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बाराबंकी केला उत्पादन में अव्वल, पकाने में है पीछे, जानिए क्या है वजह - केला उत्पादन में अव्वल है बाराबंकी जिला

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिला केला उत्पादन के लिए दूसरे नंबर है, लेकिन केले पकाने के मामले में पीछे है. इस जिले के 500 किसान केला उत्पादन में लगे हुए हैं, लेकिन पकाने की कोई सुविधा न होने से उन्हें कम दामों में ही केला बेचना पड़ता है.

केले उत्पादन के लिए विख्यात है बाराबंकी
केले उत्पादन के लिए विख्यात है बाराबंकी
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Published : Jan 3, 2020, 3:38 PM IST

बाराबंकी: केला उत्पादन में बाराबंकी के किसान भले ही सूबे में अव्वल हों, लेकिन पकाने में सबसे पीछे हैं. यहीं वजह है कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. राइपनिंग चैंबर न होने से किसानों की आय दोगुनी करने की पीएम मोदी की मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही है.

केले उत्पादन के लिए विख्यात है बाराबंकी.

500 किसान करते हैं केले की खेती

कुशीनगर के बाद प्रदेश में केला उत्पादन में बाराबंकी जिला दूसरे नंबर पर है. यहां की मिट्टी और जलवायु दोनों केले की खेती के लिए काफी मुफीद हैं. जिले में करीब 2400 हेक्टेयर भूमि पर केले की खेती की जाती है. 500 के करीब किसान केले की खेती कर हर साल खासा मुनाफा कमाते हैं.


केले पकाने की नहीं है कोई सुविधा
जिले में हरख, मसौली, सिरौलीगौसपुर, त्रिवेदीगंज, बंकी और सूरतगंज ब्लाक में केले की अच्छी खेती होती है. किसान यहां केले का उत्पादन तो करते हैं, लेकिन पकाने की कोई सुविधा न होने से मजबूरन सस्ते दामों पर ही कच्चे केले को बेचना पड़ता है. अगर केला पकाकर बेचा जाए तो यह दोगुने दामों पर बिकेगा. इससे किसानों की आय दोगुनी होगी. वहीं केले की खेती करने के लिए और भी किसान प्रेरित होंगे.


किसानों को नहीं होता अच्छा मुनाफा
किसानों का मानना है कि केला पकाने के संसाधन और बाजार मिल जाएं तो उनकी आय में खासा इजाफा हो सकता है. व्यापारी कच्चे केले खरीद कर सिर्फ उन्हें पकाते हैं और दोगुने दाम पर बेचा करते हैं. किसानों की मांग है कि मंडी परिसर में भारी क्षमता का राइपनिंग चेंबर बनवाया जाए, जिससे किसान खुद अपना केला पकाकर मंडी में बेंच सकें. इससे कोल्ड स्टोरेज में केला भंडारण का खर्च बचेगा और साथ ही केला पकाने के लिए महंगे दाम नहीं चुकाने पड़ेंगे.


उद्यान अधिकारी भी मानते हैं कि किसानों को अपेक्षाकृत लाभ नहीं मिल पा रहा है. शासन से सब्सिडी मिलने के बाद भी राइपनिंग प्लांट महंगा होने के चलते किसान इसे लगवाने से पीछे होता जा रहा हैं. इनका कहना है कि सामूहिक रूप से बड़ा प्लांट लगवाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं और साथ ही किसानों की मांग को लेकर शासन में पत्र भी लिखे जाएंगे.

इसे भी पढे़ं:- बाराबंकी की शिमला मिर्च बन रही पहचान, तकनीकी सीखने पहुंच रहे किसान

बाराबंकी: केला उत्पादन में बाराबंकी के किसान भले ही सूबे में अव्वल हों, लेकिन पकाने में सबसे पीछे हैं. यहीं वजह है कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है. राइपनिंग चैंबर न होने से किसानों की आय दोगुनी करने की पीएम मोदी की मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही है.

केले उत्पादन के लिए विख्यात है बाराबंकी.

500 किसान करते हैं केले की खेती

कुशीनगर के बाद प्रदेश में केला उत्पादन में बाराबंकी जिला दूसरे नंबर पर है. यहां की मिट्टी और जलवायु दोनों केले की खेती के लिए काफी मुफीद हैं. जिले में करीब 2400 हेक्टेयर भूमि पर केले की खेती की जाती है. 500 के करीब किसान केले की खेती कर हर साल खासा मुनाफा कमाते हैं.


केले पकाने की नहीं है कोई सुविधा
जिले में हरख, मसौली, सिरौलीगौसपुर, त्रिवेदीगंज, बंकी और सूरतगंज ब्लाक में केले की अच्छी खेती होती है. किसान यहां केले का उत्पादन तो करते हैं, लेकिन पकाने की कोई सुविधा न होने से मजबूरन सस्ते दामों पर ही कच्चे केले को बेचना पड़ता है. अगर केला पकाकर बेचा जाए तो यह दोगुने दामों पर बिकेगा. इससे किसानों की आय दोगुनी होगी. वहीं केले की खेती करने के लिए और भी किसान प्रेरित होंगे.


किसानों को नहीं होता अच्छा मुनाफा
किसानों का मानना है कि केला पकाने के संसाधन और बाजार मिल जाएं तो उनकी आय में खासा इजाफा हो सकता है. व्यापारी कच्चे केले खरीद कर सिर्फ उन्हें पकाते हैं और दोगुने दाम पर बेचा करते हैं. किसानों की मांग है कि मंडी परिसर में भारी क्षमता का राइपनिंग चेंबर बनवाया जाए, जिससे किसान खुद अपना केला पकाकर मंडी में बेंच सकें. इससे कोल्ड स्टोरेज में केला भंडारण का खर्च बचेगा और साथ ही केला पकाने के लिए महंगे दाम नहीं चुकाने पड़ेंगे.


उद्यान अधिकारी भी मानते हैं कि किसानों को अपेक्षाकृत लाभ नहीं मिल पा रहा है. शासन से सब्सिडी मिलने के बाद भी राइपनिंग प्लांट महंगा होने के चलते किसान इसे लगवाने से पीछे होता जा रहा हैं. इनका कहना है कि सामूहिक रूप से बड़ा प्लांट लगवाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं और साथ ही किसानों की मांग को लेकर शासन में पत्र भी लिखे जाएंगे.

इसे भी पढे़ं:- बाराबंकी की शिमला मिर्च बन रही पहचान, तकनीकी सीखने पहुंच रहे किसान

Intro:बाराबंकी ,02 जनवरी । केला उत्पादन में बाराबंकी के किसान भले ही सूबे में अव्वल हों लेकिन पकाने में सबसे पीछे । यही वजह है कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा । राइपनिंग चैंबर न होने से किसानों की आय दोगुनी करने की पीएम मोदी की मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही ।


Body:वीओ - कुशीनगर के बाद प्रदेश में केला उत्पादन में बाराबंकी जिला दूसरे नंबर पर है। यहां की मिट्टी और जलवायु दोनों केले की खेती के लिए काफी मुफीद हैं। जिले में करीब 24 सौ हेक्टेयर भूमि पर केले की खेती की जाती है । पांच सौ के करीब किसान केले की खेती कर हर साल खासा मुनाफा कमाते हैं ।
बाईट - महेंद्र कुमार,जिला उद्यान अधिकारी बाराबंकी

वीओ - जिले में हरख, मसौली, सिरौलीगौसपुर, त्रिवेदीगंज,बंकी और सूरतगंज ब्लाक में केले की अच्छी खेती होती है । किसान यहां केले का उत्पादन तो करते हैं लेकिन पकाने की कोई सुविधा न होने से मजबूरन सस्ते दामों पर ही अपने कच्चे केले को बेचना पड़ता है । अगर केला पकाकर बेचा जाए तो यह दोगुने दामों पर बिकेगा । इससे जहां किसानों की आय दोगुनी होगी वही केले की खेती करने के लिए और भी किसान प्रेरित होंगे ।
बाईट- रूमसुम वर्मा , केला किसान ,मन्जीठा

वीओ - किसानों का मानना है कि केला पकाने के संसाधन और बाजार मिल जाएं तो उनकी आय में खासा इजाफा हो सकता है । व्यापारी कच्चे केले खरीद कर सिर्फ उन्हें पकाते हैं और दुगने दाम पैदा करते हैं । किसानों की मांग है कि मंडी परिसर में भारी क्षमता का राइपनिंग चेंबर बनवाया जाए जिससे किसान खुद अपना केला पका कर मंडी में बेंच सकें और व्यापारियों जैसा लाभ ले सकें । इससे कोल्ड स्टोरेज में केला भंडारण का खर्च बचेगा साथ ही केला पकाने के लिए महंगे दाम नहीं चुकाने पड़ेंगे ।
बाईट - राम सरन वर्मा , पद्मश्री से सम्मानित प्रगतिशील केला किसान

वीओ - उद्यान अधिकारी भी मानते हैं कि किसानों को अपेक्षाकृत लाभ नहीं मिल पा रहा । शासन द्वारा सब्सिडी मिलने के बाद भी राइपनिंग प्लांट महंगा होने के चलते किसान इसे लगवाने से पीछे हो जा रहे हैं । इनका कहना है कि सामूहिक रूप से बड़ा प्लांट लगवाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं । साथ ही किसानों की मांग को लेकर शासन में पत्र भी लिखेंगे ।
बाईट - महेंद्र कुमार, जिला उद्यान अधिकारी बाराबंकी


Conclusion:रिपोर्ट - अलीम शेख बाराबंकी
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