बाराबंकी: जनपद में 8 वर्ष पूर्व एक किशोरी के साथ दुष्कर्म करने के मामले में अदालत ने दोषी को 10 वर्ष की कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट नंबर 44 राजीव महेश्वरम ने सुनाया है.
एडीजीसी क्रिमिनल योगेंद्र सिंह और अनूप मिश्रा ने अभियोजन कथानक का ब्यौरा देते हुए बताया कि घुघटेर थाना क्षेत्र के एक गांव के रहने वाले वादी ने 31 मार्च 2015 को थाने में तहरीर देकर बताया कि 27 मार्च 2015 को उसकी नाबालिग पुत्री और पत्नी रात में घर से बाहर शौच करने गई थी. उसी समय आरोपी अपने 4 अन्य सहयोगियों के साथ उसकी पुत्री को कार में जबरन बैठाकर ले जाने लगा.
वादी ने बताया कि उसकी पत्नी जब बेटी को बचाने दौड़ी तो आरोपियों ने उसे धक्का मारकर गिरा दिया. इसके बाद उसकी बेटी को आरोपी लेकर चले गए. रोते बिलखते पत्नी ने घर पहुंचकर मामले की जानकारी दी. वादी ने आरोपी और अपनी बेटी की तलाश की किंतु कुछ पता नहीं चल सका. लोकलाज के डर से उसने इस घटना की सूचना कहीं नहीं दी. लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद जब कुछ पता नहीं चला. वादी ने इसके बाद पुलिस में आरोपी शफीक पुत्र हबीब के विरुद्ध मामला दर्ज कराया. पुलिस ने आईपीसी की धारा 363, 366 के तहत मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की. तत्कालीन विवेचक ने वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग कर साक्ष्य एकत्र किये. विवेचना के दौरान 376 आइपीसी, 3/4 पॉक्सो ऐक्ट और एससीएसटी ऐक्ट की धाराएं बढ़ाई गई. विवेचक ने आरोपी शफीक के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में फाइल की.
अभियोजन पक्ष ने मामले में ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्षों द्वारा प्रस्तुत किये गए साक्ष्यों की गवाही और दोनों पक्षो के तर्कों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट नंबर 44 राजीव महेश्वरम ने आरोपी शफीक को दोष सिद्ध करार देते हुए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई. अर्थदंड जमा होने की दशा में कुल अर्थदण्ड की धनराशि 20 हजार रुपये पीड़िता को दिए जाने का भी आदेश दिया है.
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