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बाराबंकी की अदालत ने दहेज हत्या के मामले में मां और उसके तीन बेटों को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

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Published : May 2, 2023, 9:32 PM IST

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में सात साल पहले हुई थी वारदात. पुलिस ने मां और उसके तीन बेटों समेत एक बेटी और ग्रामीण को आरोपी बनाया था. लेकिन, कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में बेटी और ग्रामीण को बरी कर दिया.

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बाराबंकी: दहेज में मोटरसाइकिल की मांग पूरी नहीं करने पर एक महिला की हत्या करने के मामले में उत्तरप्रदेश के बाराबंकी की एक अदालत ने तीन सगे भाइयों और उनकी मां को आजीवन कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश (फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट) नम्बर-36 राकेश ने सुनाया है. हत्या सात साल पहले की गई थी.

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सुबेहा थाना क्षेत्र के आलापुर गांव निवासी वादी शिवकुमार मिश्रा ने 06 सितम्बर 2016 को अपनी बेटी की ससुराल वालों द्वारा दहेज हत्या किए जाने की रिपोर्ट असंदरा थाने में लिखाई थी. वादी शिवकुमार के मुताबिक उसने अपनी बेटी वन्दना की शादी असंदरा थाना क्षेत्र के पूरे मंशा राम दीवान मजरे पठकनपुरवा के रहने वाले राधेश्याम तिवारी के पुत्र रामशंकर के साथ की थी.

शादी के वक्त उसने अपनी हैसियत से ज्यादा दान दहेज दिया था. बेटी की ससुराल वालों ने मोटरसाइकिल के बदले 51 हजार रुपये नकद ले लिए थे. शादी के कुछ दिन बाद से ही बेटी की ससुराल वालों ने मोटरसाइकिल की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था. रक्षाबंधन पर जब बेटी घर आई थी तो उसने पूरी बात बताई थी.

मोटरसाइकिल न दे पाने से ससुराल वालों ने मेरी बेटी की हत्या कर दी. वादी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने तफ्तीश शुरू की. विवेचक द्वारा वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करते हुए विवेचना कर पति रामशंकर, सास राजवती, जेठ हरिशंकर, देवर शिवशंकर, ननद उमादेवी और गांव के ही एक दुर्गेश कुमार के विरुद्ध न्यायालय में चार्जशीट फाइल की. मामले में अभियोजन पक्ष ने ठोस गवाह पेश किए.

अभियोजन और बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही और दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नम्बर-36 राकेश ने पति रामशंकर, सास राजवती, जेठ हरिशंकर और देवर शिवशंकर को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और प्रत्येक को 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि ननद उमा देवी और दुर्गेश को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.

ये भी पढ़ेंः कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर इंस्टीट्यूट में मरीज की सफल सर्जरी, डाॅक्टरों ने बनाई जीभ

बाराबंकी: दहेज में मोटरसाइकिल की मांग पूरी नहीं करने पर एक महिला की हत्या करने के मामले में उत्तरप्रदेश के बाराबंकी की एक अदालत ने तीन सगे भाइयों और उनकी मां को आजीवन कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश (फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट) नम्बर-36 राकेश ने सुनाया है. हत्या सात साल पहले की गई थी.

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सुबेहा थाना क्षेत्र के आलापुर गांव निवासी वादी शिवकुमार मिश्रा ने 06 सितम्बर 2016 को अपनी बेटी की ससुराल वालों द्वारा दहेज हत्या किए जाने की रिपोर्ट असंदरा थाने में लिखाई थी. वादी शिवकुमार के मुताबिक उसने अपनी बेटी वन्दना की शादी असंदरा थाना क्षेत्र के पूरे मंशा राम दीवान मजरे पठकनपुरवा के रहने वाले राधेश्याम तिवारी के पुत्र रामशंकर के साथ की थी.

शादी के वक्त उसने अपनी हैसियत से ज्यादा दान दहेज दिया था. बेटी की ससुराल वालों ने मोटरसाइकिल के बदले 51 हजार रुपये नकद ले लिए थे. शादी के कुछ दिन बाद से ही बेटी की ससुराल वालों ने मोटरसाइकिल की मांग को लेकर उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था. रक्षाबंधन पर जब बेटी घर आई थी तो उसने पूरी बात बताई थी.

मोटरसाइकिल न दे पाने से ससुराल वालों ने मेरी बेटी की हत्या कर दी. वादी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने तफ्तीश शुरू की. विवेचक द्वारा वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करते हुए विवेचना कर पति रामशंकर, सास राजवती, जेठ हरिशंकर, देवर शिवशंकर, ननद उमादेवी और गांव के ही एक दुर्गेश कुमार के विरुद्ध न्यायालय में चार्जशीट फाइल की. मामले में अभियोजन पक्ष ने ठोस गवाह पेश किए.

अभियोजन और बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही और दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नम्बर-36 राकेश ने पति रामशंकर, सास राजवती, जेठ हरिशंकर और देवर शिवशंकर को दोषी पाते हुए आजीवन कारावास और प्रत्येक को 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि ननद उमा देवी और दुर्गेश को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.

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