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बाराबंकी में दवाएं जलाने का मामला उजागर होने के बाद मेडिकल वेस्ट निस्तारण की जांच के लिए सीएमओ ने बनाई टीम

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Published : Feb 2, 2023, 10:25 PM IST

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में बुधवार को कबाड़ियों द्वारा दवाइयों के जलाने से निकली गैस से इंटर कॉलेज के कई छात्रों की तबीयत बिगड़ गई थी. इस हादसे को लेकर जिले के स्वास्थ्य विभाग ने कड़ा कदम उठाया है.

बाराबंकी में दवाएं जलाने का मामला
बाराबंकी में दवाएं जलाने का मामला
बाराबंकी में दवाएं जलाने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के कदम की जानकारी देते सीएमओ डॉ. अवधेश सिंह.

बाराबंकी: यूपी के बाराबंकी में कबाड़ियों द्वारा दवाइयों के जलाने से निकली गैस से इंटर कॉलेज के कई छात्रों की बुधवार को तबीयत बिगड़ गई थी. इससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मच गया था. कबाड़ियों के गोदाम में मिले दवाइयों के जखीरे ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी थी. इसके बाद सीएमओ ने जिले के सभी अस्पतालों, नर्सिंग होम और क्लीनिक से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल की हकीकत जांचने के आदेश दिए हैं.

इसके लिए मुख्य चिकित्साधिकारी ने एडिशनल सीएमओ के नेतृत्व में 3 डॉक्टरों का पैनल बनाया है. ये टीम बायो मेडिकल वेस्ट कलेक्ट करने के लिए नामित कम्पनी सिनर्जी की भी जांच करेगी. दरअसल दवाइयां जलाने वाले कबाड़ियों के गोदाम में भारी मात्रा में दवाइयां और शीशियां पाई गईं थीं. जबकि एक्सपायर हो जाने के बाद दवाइयों को डिस्पोज ऑफ करने का एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑफ ऑपरेटिंग प्रोसीजर होता है. लेकिन, ये गोदाम में पाई गईं.

बाराबंकी जिले में 325 निजी नर्सिंग होम, क्लिनिक हैं. इसके अलावा जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को कलेक्ट करने की जिम्मेदारी सिनर्जी नामक कम्पनी की है. वेस्ट कलेक्ट कर बाकायदा इसका डिस्पोजल किए जाने का प्रावधान है. सरकारी अस्पतालों की एक्सपायर होने वाली दवाइयां सरकारी वेयर हाउस में वापस हो जाती हैं. निजी अस्पतालों या नर्सिंग होम से निकलने वाली दवाइयां सिनर्जी कम्पनी कलेक्ट कर ले जाती हैं और उनका निस्तारण करती हैं.

सीएमओ डॉ. अवधेश सिंह खुद भी हैरान हैं कि कबाड़ी के पास ये दवाएं कैसे आईं. सीएमओ ने बताया कि दवाइयां जलाकर एल्युमिनियम फ्वायल निकालने का काम कबाड़ी काफी अर्से से कर रहे थे. फिलहाल पकड़े गए कबाड़ियों से पुलिस ये जानने की कोशिश कर रही है कि उन्हें ये दवाइयां कौन देता है. सीएमओ ने बताया कि इस मामले में दवाइयां एक्सपायर हैं या नही इसकी जांच की जिम्मेदारी ड्रग इंस्पेक्टर की है.

उन्होंने बताया जांच रिपोर्ट में जिसकी भी संलिप्तता पाई जाएगी उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. जिला ड्रग इंस्पेक्टर सीमा सिंह ने बताया कि उन्होंने मौका मुआयना किया था लेकिन, दवाएं जल चुकी थीं. लिहाजा सैम्पल नहीं लिए जा सके. शीशियां होम्योपैथिक की थीं. ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि उन्होंने मेडिकल स्टोर्स को निर्देश जारी किए हैं कि एक्सपायर होने वाली दवाइयां विधिवत होल सेलर को वापस की जाएं और उनकी पूरी लिखा-पढ़ी रखी जाए.

उधर गैस से प्रभावित हुए बच्चों के ब्लड सैम्पल कलेक्ट किए गए हैं जिससे ये पता लग सकेगा कि बच्चे आखिर क्यों प्रभावित हुए. फिलहाल गैस से प्रभावित 17 बच्चों में 4 की हालत गम्भीर देखते हुए लखनऊ रेफर किया गया था. सीएमओ ने बताया कि सभी ठीक हैं और उन्हें गुरुवार शाम तक डिस्चार्ज कर दिए जाने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ेंः बिना कपड़ों के महिला रात में लोगों के घर की बजाती है घंटी, जानिए क्यों

बाराबंकी में दवाएं जलाने का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के कदम की जानकारी देते सीएमओ डॉ. अवधेश सिंह.

बाराबंकी: यूपी के बाराबंकी में कबाड़ियों द्वारा दवाइयों के जलाने से निकली गैस से इंटर कॉलेज के कई छात्रों की बुधवार को तबीयत बिगड़ गई थी. इससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मच गया था. कबाड़ियों के गोदाम में मिले दवाइयों के जखीरे ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी थी. इसके बाद सीएमओ ने जिले के सभी अस्पतालों, नर्सिंग होम और क्लीनिक से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल की हकीकत जांचने के आदेश दिए हैं.

इसके लिए मुख्य चिकित्साधिकारी ने एडिशनल सीएमओ के नेतृत्व में 3 डॉक्टरों का पैनल बनाया है. ये टीम बायो मेडिकल वेस्ट कलेक्ट करने के लिए नामित कम्पनी सिनर्जी की भी जांच करेगी. दरअसल दवाइयां जलाने वाले कबाड़ियों के गोदाम में भारी मात्रा में दवाइयां और शीशियां पाई गईं थीं. जबकि एक्सपायर हो जाने के बाद दवाइयों को डिस्पोज ऑफ करने का एसओपी यानी स्टैंडर्ड ऑफ ऑपरेटिंग प्रोसीजर होता है. लेकिन, ये गोदाम में पाई गईं.

बाराबंकी जिले में 325 निजी नर्सिंग होम, क्लिनिक हैं. इसके अलावा जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को कलेक्ट करने की जिम्मेदारी सिनर्जी नामक कम्पनी की है. वेस्ट कलेक्ट कर बाकायदा इसका डिस्पोजल किए जाने का प्रावधान है. सरकारी अस्पतालों की एक्सपायर होने वाली दवाइयां सरकारी वेयर हाउस में वापस हो जाती हैं. निजी अस्पतालों या नर्सिंग होम से निकलने वाली दवाइयां सिनर्जी कम्पनी कलेक्ट कर ले जाती हैं और उनका निस्तारण करती हैं.

सीएमओ डॉ. अवधेश सिंह खुद भी हैरान हैं कि कबाड़ी के पास ये दवाएं कैसे आईं. सीएमओ ने बताया कि दवाइयां जलाकर एल्युमिनियम फ्वायल निकालने का काम कबाड़ी काफी अर्से से कर रहे थे. फिलहाल पकड़े गए कबाड़ियों से पुलिस ये जानने की कोशिश कर रही है कि उन्हें ये दवाइयां कौन देता है. सीएमओ ने बताया कि इस मामले में दवाइयां एक्सपायर हैं या नही इसकी जांच की जिम्मेदारी ड्रग इंस्पेक्टर की है.

उन्होंने बताया जांच रिपोर्ट में जिसकी भी संलिप्तता पाई जाएगी उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. जिला ड्रग इंस्पेक्टर सीमा सिंह ने बताया कि उन्होंने मौका मुआयना किया था लेकिन, दवाएं जल चुकी थीं. लिहाजा सैम्पल नहीं लिए जा सके. शीशियां होम्योपैथिक की थीं. ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि उन्होंने मेडिकल स्टोर्स को निर्देश जारी किए हैं कि एक्सपायर होने वाली दवाइयां विधिवत होल सेलर को वापस की जाएं और उनकी पूरी लिखा-पढ़ी रखी जाए.

उधर गैस से प्रभावित हुए बच्चों के ब्लड सैम्पल कलेक्ट किए गए हैं जिससे ये पता लग सकेगा कि बच्चे आखिर क्यों प्रभावित हुए. फिलहाल गैस से प्रभावित 17 बच्चों में 4 की हालत गम्भीर देखते हुए लखनऊ रेफर किया गया था. सीएमओ ने बताया कि सभी ठीक हैं और उन्हें गुरुवार शाम तक डिस्चार्ज कर दिए जाने की उम्मीद है.

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