी
संजू से रुपये मिलने के बाद निहाल सिंह और मुन्नालाल दोनों ने यह रुपये गबन करने का प्लान बनाया. योजना के मुताबिक निहाल और मुन्ना रुपये मिलने के बाद पीजीआई के करीब स्थित अपने दोस्त संजू यादव के फार्म हाउस पर पहुंचे. जहां पहले से ही निहाल की खड़ी स्कार्पियो में उसने 17 लाख रुपये रख दिए. फिर निहाल ने कार में सरिया से गाड़ी में गोली के निशान जैसा छेद बनाया फिर एक डंडे से गाड़ी का आगे का शीशा तोड़ा. घटना को सच बनाने के लिए उसने अपनी कमीज फाड़ी और अपने सिर पर एक नुकीली चाभी से घावकर लिया और बाराबंकी पहुंचकर पुलिस को फर्जी लूट की सूचना दी.

बाराबंकी को क्यों चुना
निहाल सिंह ने बताया कि उसने बाराबंकी को इसलिए चुना कि लखनऊ से चलने पर कोई टोल प्लाजा नहीं है, लेकिन आगे जाने पर अहमदपुर के पास टोल प्लाजा है. अगर यह टोल प्लाजा के बाद घटना बताते तो टोल के कैमरों में पहले से ही बनाए गए निशान रिकार्ड हो जाते और उसकी सच्चाई उजागर हो जाती.

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